चुनाव आयोग की अहम बैठक आज : 12 राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों में SIR की धीमी रफ्तार, समयसीमा बढ़ाने की तैयारी तेज

रिपोर्ट : विजय तिवारी
देशभर में मतदाता सूची के विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (Special Summary Revision – SIR) की प्रगति को लेकर चुनाव आयोग (ECI) आज दोपहर एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक आयोजित कर रहा है।
यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब आयोग को कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से मिली फील्ड-रिपोर्टों में स्पष्ट संकेत दिए गए हैं कि संशोधन कार्य निर्धारित टाइमलाइन के अनुरूप पूरा नहीं हो पा रहा।
सूत्रों के अनुसार, आयोग ने संबंधित राज्यों से विस्तृत ब्योरा मांगा है और बैठक में सभी पहलुओं पर चर्चा के बाद समयसीमा बढ़ाने का औपचारिक निर्णय लिया जा सकता है।
कौन से राज्य पीछे चल रहे हैं?
रिपोर्टों में 12 ऐसे राज्य और केंद्रशासित क्षेत्र चिन्हित किए गए हैं जहाँ SIR की रफ्तार लक्ष्य से काफी कम है —
अंडमान-निकोबार , छत्तीसगढ़ , गोवा, गुजरात, केरल, लक्षद्वीप, मध्य प्रदेश, पुडुचेरी, राजस्थान, तमिलनाडु , उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल
इन क्षेत्रों में कई जिलों ने चुनाव आयोग को बताया है कि नए पंजीकरण, एड्रेस सत्यापन, मृत मतदाताओं के नाम हटाने, स्थानांतरित मतदाताओं के रिकॉर्ड अपडेट करने जैसे कार्यों में उम्मीद के अनुसार प्रगति नहीं हुई।
मैदान-स्तर पर सामने आई चुनौतियाँ
चुनाव आयोग और राज्य निर्वाचन कार्यालयों की संयुक्त समीक्षा में कई जमीनी समस्याएँ सामने आई हैं—
1. स्टाफ की कमी और प्रशासनिक व्यस्तता
कई जिलों में BLO (ब्लॉक लेवल ऑफिसर्स) की तैनाती सीमित रही। स्थानीय कार्यक्रम, पंचायत गतिविधियाँ और सरकारी योजनाओं के चलते फील्ड टीमों का पूरा ध्यान SIR पर नहीं रह पाया।
2. मौसम और त्योहारी प्रभाव
दक्षिण और पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों में भारी बारिश तथा कई राज्यों में त्योहारों के कारण फील्ड वेरिफिकेशन प्रभावित हुआ।
3. तकनीकी बाधाएँ
ऑनलाइन पंजीकरण और दस्तावेज सत्यापन वाले पोर्टल पर कुछ राज्यों ने सर्वर रिस्पॉन्स में धीमेपन, डेटा अपलोड में देरी और लोकेशन वेरिफिकेशन जैसी तकनीकी दिक्कतें रिपोर्ट की हैं।
4. स्थानीय राजनीतिक गतिविधियाँ
कुछ राज्यों में हालिया राजनीतिक कार्यक्रमों और कानून-व्यवस्था की परिस्थितियों ने चुनावी स्टाफ को मैदान-स्तर पर कार्य करने से रोका।
बैठक में क्या हो सकता है बड़ा फैसला?
चुनाव आयोग आज की बैठक में निम्न विकल्पों पर गंभीरता से विचार करेगा—
SIR की अंतिम तारीख दो से चार सप्ताह बढ़ाना।
जिन जिलों की प्रगति सबसे कमजोर है, वहाँ अतिरिक्त पर्यवेक्षक और BLO उपलब्ध करवाना।
राज्यों को निर्देश कि वे प्रतिदिन प्रगति रिपोर्ट भेजें और विशेष निगरानी टीमें गठित करें।
तकनीकी खामियों को दूर करने के लिए NIC और टेक्निकल सपोर्ट यूनिट को अलर्ट मोड पर रखना।
सूत्रों के अनुसार, आयोग यह सुनिश्चित करना चाहता है कि आधी-अधूरी जानकारी के आधार पर मतदाता सूची जारी न करनी पड़े।
समयसीमा बढ़ने से क्या होगा असर?
युवाओं को मौका : 18+ होने वाले नए मतदाताओं को पंजीकरण का अतिरिक्त समय मिलेगा।
सूची की शुद्धता बढ़ेगी: मृत, डुप्लीकेट या स्थानांतरित नामों को हटाने का पूरा अवसर मिलेगा।
चुनावी तैयारी मजबूत होगी: त्रुटिरहित मतदाता सूची, चुनाव प्रबंधन और मतदान केंद्रों की योजना को अधिक प्रभावी बनाएगी।
राज्यों का दबाव कम होगा: जिन जिलों में कार्य धीमा था, वे निर्धारित मानकों तक पहुँच सकेंगे।
चुनाव आयोग का संदेश
आयोग लगातार दोहराता रहा है कि लोकतंत्र की मजबूती सीधे सटीक मतदाता सूची पर निर्भर है। इसलिए संशोधन कार्य में जल्दबाज़ी के बजाय गुणवत्ता पर ज़ोर देने का फैसला लिया जा सकता है। आज की बैठक से SIR प्रक्रिया को लेकर महत्वपूर्ण दिशा तय होगी।




