भारत-नेपाल सीमा वार्ता दिल्ली में शुरू — सीमा सुरक्षा, अपराध नियंत्रण और खुफिया समन्वय पर होगी व्यापक चर्चा

डेस्क रिपोर्ट : विजय तिवारी
नई दिल्ली।
भारत और नेपाल के बीच वार्षिक सीमा वार्ता आज (12 नवंबर) से नई दिल्ली में शुरू हो गई है। यह उच्च-स्तरीय बैठक तीन दिनों तक चलेगी, जिसमें दोनों देशों के शीर्ष सुरक्षा बल — भारत के सशस्त्र सीमा बल (SSB) और नेपाल के आर्म्ड पुलिस फोर्स (APF) — के वरिष्ठ अधिकारी भाग ले रहे हैं। इस वार्ता को क्षेत्रीय सुरक्षा और पारस्परिक विश्वास बढ़ाने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
भारत की ओर से बैठक की अगुवाई एसएसबी के महानिदेशक संजय सिंगल कर रहे हैं, जबकि नेपाल की ओर से एपीएफ के इंस्पेक्टर जनरल राजू आर्यल अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ शामिल हुए हैं।
बैठक में सीमा पार अपराधों, मादक पदार्थों की तस्करी, मानव तस्करी, नकली मुद्रा, अवैध व्यापार और दोनों देशों की साझा सीमाओं पर रियल-टाइम खुफिया जानकारी साझा करने की प्रणाली को सुदृढ़ करने जैसे मुद्दों पर चर्चा हो रही है। इसके साथ ही, संयुक्त सीमा प्रबंधन को और प्रभावी बनाने तथा सीमा पर शांति और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के उपायों पर भी मंथन किया जा रहा है।
अधिकारियों के मुताबिक, बैठक के दौरान सीमा पर संयुक्त गश्त, सूचना आदान-प्रदान तंत्र और प्रवर्तन एजेंसियों के बीच समन्वय बढ़ाने पर सहमति बनने की संभावना है। यह वार्ता ऐसे समय में हो रही है जब दिल्ली ब्लास्ट के बाद सीमावर्ती इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था और चौकसी बढ़ा दी गई है।
उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में भारत-नेपाल सीमा पर सुरक्षा जांच को और कड़ा किया गया है।
एसएसबी कमांडेंट गंगा सिंह उमावत ने बताया —
“सीमा पर हर उस मार्ग पर जवान तैनात हैं, जहां से घुसपैठ की आशंका हो सकती है। घटना के बाद हमने विशेष पेट्रोलिंग और निगरानी चौकियों की संख्या बढ़ा दी है। लोगों को केवल सख्त जांच के बाद ही सीमा पार करने की अनुमति दी जा रही है। सीसीटीवी कैमरों के साथ-साथ हमने मानव खुफिया तंत्र को भी और मजबूत किया है।”
गौरतलब है कि भारत-नेपाल सीमा 1,751 किलोमीटर लंबी खुली सीमा है, जिसकी निगरानी सशस्त्र सीमा बल (SSB) करती है। वहीं, 699 किलोमीटर लंबी भारत-भूटान सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी एसएसबी के पास है। पिछली वार्षिक सीमा वार्ता नवंबर 2024 में काठमांडू में आयोजित हुई थी।
इस बार की बैठक से उम्मीद की जा रही है कि यह दोनों देशों के बीच सीमा सुरक्षा सहयोग को नई दिशा देगी और क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता को और मजबूती प्रदान करेगी।




