देशभर में ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के नए नामकरण पर चर्चा तेज, सरकार कर रही व्यापक समीक्षा

रिपोर्ट : विजय तिवारी
नई दिल्ली :
ग्रामीण विकास के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के नाम में बदलाव को लेकर केंद्र स्तर पर मंथन तेज हो गया है। हालिया सूचनाओं और आधिकारिक स्रोतों के संकेत बताते हैं कि सरकार योजना को नई पहचान देने और इसके उद्देश्य को अधिक सशक्त रूप में प्रस्तुत करने के लिए नामकरण में परिवर्तन पर गंभीरता से विचार कर रही है। नए नाम के रूप में “पूज्य बापू ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (PBGRGY)” को प्रस्तावित बताया जा रहा है।
यह पहल प्रशासनिक बदलाव से अधिक नीतिगत पहचान और राष्ट्रीय स्तर पर ब्रांडिंग सुधार से जुड़ी मानी जा रही है।
नाम बदलने का उद्देश्य—राष्ट्रीय विकास मॉडल से जुड़ी बड़ी परिकल्पना
सूत्रों के अनुसार, ग्रामीण भारत की सामाजिक - आर्थिक संरचना को मजबूत करने के लिए सरकार गांधीवादी सिद्धांतों पर आधारित रोजगार मॉडल को अधिक स्पष्ट और भावनात्मक जुड़ाव के साथ प्रस्तुत करना चाहती है।
“पूज्य बापू” शब्द जोड़ने का उद्देश्य योजना को ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संदर्भ में अधिक प्रभावशाली रूप देना है।
ग्रामीण श्रमिकों के लिए सम्मान, स्वावलंबन और सामुदायिक विकास जैसी अवधारणाएं इस योजना के मूल में पहले से मौजूद हैं, जिन्हें नए नाम के माध्यम से राष्ट्रीय पहचान का हिस्सा बनाया जा सकता है।
यह नामकरण सरकार की ग्रामीण केंद्रित नीतियों को एकीकृत करने और नागरिकों के बीच योजनाओं को सरल व समझने योग्य बनाने की दिशा में भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
योजना की मूल संरचना में किसी बदलाव की संभावना नहीं
चर्चा के दौरान यह स्पष्ट किया जा रहा है कि केवल नाम परिवर्तन पर विचार हो रहा है, जबकि योजना की मौजूदा संरचना जस की तस बनी रहेगी।
प्रत्येक ग्रामीण परिवार को साल में निश्चित संख्या में रोजगार दिवस उपलब्ध कराने का प्रावधान यथावत रहेगा।
भुगतान प्रणाली, जॉब कार्ड, कार्य स्वीकृति प्रक्रिया और पारदर्शिता से जुड़े नियमों में किसी बड़े बदलाव की बात सामने नहीं आई है।
ग्रामीण स्तर पर बुनियादी ढांचा निर्माण, जल संरक्षण, कृषि सुधार तथा सामुदायिक कार्यों की प्रकृति भी पहले की तरह जारी रहेगी।
प्रशासनिक व्यवस्था को भी पूर्ववत बनाए रखने का संकेत दिया गया है, ताकि लाभार्थियों पर किसी प्रकार का प्रभाव न पड़े।
ग्रामीण भारत की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव—योजना का राष्ट्रीय महत्व
यह रोजगार गारंटी योजना देश के करोड़ों ग्रामीण परिवारों के लिए आर्थिक सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करती रही है।
कठिन आर्थिक परिस्थितियों में भी यह योजना ग्रामीण खपत को स्थिर रखने में मदद करती है।
श्रमिकों को सीधे बैंक खातों में भुगतान से पारदर्शिता बढ़ी और नकद भुगतान से जुड़े विवाद कम हुए।
जल संरक्षण, सड़क निर्माण, खेत सुधार और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन जैसे कार्यों ने स्थानीय अर्थव्यवस्था को सशक्त किया।
महामारी और अन्य संकटों के दौरान भी इस योजना ने लाखों परिवारों को तात्कालिक रोजगार उपलब्ध कराया, जिससे ग्रामीण क्षेत्र में पलायन कम हुआ।
योजना की व्यापकता और प्रभाव को देखते हुए नाम परिवर्तन को राष्ट्रीय स्तर पर नीतिगत पुनर्संरचना नहीं बल्कि पहचान उन्नयन माना जा रहा है।
नामकरण प्रक्रिया—आगे की संभावित रूपरेखा
आधिकारिक संकेत बताते हैं कि—
नाम परिवर्तन का प्रारूप अभी समीक्षा चरण में है।
अंतिम निर्णय संबंधित विभागों की सहमति और उच्चस्तरीय बैठक के बाद ही लिया जाएगा।
स्वीकृति मिलने पर सूचना तंत्र, पोर्टल, दस्तावेज़ और फील्ड स्तर के कम्युनिकेशन में नए नाम का चरणबद्ध बदलाव किया जा सकता है।
योजना की पहुंच और प्रभाव को देखते हुए बदलाव को लागू करने से पहले राज्यों के साथ समन्वय भी आवश्यक होगा।
ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना का संभावित नया नाम PBGRGY राष्ट्रीय विकास मॉडल को ऐतिहासिक और सांस्कृतिक प्रतीकों के साथ जोड़ने की व्यापक रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
इस कदम से योजना की पहचान और उद्देश्य दोनों को नए रूप में मजबूती मिल सकती है, जबकि इसके लाभार्थियों के अधिकार, लाभ और कार्यप्रणाली पहले की तरह जारी रहेंगे।




