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उत्तर प्रदेश

UP पंचायत चुनाव को लेकर तैयारियां तेज, 500 नई पंचायतों के साथ 75 नए ब्लॉक प्रमुख का होगा चयन

UP पंचायत चुनाव को लेकर तैयारियां तेज, 500 नई पंचायतों के साथ 75 नए ब्लॉक प्रमुख का होगा चयन
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उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव 2026 की तैयारियां तेज हो गई हैं. पंचायतीराज विभाग और ग्राम्य विकास विभाग ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है. इस बार प्रदेश में 500 नई ग्राम पंचायतों का गठन किया जाएगा. इसके साथ ही 75 नए ब्लॉक भी बनाए जाएंगे, जिससे इतने ही नए ब्लॉक प्रमुख चुने जाएंगे.

पंचायतीराज विभाग के अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश में पंचायतों के पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. हर जिले के जिलाधिकारी और जिला पंचायतीराज अधिकारियों से 5 जून तक रिपोर्ट मांगी गई है. अधिकारियों का कहना है कि जिन ग्राम पंचायतों की आबादी ज्यादा है, उन्हें अलग कर नई ग्राम पंचायतें बनाई जाएंगी. एक पंचायत में कम से कम 1000 की आबादी होनी चाहिए. इस हिसाब से करीब 500 नई पंचायतें तैयार की जाएंगी.

प्रदेश में नए ब्लॉक बनने से बढ़ेगी इनकी संख्या

बता दें कि 2021 में हुए पंचायत चुनाव के दौरान यूपी में 58,189 ग्राम पंचायतें और 826 ब्लॉक (विकासखंड) थे. लेकिन नगरीय निकाय चुनाव के दौरान सरकार ने 107 नई नगर पंचायतें बनाई थीं. इस वजह से 494 ग्राम पंचायतों को शहरी सीमा में मिला दिया गया. अब प्रदेश में 57,695 ग्राम पंचायतें बची हैं.

वहीं, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने 2022 में 75 नए ब्लॉक बनाने की घोषणा की थी. उनका कहना था कि कुछ ब्लॉक बहुत बड़े हैं, जिससे वहां विकास कार्यों में दिक्कत आती है. बड़े ब्लॉक से कुछ ग्राम पंचायतों को अलग कर नए ब्लॉक बनाए जाएंगे. नए ब्लॉक बनने से यूपी में ब्लॉक की संख्या 826 से बढ़कर 901 हो जाएगी.

पंचायत चुनाव को लेकर राजनीति के जानकारों ने क्या कहा?

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यह पंचायत चुनाव 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है. इसलिए सरकार की ओर से पंचायतों और ब्लॉकों का पुनर्गठन इस तरह किया जा रहा है कि इसका फायदा विधानसभा चुनाव में भी मिले. पंचायतीराज विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह पहले से होता आया है कि सत्तारूढ़ दल के हिसाब से ही पंचायतों और ब्लॉकों का पुनर्गठन होता है. वोट बैंक को देखते हुए नए ब्लॉक बनाए जाते हैं.

राज्य निर्वाचन आयोग के पूर्व आयुक्त एसके अग्रवाल का कहना है कि पंचायतों के पुनर्गठन में राजनीतिक और प्रशासनिक वजहें दोनों होती हैं. उधर, राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस बार भाजपा की सहयोगी पार्टियां, अपना दल (एस), निषाद पार्टी और सुभासपा अपने दम पर पंचायत चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी हैं. ये पार्टियां एनडीए से अलग क्यों हो रही हैं, इस पर चर्चा शुरू हो गई है. इसका असर 2027 के विधानसभा चुनाव पर भी पड़ेगा.

ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन की प्रक्रिया में सपा, अपना दल, रालोद, सुभासपा, निषाद पार्टी और कांग्रेस के विधायक भी अपनी भूमिका निभा रहे हैं. सूत्रों के अनुसार, सरकार कोशिश कर रही है कि विपक्ष के वोट बैंक को एक जगह ज्यादा ताकतवर न होने दिया जाए. पंचायत चुनाव का माहौल धीरे-धीरे गर्माता जा रहा है. अब देखना होगा कि इस चुनावी गणित का असर 2027 में कितना दिखाई देगा.

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