भूरि-भूरि प्रशंसा
BY Anonymous21 Nov 2021 7:12 AM GMT
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Anonymous21 Nov 2021 7:12 AM GMT
जपते कभी बाजवा।
कभी जपते इमरान।।
शान में दुश्मन के वो।
करने लगे गुणगान।।
लगने लगा वो प्यारा।
कदम उसी के गढ़।
भूरि-भूरि प्रशंसा
कसीदे लगने पढ़।।
आखिर क्या है मंशा?
समझे क्या रणनीति।।
पीठ में घोपता खंजर।
जग जाहिर है स्थिति।।
देश के खातिर भी।
रखे वो सम्मान।।
सोच एवं विचार कर।
खोले अपनी जुबान।।
देश से बड़ा कोई।
होता नहीं है इंसान।।
औचित्य नही चलन।
आगे से रखे ध्यान।।
अभय सिंह। ..
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