फ्रांस में ‘ब्लॉक एवरीथिंग’ आंदोलन से हंगामा, राजधानी पेरिस में बवाल

नेपाल में हिंसा थमी भी नहीं थी कि अब फ्रांस की राजधानी पेरिस में हालात बिगड़ गए। सोशल मीडिया से शुरू हुआ ‘ब्लॉक एवरीथिंग’ आंदोलन सड़कों पर उतर आया। विरोध कर रहे हजारों लोग राजधानी में जुटे और कई इलाकों में तोड़फोड़ व आगजनी की घटनाएं सामने आईं।
भारी पुलिस तैनाती और गिरफ्तारियां
स्थिति को नियंत्रित करने के लिए करीब 80,000 सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए। पुलिस ने उपद्रवियों को काबू करने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया। अब तक 200 से 295 तक लोगों को हिरासत में लेने की पुष्टि हुई है।
प्रदर्शन क्यों भड़के?
दरअसल, पूर्व प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बायरू ने बजट से 44 अरब यूरो (करीब 4 लाख करोड़ रुपये) की बचत योजना पेश की थी। इसमें सार्वजनिक खर्चों में कटौती और छुट्टियों को हटाने जैसे प्रस्ताव शामिल थे। इस फैसले की तीखी आलोचना हुई और संसद में विश्वास मत हारने के बाद बायरू को पद छोड़ना पड़ा।
राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने इसके बाद पूर्व रक्षा मंत्री सेबास्टियन लेकॉर्नु को नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया। लेकिन सरकार के इस बदलाव से गुस्से में प्रदर्शन और तेज हो गए।
राजधानी ठप करने की कोशिश
आंदोलनकारियों ने ‘पूरे शहर को बंद करने’ का आह्वान किया था। पेरिस समेत कई बड़े शहरों में सड़कों पर बैरिकेड लगाए गए, ट्रेनों की आवाजाही रोकी गई और बसों व वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया।
आंतरिक मंत्री का बयान
फ्रांस के आंतरिक मंत्री ब्रूनो रिटेलो ने कहा कि उपद्रवियों का मकसद शहर को पंगु करना था, लेकिन पुलिस ने समय रहते हालात काबू में कर लिए।
पुराना दर्द, नई आग
पेरिस में यह पहली बार नहीं है जब जनता का गुस्सा सड़कों पर फूटा हो।
2022 में पेंशन सुधारों के खिलाफ भारी आंदोलन हुआ था।
2023 में पुलिस गोली से एक युवक की मौत के बाद राजधानी में हिंसा भड़क गई थी।
इस बार भी हालात इतने ही गंभीर बताए जा रहे हैं, जिसने पूरे फ्रांस की सियासत और शासन पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।