डबलिन में चमके उत्तर-पूर्वी भारत के ‘8 रत्न’ — व्यापार और पर्यटन को वैश्विक मंच पर गति देने वाला महत्वपूर्ण आयोजन

डबलिन (आयरलैंड) में भारतीय दूतावास द्वारा 25 नवंबर 2025 को उत्तर-पूर्वी भारत के “8 रत्नों” में उभरते व्यापार, निवेश और पर्यटन अवसरों पर केंद्रित एक हाइब्रिड अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस महत्वपूर्ण इवेंट में उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय (MDONER), इन्वेस्ट इंडिया, एंटरप्राइज आयरलैंड, आयरिश चैंबर्स ऑफ कॉमर्स, तथा भारत-आयरलैंड के प्रमुख व्यापार और उद्योग प्रतिनिधियों ने भाग लिया। उद्देश्य था—उत्तर-पूर्वी भारत की ताकत, सांस्कृतिक पहचान, प्राकृतिक समृद्धि और आर्थिक संभावनाओं को यूरोपीय बाजार के समक्ष प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करना।
उत्तर-पूर्व की क्षमताओं का संगठित प्रदर्शन
कार्यक्रम में DONER मंत्रालय और इन्वेस्ट इंडिया के वरिष्ठ अधिकारियों ने अपने प्रस्तुतीकरण में बताया कि हस्तकला, हथकरघा, परिधान, ऑर्गेनिक उत्पाद, हर्बल संसाधन, प्राकृतिक पर्यटन, सांस्कृतिक विरासत और उद्योग-व्यवसाय के क्षेत्र में उत्तर-पूर्व भारत के पास असीम संभावनाएँ हैं, जिनका उपयोग अंतरराष्ट्रीय बाजार से मजबूत आर्थिक संबंध स्थापित करने में किया जा सकता है।
उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारें निवेश-अनुकूल नीतियों, सक्रिय प्रशासन, और मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के माध्यम से उद्योग, व्यापार और पर्यटन को नई ऊर्जा दे रही हैं। एयरपोर्ट विस्तार, सड़क-कनेक्टिविटी और आधुनिक लॉजिस्टिक्स को प्राथमिकता देकर क्षेत्र को देश और विदेश के साथ जोड़ने के प्रयास तेज़ हुए हैं।
राजदूत अखिलेश मिश्रा का संबोधन — ‘लुक ईस्ट’ से आगे बढ़कर ‘एक्ट ईस्ट’ की रणनीति
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आयरलैंड में भारत के राजदूत H.E. श्री अखिलेश मिश्र ने कहा कि यह आयोजन अत्यंत उपयुक्त समय पर हुआ है, क्योंकि इस वर्ष आयरलैंड नागालैंड के विश्व-विख्यात ‘Hornbill Festival’ का पार्टनर देश है। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में उत्तर-पूर्व भारत की सोच और भूमिका में ऐतिहासिक बदलाव आया है।
उन्होंने कहा :
“भारत सरकार की नीति अब ‘Look East’ के दायरे से आगे निकलकर ‘Act East’ की बहुआयामी एवं समग्र रणनीति पर काम कर रही है। उत्तर-पूर्व भारत अब राष्ट्रीय विकास-नीति में केंद्रीय स्थान रखता है—सिर्फ भूगोल नहीं, बल्कि सामर्थ्य, संस्कृति और वैश्विक अवसरों का प्रतीक है।”
राजदूत मिश्र ने सुझाव दिया कि भूटान मॉडल की तरह उत्तर-पूर्व भारत में हाई-एंड, वेलनेस, एडवेंचर और ईको-टूरिज्म को विकसित किया जाना चाहिए। साथ ही, ऑर्गेनिक और हर्बल उत्पाद, हस्तशिल्प एवं पारंपरिक परिधान अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में अत्यधिक मांग रखते हैं, जिनका यूरोप जैसे विकसित देशों में निर्यात क्षेत्र की अर्थव्यवस्था बदल सकता है।
उन्होंने कहा कि स्थानीय उत्पादन में वैल्यू-एडिशन बढ़ाना, और वैश्विक गुणवत्ता मानकों के अनुरूप ब्रांडिंग करना समय की आवश्यकता है। भारतीय दूतावास ने ऐसे आर्थिक, निवेश और सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ाने में हर संभव सहयोग देने की प्रतिबद्धता जताई।
क्यों महत्वपूर्ण है यह आयोजन?
उत्तर-पूर्व भारत को वैश्विक स्तर पर नए निवेश और व्यावसायिक अवसरों का प्रवेश-द्वार मिलने का अवसर
भारत-आयरलैंड संबंधों के बीच व्यापार, तकनीक, सांस्कृतिक और पर्यटन सहयोग का विस्तार
स्थानीय उद्यमियों, कारीगरों, बुनकरों और स्टार्ट-अप्स के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुँचनें का मार्ग
क्षेत्र में रोज़गार, आर्थिक सशक्तिकरण और सामाजिक-सांस्कृतिक विकास की संभावनाओं में वृद्धि
“एक भारत श्रेष्ठ भारत”, किसान-से-ग्लोबल बाजार, तथा खेलो इंडिया व NCC जैसे कार्यक्रमों के जरिए भावनात्मक और सांस्कृतिक एकता मजबूत
डबलिन में आयोजित यह कार्यक्रम उत्तर-पूर्व भारत के लिए सिर्फ एक व्यापारिक पहल नहीं, बल्कि वैश्विक पहचान और आत्मनिर्भर विकास की दिशा में निर्णायक कदम है। यदि नीतियों, नवाचार, निवेश और अंतरराष्ट्रीय साझेदारी को सही दिशा में आगे बढ़ाया जाए, तो उत्तर-पूर्व भारत आने वाले समय में भारत की आर्थिक ऊँचाइयों और अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक सहयोग का नया केंद्र बन सकता है।




