उठापटक तेज़ ।
दोस्ती है चरम ?
बंगले की सौग़ात ।
रूख दिखाये नरम ।।
बिछ गयी गोटी ।
खिचड़ी रही पक ।।
लड़ो गर दिल से ।
मिल जाये हक ?
सियासी ये खेल ।
रोज़ नया घटनाक्रम ।।
पस्त हुए खिलाड़ी ।
टूट रहा भ्रम ?
व्यंग्यात्मक लेखक : कृष्णेन्द्र राय
उठापटक तेज़ ।
दोस्ती है चरम ?
बंगले की सौग़ात ।
रूख दिखाये नरम ।।
बिछ गयी गोटी ।
खिचड़ी रही पक ।।
लड़ो गर दिल से ।
मिल जाये हक ?
सियासी ये खेल ।
रोज़ नया घटनाक्रम ।।
पस्त हुए खिलाड़ी ।
टूट रहा भ्रम ?
व्यंग्यात्मक लेखक : कृष्णेन्द्र राय