केंद्रीय कैबिनेट का ऐतिहासिक फैसला : 2027 की पहली डिजिटल जनगणना के लिए 11,718 करोड़ मंजूर, देशभर में 30 लाख कर्मचारियों की तैनाती – डेटा संग्रह व्यवस्था में बड़ा बदलाव

रिपोर्ट : विजय तिवारी
नई दिल्ली :
केंद्र सरकार ने देश की सबसे बड़ी डेटा-संग्रह प्रक्रिया को नए युग में ले जाने के लिए 2027 की जनगणना हेतु 11,718 करोड़ रुपये के विशाल बजट को मंजूरी दे दी है।
यह निर्णय केवल प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि भारत की जनगणना व्यवस्था में एक तकनीकी और प्रणालीगत क्रांति माना जा रहा है। पहली बार देश में जनगणना पूरी तरह डिजिटल माध्यमों से की जाएगी।
डिजिटल जनगणना : बदलने जा रहा है 140 करोड़ लोगों का डेटा रिकॉर्ड सिस्टम
यह पहली जनगणना होगी जिसमें कागज़ की जगह टैबलेट, मोबाइल ऐप, डिजिटल सर्वर और ऑनलाइन सिस्टम का उपयोग होगा।
गणनाकार मोबाइल ऐप के जरिए घर-घर जाकर डेटा दर्ज करेंगे।
डेटा एंट्री रियल-टाइम में सुरक्षित केंद्रीकृत सर्वर पर अपलोड होगी।
नागरिकों को स्व-उत्तर (Self Enumeration) का विकल्प भी मिलेगा, जिससे वे अपने विवरण सीधे ऑनलाइन दर्ज कर सकेंगे।
डिजिटल सिस्टम में मल्टी-लेयर सुरक्षा और डेटा एनक्रिप्शन का उपयोग किया जाएगा ताकि जानकारी पूरी तरह सुरक्षित रहे।
30 लाख कर्मचारियों की तैनाती – अब तक की सबसे बड़ी डिजिटल सर्वे टीम
सरकार इस मेगा प्रोजेक्ट के लिए देशभर में करीब 30 लाख प्रशिक्षित कर्मचारियों को तैनात करेगी।
इन्हें डिजिटल सर्वे टूल्स और तकनीक पर प्रशिक्षित किया जाएगा।
ग्रामीण व दूरस्थ इलाकों में अतिरिक्त तकनीकी सहायता टीम तैनात की जाएगी।
जनगणना के दौरान कर्मचारियों को रियल-टाइम सपोर्ट सिस्टम और हेल्पडेस्क भी उपलब्ध रहेगा।
बजट किस पर खर्च होगा?
11,718 करोड़ रुपये के इस बजट में कई तकनीकी और व्यवस्थागत सुधार शामिल हैं—
डिजिटल डिवाइस (टैबलेट/स्मार्ट डिवाइस) की खरीद
ऐप और डेटा प्रबंधन सिस्टम का विकास, प्रशिक्षण कार्यक्रम - डेटा सुरक्षा व सर्वर इंफ्रास्ट्रक्चर, फील्ड ऑपरेशन और लॉजिस्टिक सपोर्ट
इसके आंकड़े क्यों बेहद महत्वपूर्ण हैं?
इन आंकड़ों के आधार पर अगले कई वर्षों तक देश की नीतियाँ तय होंगी—
जनसंख्या का सटीक वितरण
शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास और रोजगार की स्थिति शहरीकरण और ग्रामीण विकास के पैमाने आर्थिक योजनाओं में संसाधनों का वैज्ञानिक आवंटन
सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की समीक्षा और विस्तार
कोविड-19 के कारण पहले स्थगित हुई जनगणना अब नई डिजिटल संरचना के साथ आगे बढ़ रही है, जो परिणामों को पहले से तेज़, विश्वसनीय और गहराई से प्रस्तुत करेगी।
डिजिटल जनगणना के प्रमुख लाभ, तेज़ और सटीक डेटा प्रोसेसिंग,
कागज़ी कामकाज का अंत, समय और लागत दोनों की बचत
डुप्लीकेट या गलत डेटा में भारी कमी, नीतिगत निर्णयों में तुरंत उपयोग योग्य विश्लेषण
पारदर्शी, सुरक्षित और हाई-टेक तरीके से डेटा प्रबंधन
सरकार का दावा है कि 2027 की यह डिजिटल जनगणना भारत की विकास रणनीति, नीति निर्माण और प्रशासनिक प्रणाली को नई ऊंचाई देने वाला निर्णायक मोड़ साबित होगी।




