अस्थायी है भारत में आई आर्थिक सुस्ती, जल्द देखने को मिलेगी तेजीः IMF अध्यक्ष

Update: 2020-01-24 11:44 GMT

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की अध्यक्ष क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने शुक्रवार को कहा भारत की अर्थव्यवस्था में आई सुस्ती अस्थायी है और आने वाले कुछ महीनों में इसमें तेजी देखने को मिलेगी। दावोस में चल रहे विश्व आर्थिक मंच पर बोलते हुए क्रिस्टालिना ने कहा कि अक्तूबर 2019 के मुकाबले जनवरी 2020 में विश्व काफी सही लग रहा है।

अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध के खत्म होने के चलते ऐसा देखने को मिल रहा है। गौरतलब है कि चीन और अमेरिका के बीच व्यापार को लेकर के पहले चरण की बातचीत व समझौता पूरा हो चुका है। इससे लगता है कि आगे आने वाले दिनों वैश्विक अर्थव्यवस्था काफी तेजी से आगे बढ़ेगी। इस व्यापार समझौते से भारत सहित दुनिया के तमाम देशों में सकारात्मक असर देखने को मिलेगा।

वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए 3.3 फीसदी विकास दर नाकाफी

हालांकि क्रिस्टालिना ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए 3.3 फीसदी की विकास दर नाकाफी है। हमें लगता है कि सरकार को राजकोषीय घाटे पर नजर बनाए रखनी होगी और काफी सारे रिफॉर्म करने होंगे ताकि विकास दर में तेजी देखने को मिले।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी भारत के लिए चालू वित्त वर्ष में विकास दर के अनुमान को घटा दिया है। आईएमएफ ने दावोस में चल रहे विश्व आर्थिक मंच की बैठक के दौरान इस अनुमान को जारी किया है। आईएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथन ने कहा है कि भारत सहित कई देशों में छाई सुस्ती का असर दुनिया भर में देखने को मिल रहा है।

गोपीनाथ ने यह भी कहा कि 2020 में वैश्विक वृद्धि में तेजी अभी काफी अनिश्चित बनी हुई है। इसका कारण यह अर्जेन्टीना, ईरान और तुर्की जैसी दबाव वाली अर्थव्यवस्थाओं के वृद्धि परिणाम और ब्राजील, भारत और मेक्सिको जैसे उभरते और क्षमता से कम प्रदर्शन कर रहे विकासशील देशों की स्थिति पर निर्भर है।

अनुमान के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में भारत की विकास दर 4.8 फीसदी रहेगी। वहीं 2020 में 5.8 फीसदी और 2021 में इसके 6.5 फीसदी रहने की संभावना है। आईएमएफ ने कहा है कि अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के लिए भारत को जल्द से जल्द बड़े कदम उठाने की जरूरत है। इस संदर्भ में आईएमएफ ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था, ग्लोबल इकोनॉमिक ग्रोथ को बढ़ाने वाली अर्थव्यवस्था में से एक है, इसलिए भारत को तेजी से कदम उठाने होंगे।

मुद्राकोष ने कहा कि भारत में घरेलू मांग उम्मीद से हटकर तेजी से घटी है। इसका कारण एनबीएफसी में दबाव और कर्ज वृद्धि में नरमी है। गोपीनाथ ने कहा कि मुख्य रूप से गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र में नरमी तथा ग्रामीण क्षेत्र की आय में कमजोर वृद्धि के कारण भारत की आर्थिक वृद्धि दर अनुमान कम किया गया है।

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