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व्यंग ही व्यंग

बंगले में चिराग......बच गए अकेले

बंगले में चिराग......बच गए अकेले
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बंगले में चिराग।

बच गए अकेले।।

पशुपति पारस ने।

गजब खेल खेलें।।

दरक गई कुनबा।

कर दिया किनारा।।

पदों से कर विमुक्त।

अब हो गए बेचारा।।

खुलकर मनमुटाव।

गतिविधियां न ठीक।।

सक्रिय नहीं पार्टी।

स्थिति रही दिख।।

अंदरुनी बैठक में।

लिया गया निर्णय।।

सौंप दिया जो पत्र।

रस्ता अलग तय।।

दुविधा में हनुमान।

था नहीं अनुमान।।

आपसी जो कलह से।

धूमिल होता सम्मान।।

अभय सिंह ...

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