"पानी की जंग " क्या पाक के मंसूबों पर फिरेगा पानी, क्या भारत के लिए संधि तोड़ना संभव है?
आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई का दबाव झेल रही सरकार ने सोमवार को सिंधु जल संधि को लेकर एक अहम बैठक बुलाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में विदेश और जल संसाधन मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों के अलावा इस संधि से जुड़े सभी अहम लोग शामिल होंगे। बैठक में पाकिस्तान की ओर झुकी इस ऐतिहासिक संधि के विभ्न्नि पहलुओं पर विचार किया जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक, अहम बैठक में जल संसाधन मंत्रालय पीएम को संधि के बारे में विस्तृत ब्योरा देगा। बैठक में संधि के फायदे और नुकसान पर भी बात की जाएगी। यह पहली बार हो रहा है जब भारत सरकार समझौते को लेकर शीर्ष स्तर पर बैठक कर रही है। गौरतलब है कि पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई के अलावा उस पर दबाव बनाने के अन्य उपायों में सिंधु जल्द संधि की समीक्षा को एक कारगर हथियार माना जा रहा है। इसके तहत सिंधु और उसकी पांच सहायक नदियों के पानी का बंटवारा किया गया है।
इन नदियों का करीब 80 फीसदी पानी पाकिस्तान को मिलता है और इसी से वहां के एक बड़े भू-भाग में पानी की जरूरत पूरी की जाती है। वैसे पाकिस्तान के साथ तीन-तीन जंग के बावजूद पिछले 56 साल से यह समझौता बदस्तूर जारी है। बृहस्पतिवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने भी कहा था कि ऐसी संधि को कायम रखने के लिए आपसी भरोसा और सहयोग की जरूरत रहती है।
इन नदियों का करीब 80 फीसदी पानी पाकिस्तान को मिलता है और इसी से वहां के एक बड़े भू-भाग में पानी की जरूरत पूरी की जाती है। वैसे पाकिस्तान के साथ तीन-तीन जंग के बावजूद पिछले 56 साल से यह समझौता बदस्तूर जारी है। बृहस्पतिवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने भी कहा था कि ऐसी संधि को कायम रखने के लिए आपसी भरोसा और सहयोग की जरूरत रहती है।