ऑस्ट्रेलिया का ऐतिहासिक फैसला: 16 साल से कम उम्र के बच्चों के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर सख्त कार्रवाई, कंपनियों को नोटिस

कैनबरा | बच्चों की डिजिटल सुरक्षा को लेकर ऑस्ट्रेलिया ने दुनिया के सामने इतिहास का सबसे कड़ा कदम उठाया है। देश में नए दिशा-निर्देश लागू होते ही 16 वर्ष से कम आयु के बच्चों के सोशल मीडिया अकाउंट्स बड़े पैमाने पर बंद होने शुरू हो गए हैं। सरकार का कहना है कि अब बच्चों को “डिजिटल दबाव से मुक्त बचपन” देना उसकी सर्वोच्च प्राथमिकता है।
प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज़ ने इस कदम को बच्चों के हित में “वैश्विक मिसाल” बताया।
उन्होंने कहा,
“हम चाहते हैं कि बच्चे डर, तनाव और तुलना की दुनिया में नहीं, बल्कि सुरक्षित वातावरण में बड़े हों। यदि दुनिया ऐसा कर सकती है तो ऑस्ट्रेलिया क्यों नहीं?”
कड़े नियम लागू: आयु सत्यापन अनिवार्य, कंपनियों को चेतावनी
नए नियमों के तहत सोशल मीडिया कंपनियों को उन्नत Age Verification तकनीक लागू करना अनिवार्य कर दिया गया है। यह भी तय किया गया है कि यदि प्लेटफॉर्म नाबालिगों के खातों को समय पर बंद नहीं करते या गलत उम्र बताकर अकाउंट बनाने की अनुमति देते हैं, तो उन्हें भारी आर्थिक दंड का सामना करना पड़ेगा।
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि अब बच्चों की ऑनलाइन गतिविधियों का उपयोग
डेटा प्रोसेसिंग,
विज्ञापन,
और एल्गोरिद्मिक कंटेंट प्रमोशन
के लिए नहीं किया जाएगा।
रिपोर्ट्स ने खोली गंभीर खामियाँ — मानसिक स्वास्थ्य पर बड़ा असर
सरकारी आयोग और अंतरराष्ट्रीय अध्ययनों के अनुसार सोशल मीडिया का बच्चों की मानसिक सेहत पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।
किशोरों में तनाव और चिंता के मामलों में दोगुनी बढ़ोतरी
60% बच्चों की नींद के पैटर्न में गिरावट
30% बच्चों के ऑनलाइन बुलिंग का शिकार होने की पुष्टि
10–24 वर्ष के युवाओं में आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं में सोशल मीडिया का योगदान
विशेषज्ञों का कहना है कि ऑनलाइन तुलना, लाइक्स का दबाव और नकारात्मक टिप्पणियाँ बच्चों को मानसिक संकट की ओर धकेल रही हैं।
माता-पिता का समर्थन: “समय की मांग था यह फैसला”
देशभर के अभिभावकों, मनोवैज्ञानिकों और शिक्षकों ने सरकार के फैसले का स्वागत किया है।
उनका कहना है कि बच्चों का स्क्रीन टाइम तेजी से बढ़ा है और सोशल मीडिया उन्हें “अपरिपक्व उम्र में वयस्कों की दुनिया” में धकेल रहा था।
कई माता-पिता ने कहा कि प्लेटफॉर्म्स पर नियंत्रण की कमी के कारण बच्चों के सामने हिंसा, नफरत और संवेदनशील कंटेंट आसानी से आ जाता है, जो उनके मानसिक विकास पर बुरा असर डाल रहा है।
स्कूलों की बड़ी चिंताएँ — बच्चों की सामाजिक क्षमता घट रही
शिक्षकों ने चेतावनी दी कि एल्गोरिद्म-आधारित कंटेंट बच्चों को स्क्रीन से जोड़कर रखता है, जिसका असर
खेलकूद,
बातचीत,
परिवार समय,
और रचनात्मक गतिविधियों
पर स्पष्ट दिख रहा है।
उनके अनुसार यह स्थिति शिक्षा जगत के लिए “खतरे का संकेत” बन चुकी थी।
अब आगे क्या? और भी कड़े होंगे नियम
सरकार ने संकेत दिया है कि आने वाले महीनों में इस नीति को और सख्त किया जाएगा।
टेक कंपनियों का तिमाही ऑडिट
बच्चों के ऑनलाइन समय को सीमित करने वाली तकनीक
माता-पिता के लिए डिजिटल सुरक्षा प्रशिक्षण
आदि कदम जल्द लागू किए जाएंगे।
ऑस्ट्रेलिया को उम्मीद है कि यह नीति अन्य देशों को भी बच्चों की डिजिटल सुरक्षा को गंभीरता से लेने के लिए प्रेरित करेगी।
संदेश साफ है — “तकनीक से पहले बच्चों की सुरक्षा”
ऑस्ट्रेलिया का यह बदलाव केवल एक कानून नहीं, बल्कि एक वैश्विक संदेश है कि डिजिटल युग में भी बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि है।
नई नीति के साथ सोशल मीडिया कंपनियों को अपनी रणनीतियाँ बदलनी ही होंगी और यह मॉडल दुनिया भर में डिजिटल सुरक्षा की दिशा तय कर सकता है।




