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राजा भैया की शिवपाल से मुलाकात के निहितार्थ

राजा भैया की शिवपाल से मुलाकात के निहितार्थ
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असदुद्दीन ओवैसी, ओम प्रकाश राजभर, चंद्रशेखर के बाद शिवपाल यादव ने अखिलेश यादव के धुर विरोधी माने जाने वाले कुंडा से विधायक रघुराज प्रताप सिंह (राजा भैया) से मुलाकात किया. यह मुलाकात भले ही गुरुवार को अचानक हुई हो, लेकिन इसके पीछे दोनों ही नेताओं के सियासी फायदे छिपे हुए हैं.

पिछले ढाई दशक से प्रतापगढ़ की सियासत को अपने हिसाब से चला रहे निर्दलीय विधायक व जनसत्ता पार्टी के अध्यक्ष राजा भैया के सामने इस बार अपने सियासी वर्चस्व को बचाए रखने की चुनौती है. 2022 के यूपी चुनाव में राजा भैया को न तो सपा का समर्थन होगा और न ही बीजेपी का वॉकओवर अखिलेश इस बार कुंडा में राजा भैया के करीबी रहे गुलशन यादव पर दांव लगाने की तैयारी कर रहे हैं. इसी के चलते राजा भैया अपना किला दुरुस्त करने में जुटे है

राजा भैया और शिवपाल दोनों के लिए इस बार का विधानसभा चुनाव काफी चुनौती पूर्ण बना हुआ है. राजा के सामने अपना दुर्ग बचाने की चिंता है तो शिवपाल यादव को अपनी सियासी वजूद का बचाए रखना है. ऐसे में माना जा रहा है कि दोनों ही नेता एक दूसरे के लिए सियासी संजीवनी बन सकते हैं.

पहले सपा कुंडा में उन्हें समर्थन देकर वॉकओवर देती रही, जिससे राजा भैया आसानी से कुंडा से जीतते रहे हैं. लेकिन, इस बार उनकी सियासी राह कठिन हो गई है. अखिलेश यादव के साथ राजा भैया के रिश्ते बिगड़ने के साथ प्रतापगढ़ की सियासत भी बदल रही है. राजा भैया के कुंडा और बाबागंज क्षेत्र में यादव मतदाताओं का दबदबा है. राजा भैया यादव, पासी, मुस्लिम और ठाकुर वोटरों के सहारे सियासी दबदबा कायम रखा था. वहीं, बसपा छोड़कर सपा में आए पूर्व मंत्री इंद्रजीत सरोज और राजा के कभी करीबी रहे गुलशन यादव और छविनाथ यादव उनके धुर विरोधी हो गए हैं.

अखिलेश ने छविनाथ को प्रतापगढ़ का सपा जिलाध्यक्ष बना रखा है तो कुंडा सपा की साइकिल दौड़ाने का जिम्मा इंद्रजीत सरोज पर है. सपा की सक्रियता से कुंडा सीट पर यादव वोटों के छिटकने का डर राजा भैया को साफ नजर आ रहा है. इसीलिए वो पिछले दिनों कुर्मी वोटों को साधने के लिए पहले पंचायत की कुर्सी पर प्रमोद तिवारी के समर्थन से कुर्मी समुदाय को जिताई और अब शिवपाल के जरिए यादव समुदाय के कुछ वोटों को अपने साथ जोड़ने की कवायद में है. 2022 चुनाव में शिवपाल का उन्हें समर्थन मिल जाता है तो यादव समाज को सियासी संदेश देने में सफल हो सकते हैं.

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