अनिल अंबानी ग्रुप पर ईडी की बड़ी कार्रवाई : 3,000 करोड़ से अधिक की 40 संपत्तियां जब्त, मुंबई-दिल्ली की प्रमुख परिसंपत्तियां भी शामिल

डेस्क रिपोर्ट : विजय तिवारी
नई दिल्ली/मुंबई।
अनिल अंबानी के स्वामित्व वाले रिलायंस एडीए (Anil Dhirubhai Ambani) ग्रुप को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ा झटका दिया है। मनी लॉन्ड्रिंग जांच के तहत ईडी ने समूह की करीब ₹3,084 करोड़ मूल्य की 40 से अधिक संपत्तियों को अस्थायी रूप से जब्त कर लिया है। जब्त की गई संपत्तियों में मुंबई के पाली हिल स्थित अनिल अंबानी का आलीशान घर, दिल्ली के महाराजा रणजीत सिंह मार्ग पर स्थित रिलायंस सेंटर, और देशभर के कई शहरों में फैले फ्लैट, ऑफिस और भूखंड शामिल हैं।
मामला क्या है
ईडी ने यह कार्रवाई प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) 2002 के तहत की है। एजेंसी की जांच में सामने आया कि रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) और रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड (RCFL) के जरिए लिए गए बड़े कर्जों का उपयोग गड़बड़ी से किया गया। आरोप है कि इन कंपनियों ने Yes Bank और अन्य वित्तीय संस्थानों से हजारों करोड़ रुपये का ऋण लिया, जिसे बाद में समूह की ही सहयोगी और शेल कंपनियों में ट्रांसफर कर दिया गया।
जांच रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय दस्तावेजों में कई गड़बड़ियां, अपूर्ण सिक्योरिटी डिटेल्स और संदिग्ध ट्रांजैक्शनों के साक्ष्य मिले हैं। ईडी का दावा है कि यह “संगठित आर्थिक अपराध” का मामला है, जिसमें सार्वजनिक धन का दुरुपयोग कर निजी लाभ के लिए राउंड-ट्रिपिंग (round-tripping) की गई।
किन संपत्तियों पर गिरी ईडी की गाज
जिन 40 परिसंपत्तियों को ईडी ने अस्थायी रूप से अटैच किया है, उनमें—
मुंबई के पाली हिल क्षेत्र में अनिल अंबानी का व्यक्तिगत निवास।
दिल्ली स्थित रिलायंस सेंटर, जो ग्रुप का प्रमुख कॉर्पोरेट ऑफिस है।
नोएडा, गाजियाबाद, पुणे, ठाणे, चेन्नई, हैदराबाद और आंध्र प्रदेश के ईस्ट गोदावरी जैसे स्थानों पर वाणिज्यिक व आवासीय संपत्तियां।
इन सभी संपत्तियों का कुल मूल्य लगभग ₹3,084 करोड़ आंका गया है।
जांच का सिलसिला
ईडी ने अपनी जांच Yes Bank घोटाले और उससे जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस से जोड़ा है। आरोप है कि Yes Bank के जरिए समूह की कंपनियों को 2017 से 2019 के बीच लगभग ₹5,000 करोड़ का कर्ज दिया गया, जो बाद में एनपीए घोषित हुआ। जांच में यह भी सामने आया कि इन निधियों का एक बड़ा हिस्सा समूह से जुड़ी अन्य कंपनियों में कृत्रिम लेनदेन (fictitious lending) के रूप में पहुंचाया गया।
ईडी की टिप्पणी और आगे की कार्रवाई
ईडी ने इसे “इरादतन और लगातार नियंत्रण की विफलता” बताते हुए कहा कि समूह के शीर्ष स्तर पर निर्णय जानबूझकर लिए गए, जिससे निवेशकों और वित्तीय संस्थानों को नुकसान हुआ। एजेंसी अब इन संपत्तियों की विस्तृत मूल्यांकन रिपोर्ट तैयार कर रही है, जिसके बाद अदालत से स्थायी जब्ती (confiscation) की अनुमति मांगी जाएगी।
ग्रुप की प्रतिक्रिया
रिलायंस एडीए ग्रुप की ओर से अभी तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया जारी नहीं की गई है। हालांकि समूह से जुड़े सूत्रों ने संकेत दिया है कि “कंपनी सभी कानूनी प्रक्रियाओं में सहयोग करेगी और अपने पक्ष को अदालत में मजबूती से रखेगी।”
वित्तीय और प्रतिष्ठागत असर
इस कार्रवाई ने न सिर्फ अनिल अंबानी ग्रुप की वित्तीय विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न खड़े किए हैं, बल्कि बाजार में समूह के पुनर्गठन प्रयासों पर भी असर पड़ सकता है। जानकारों का मानना है कि यह मामला कॉर्पोरेट गवर्नेंस और बैंकिंग सेक्टर में पारदर्शिता को लेकर एक महत्वपूर्ण मिसाल बन सकता है।
अनिल अंबानी ग्रुप के खिलाफ ईडी की यह कार्रवाई देश के सबसे बड़े कॉर्पोरेट मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में से एक मानी जा रही है। जांच आगे बढ़ने के साथ यह तय होगा कि समूह के खिलाफ आरोप कितने ठोस हैं, लेकिन फिलहाल ईडी की यह कार्यवाही भारतीय वित्तीय प्रणाली में जवाबदेही और सख्ती की दिशा में एक अहम कदम साबित हो रही है।




