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संचार साथी ऐप विवाद पर सरकार का विस्तृत जवाब — जासूसी के आरोप निराधार : संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया बोले, “निगरानी असंभव, ऐप पूरी तरह वैकल्पिक”

संचार साथी ऐप विवाद पर सरकार का विस्तृत जवाब — जासूसी के आरोप निराधार : संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया बोले, “निगरानी असंभव, ऐप पूरी तरह वैकल्पिक”
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रिपोर्ट : विजय तिवारी

नई दिल्ली।

संसद के शीतकालीन सत्र में बुधवार को संचार साथी ऐप को लेकर विपक्ष द्वारा उठाए गए जासूसी संबंधी आरोपों पर केंद्र सरकार ने विस्तृत स्पष्टीकरण दिया। लोकसभा में चर्चा के दौरान केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने कहा कि ऐप का उद्देश्य नागरिकों की सुरक्षा और टेलीकॉम नेटवर्क में पारदर्शिता बढ़ाना है, न कि किसी भी प्रकार की निगरानी या डेटा-जासूसी करना।

सिंधिया ने स्पष्ट और कठोर स्वर में कहा—

“संचार साथी ऐप से किसी भी नागरिक की निगरानी या जासूसी करना न तो तकनीकी रूप से संभव है और न ही सरकार की ऐसी कोई मंशा है। यह ऐप पूरी तरह वैकल्पिक है, और उपयोगकर्ता अपनी इच्छा से इसे इंस्टॉल, सक्रिय या हटाने के लिए स्वतंत्र है।”

सरकार का विस्तृत पक्ष -

मंत्री ने बताया कि संचार साथी ऐप को डिजिटल सुरक्षा और मोबाइल फ्रॉड से लड़ने के उद्देश्य से विकसित किया गया है। उन्होंने कहा कि देश में बढ़ते साइबर अपराध, फर्जी सिम सक्रियता, मोबाइल चोरी और IMEI-क्लोनिंग को रोकने के लिए यह ऐप एक बेहद उपयोगी उपकरण साबित हो सकता है।

उन्होंने संसद में आंकड़ों के साथ बताया कि—

अब तक 1.2 करोड़ से अधिक चोरी या खोए मोबाइल की शिकायतें ऐप के माध्यम से दर्ज की जा चुकी हैं।

सैकड़ों नकली IMEI वाले मोबाइल नेटवर्क से ब्लॉक किए गए हैं।

हजारों नागरिकों को फ्रॉड कॉल और सिम धोखाधड़ी से राहत मिली है

सिंधिया ने कहा कि ऐप के उपयोग से नागरिक अपने मोबाइल को ब्लॉक या ट्रैक कर सकते हैं, सिम को बंद करा सकते हैं और साइबर अपराध में उपयोग किए जा रहे नंबरों की पहचान हो सकती है।

विवाद की पृष्ठभूमि -

कुछ दिनों पूर्व सरकार ने स्मार्टफोन कंपनियों को निर्देश जारी किया था कि ऐप को प्री-इंस्टॉल किया जाए। इसके बाद विपक्ष और नागरिक संगठनों ने इसे निजता-उल्लंघन और संभावित निगरानी का खतरा बताते हुए तीखी आपत्ति जताई।

विपक्ष ने आरोप लगाया कि ऐप द्वारा मांगी गई व्यापक अनुमतियाँ (permissions) — जैसे संपर्कों तक पहुंच, संदेश, और फोन जानकारी — “संभावित रूप से डेटा संग्रहण और राजनीतिक निगरानी का उपकरण” बन सकती हैं।

सरकार ने निर्देश वापस लिए -

जन आक्रोश, विरोध प्रदर्शनों और सार्वजनिक बहस के बाद सरकार ने घोषणा की कि :

ऐप अनिवार्य रूप से फोन में इंस्टॉल नहीं रहेगा

कोई भी उपयोगकर्ता इसे डाउनलोड करने के लिए बाध्य नहीं होगा

तकनीकी दिशानिर्देश और डेटा-नीतियाँ पारदर्शी तरीके से सुधार की प्रक्रिया में हैं

सिंधिया ने कहा—

“हम लोकतंत्र में विश्वास रखते हैं और नागरिकों की गोपनीयता हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।”

ऐप से उपयोगकर्ताओं को क्या लाभ?

सुविधा उद्देश्य -

CEIR डेटाबेस से फोन ट्रैकिंग खोए/चोरी मोबाइल का पता लगाना

ब्लॉक/अनब्लॉक सुविधा अपराध में उपयोग रोकना

फर्जी IMEI की पहचान मोबाइल बाजार में पारदर्शिता

फ्रॉड रिपोर्टिंग सिस्टम साइबर ठगी पर नियंत्रण

सरकार ने कहा है कि ऐप के कोड और डेटा-प्रोटेक्शन नीतियाँ विशेषज्ञों द्वारा समीक्षा के लिए खोली जाएंगी। साथ ही उपयोगकर्ताओं की अनुमति और डेटा सुरक्षा पर स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे।

संचार साथी ऐप पर राजनीतिक विवाद जारी है, लेकिन संसद में दिए गए मंत्री के विस्तृत बयान से यह स्पष्ट हुआ कि सरकार ऐप को सुरक्षा उपकरण के रूप में आगे बढ़ाना चाहती है, जबकि विपक्ष इसे गोपनीयता का खतरा मानता है। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि तकनीकी पारदर्शिता और डेटा-सुरक्षा के स्तर पर सरकार अपने वादों को कैसे लागू करती है।

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