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बांग्लादेश की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल का बड़ा फैसला: पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराधों में मौत की सज़ा

बांग्लादेश की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल का बड़ा फैसला: पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराधों में मौत की सज़ा
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डेस्क रिपोर्ट : विजय तिवारी

ढाका।

बांग्लादेश की International Crimes Tribunal-1 (ICT-1) ने पूर्व प्रधानमंत्री और अवामी लीग की लंबे समय तक प्रमुख रही शेख हसीना को 2024 के छात्र आंदोलन के दौरान हुई हिंसक घटनाओं में उनकी भूमिका को लेकर मानवता के विरुद्ध अपराधों (Crimes Against Humanity) में दोषी करार देते हुए मृत्युदंड सुनाया है।

फैसला 17 नवंबर 2025 को ढाका में सुरक्षा व्यवस्था के बीच सुनाया गया।

सुनवाई ‘इन-एब्सेंशिया’ में हुई

शेख हसीना इस समय बांग्लादेश में मौजूद नहीं थीं।

उनकी अनुपस्थिति में पूरा मुकदमा चलाया गया, जिसे देश के कानून में in absentia trial कहा जाता है।

अदालत ने कहा कि सभी नोटिस, समन और कानूनी प्रक्रियाएँ जारी की गई थीं, पर हसीना पेश नहीं हुईं।

2024 के आंदोलन से जुड़े आरोप साबित हुए

न्यायाधिकरण ने जिन मुख्य आरोपों को साबित माना, उनमें शामिल हैं—

1. छात्रों और नागरिकों पर व्यापक कार्रवाई की अनुमति

अदालत के अनुसार, 2024 के दौरान

सुरक्षा बलों की लाइव फायरिंग,

हेलीकॉप्टर से ऑपरेशन,

ड्रोन का उपयोग,

और दमनात्मक बल

ठीक केंद्रीय नेतृत्व और प्रशासन के आदेश पर चलाए गए।

2. मौतों और गंभीर चोटों की ज़िम्मेदारी

ट्रिब्यूनल ने माना कि सरकार के नियंत्रण में चल रहे बलों के कारण कई छात्रों की मौत और बड़ी संख्या में लोग घायल हुए।

इसे अदालत ने “नागरिक आबादी के खिलाफ संगठित हिंसा” माना।

3. हिंसा रोकने और दोषियों पर कार्रवाई न करने की विफलता

अदालत ने कहा कि प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए हसीना के पास हिंसा रोकने का अधिकार था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।

यह अंतरराष्ट्रीय कानून में command responsibility की श्रेणी में आता है।

अन्य आरोपियों को भी सज़ा

उसी मामले में

तत्कालीन गृह मंत्री Asaduzzaman Khan को भी मौत की सज़ा दी गई,

जबकि पूर्व पुलिस प्रमुख को 5 वर्ष की कैद की सज़ा सुनाई गई।

यह बांग्लादेश के इतिहास में पहली बार है जब एक पूर्व प्रधानमंत्री को मानवता-विरुद्ध अपराध में मृत्युदंड सुनाया गया है।

ढाका में हाई सिक्योरिटी, तनावपूर्ण माहौल

फैसले के दिन राजधानी ढाका में भारी सुरक्षा तैनात रही—

पुलिस, RAB और अर्धसैनिक बलों की अतिरिक्त नियुक्ति

संवेदनशील इलाकों में नाकेबंदी और ड्रोन निगरानी

संभावित विरोध को देखते हुए कई इलाकों में कड़े प्रतिबंध

ट्रिब्यूनल परिसर के बाहर भी सुरक्षा व्यवस्था कड़ी थी।

अवामी लीग की कड़ी प्रतिक्रिया

शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग ने फैसले को “पूर्वनिर्धारित”, “राजनीतिक” और “निष्पक्षता से दूर” बताया।

पार्टी नेताओं ने कहा कि यह फैसला विरोधियों को मजबूत करने का प्रयास है।

हसीना की ओर से जारी बयान में इसे “पक्षपातपूर्ण और अनुचित” बताया गया।

मानवाधिकार संगठनों की चिंताएँ

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी फैसले पर प्रतिक्रिया आई है।

मानवाधिकार संगठनों ने

मृत्युदंड के प्रयोग,

in absentia सुनवाई,

और ट्रायल की पारदर्शिता

को लेकर चिंता व्यक्त की है।

कुछ समूहों ने कहा कि इस तरह का मुकदमा अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप होना चाहिए।

बांग्लादेश की राजनीति में बड़ा झटका

राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार—

यह फैसला देश की आंतरिक स्थिरता को प्रभावित करेगा,

अवामी लीग और विपक्ष के बीच तनाव बढ़ेगा,

आगामी चुनाव और सत्ता संतुलन पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा।

शेख हसीना, जो लंबे समय तक सत्ता में रहीं, उनकी गैरमौजूदगी में राजनीतिक समीकरण पहले से ही बदल रहे हैं।

क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय असर

विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि

दक्षिण एशिया के भू-राजनीतिक समीकरण,

व्यापार,

सीमा सुरक्षा,

और कूटनीतिक संबंध

इस फैसले से प्रभावित हो सकते हैं।

विशेष रूप से भारत-बांग्लादेश संबंधों पर इसके असर को लेकर चर्चाएँ तेज हैं, क्योंकि हसीना भारत की करीबी सहयोगी मानी जाती रही हैं।

बांग्लादेश की विशेष अदालत का यह फैसला देश के इतिहास में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

पूर्व प्रधानमंत्री को मानवता-विरुद्ध अपराध में दोषी ठहराना न केवल न्यायिक, बल्कि राजनीतिक और कूटनीतिक रूप से भी बड़ा कदम है।

फैसले के बाद देश में तनाव की स्थिति बनी हुई है, और आने वाले समय में इसके प्रभाव और भी स्पष्ट होंगे।

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