Janta Ki Awaz
राष्ट्रीय

सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों को मनमाने समन से बचाने के लिए नई गाइडलाइंस जारी कीं

सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों को मनमाने समन से बचाने के लिए नई गाइडलाइंस जारी कीं
X

नई दिल्ली, 31 अक्टूबर 2025:

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक अहम आदेश जारी करते हुए जांच एजेंसियों को निर्देश दिया है कि वे आपराधिक मामलों में आरोपियों को दी गई कानूनी सलाह के आधार पर वकीलों को मनमाने तरीके से समन जारी न करें। अदालत ने कहा कि वकील और क्लाइंट के बीच की गोपनीय बातचीत (attorney–client communication) न्यायिक प्रक्रिया का अभिन्न हिस्सा है और इसका उल्लंघन नहीं किया जा सकता।

🔹 जांच एजेंसियों के लिए सख्त नियम

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) की धारा 132 वकीलों को विशेष अधिकार देती है कि वे अपने क्लाइंट के साथ हुए प्रोफेशनल कम्युनिकेशन को गोपनीय रखें। इसलिए अब किसी भी जांच अधिकारी — चाहे वह इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर हो या स्टेशन हाउस ऑफिसर (SHO) — को यह अधिकार नहीं होगा कि वह किसी वकील को सिर्फ इस आधार पर समन भेजे कि उसने आरोपी को कानूनी सलाह दी है।

अगर किसी मामले में समन जारी करना जरूरी हो, तो यह तभी किया जा सकेगा जब वह धारा 132 के किसी अपवाद (exception) के दायरे में आता हो। ऐसा करने से पहले सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस (SP) या उससे ऊपर के अधिकारी की लिखित मंजूरी आवश्यक होगी, जिसमें यह बताया जाएगा कि अपवाद लागू क्यों किया गया है।

🔹 समन पर ज्यूडिशियल रिव्यू का अधिकार

अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि किसी वकील या क्लाइंट को लगता है कि समन अनुचित है, तो वे भारत न्याय संहिता (BNSS) की धारा 528 के तहत ज्यूडिशियल रिव्यू के लिए अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं।

🔹 किन वकीलों को मिलेगी सुरक्षा

यह सुरक्षा उन सभी वकीलों को मिलेगी जो किसी मुकदमे, गैर-मुकदमेबाजी या प्री-लिटिगेशन (पूर्व मुकदमे) प्रक्रिया में कानूनी सलाह दे रहे हैं। हालांकि, वकील के कब्जे में रखे गए दस्तावेज़ धारा 132 के तहत विशेषाधिकार प्राप्त नहीं होंगे और अदालत या जांच एजेंसी उन्हें साक्ष्य के रूप में मांग सकती है।

🔹 इन-हाउस वकील पर लागू नहीं होगा पूर्ण विशेषाधिकार

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इन-हाउस वकील, जो किसी कंपनी या संगठन में कर्मचारी के तौर पर कार्य करते हैं, उन्हें धारा 132 के तहत वही सुरक्षा नहीं मिलेगी जो स्वतंत्र रूप से अभ्यास करने वाले वकीलों को दी गई है।

हालांकि, वे धारा 134 BSA के तहत कुछ हद तक संरक्षण के हकदार होंगे, जब वे किसी कानूनी अधिकारी या सलाहकार के रूप में राय दे रहे हों।

🔹 अदालत का संदेश

अदालत ने कहा कि जांच एजेंसियों को “क्लाइंट-वकील गोपनीयता” का सम्मान करना चाहिए और वकीलों को डराने या जांच में बाधा डालने के लिए समन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

Next Story
Share it