PM नरेंद्र मोदी का उडुपी दौरा : आध्यात्म, सांस्कृतिक विरासत और राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रखर संदेश

रिपोर्ट : विजय तिवारी
कर्नाटक के उडुपी शहर में शुक्रवार को एक ऐतिहासिक आध्यात्मिक संगम देखने को मिला, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रसिद्ध श्री कृष्ण मठ का दौरा कर लक्ष कंठ गीता पारायण कार्यक्रम में सहभागिता की
इस अनूठे आयोजन में एक लाख से अधिक भक्तों, छात्रों, साधुओं और विद्वानों ने सामूहिक रूप से भगवद्-गीता का पाठ किया, जिससे पूरा मठ परिसर भक्ति, श्रद्धा और आध्यात्मिक अनुनाद से गूँज उठा। यह आयोजन देश में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में गीता-पाठ के सामूहिक स्वरुप के लिए यादगार बन गया।
सुवर्ण तीर्थ मंडप और कनक कवच का लोकार्पण
दौरे के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने मठ परिसर में नव-निर्मित सुवर्ण तीर्थ मंडप का उद्घाटन किया। इसके बाद प्रधानमंत्री ने पवित्र कनकना किंदी के लिए स्वर्ण-आवरण कनक कवच का लोकार्पण किया। यह वही पवित्र खिड़की है, जिसके बारे में मान्यता है कि 16वीं सदी के संत-कवि कनकदास को यहीं से भगवान कृष्ण के दिव्य दर्शन हुए थे, जब उन्हें मंदिर में प्रवेश से वंचित कर दिया गया था। यह स्थान आज समानता, समर्पण और भक्ति का अद्भुत प्रतीक माना जाता है।
संतों और विद्वानों की उपस्थिति में प्रधानमंत्री ने कहा :
“कनकना किंदी की यह परंपरा बताती है कि सच्ची भक्ति किसी दीवार या व्यवस्था की मोहताज नहीं होती, श्रद्धा स्वयं मार्ग बना लेती है।”
अध्यात्म और जीवन-नीति पर प्रधानमंत्री का संदेश
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा :
“गीता केवल एक ग्रंथ नहीं, जीवन जीने का विज्ञान है। आज जब एक लाख कंठ एक साथ गीता का उच्चारण करते हैं, वह ध्वनि आत्मिक शक्ति, मानसिक शांति और सामाजिक एकता का अनुभव कराती है।”
उन्होंने आगे कहा कि गीता को समझना केवल आध्यात्मिक आवश्यकता नहीं, बल्कि बेहतर राष्ट्र-निर्माण की दिशा में भी मार्गदर्शक प्रक्रिया है।
उन्होंने समाज से नौ संकल्प (Nine Resolutions) को अपनाने का आग्रह किया — जिनमें शामिल हैं :
जल संरक्षण और नदी-पुनरुद्धार
प्राकृतिक खेती को बढ़ावा
स्वदेशी उत्पादों का उपयोग
वंचित परिवारों को सहयोग
पर्यावरण सुरक्षा और वृक्षारोपण
योग, योग-शिक्षण और स्वस्थ जीवनशैली
सांस्कृतिक-धरोहर संरक्षण
धार्मिक-ऐतिहासिक स्थानों का दर्शन
भारतीय ग्रंथों और विचार-धाराओं का अध्ययन
देश की सुरक्षा पर कड़ा संदेश — शांति और शक्ति का संतुलन
राष्ट्रीय सुरक्षा पर बोलते हुए, प्रधानमंत्री ने दृढ़ शब्दों में कहा :
“भारत शांति चाहता है, विवाद नहीं। लेकिन यदि कोई दुश्मन दुस्साहस दिखाएगा, तो हमारा ‘सुदर्शन चक्र’ उसे तबाह कर देगा।”
उनका यह बयान स्पष्ट संकेत था कि भारत केवल आध्यात्मिक और सांस्कृतिक शक्ति में विश्वास करता है, परंतु देश की सुरक्षा और सम्मान की रक्षा के लिए उसकी तैयारियाँ पूरी और मजबूत हैं।
मठ का इतिहास और सांस्कृतिक महत्व
श्री कृष्ण मठ की स्थापना लगभग 800 वर्ष पूर्व मध्वाचार्य द्वारा की गई थी — जो द्वैत-दर्शन के प्रवर्तक माने जाते हैं।
यह मंदिर केवल धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि वैदिक शिक्षा, सामाजिक सेवा और सांस्कृतिक अध्ययन का केंद्र भी है।
वर्षों से यह स्थान दक्षिण भारत की भक्ति-परंपरा का महत्वपूर्ण केंद्र रहा है।
स्थानीय उत्साह, सुरक्षा और प्रशासनिक प्रबंधन
प्रधानमंत्री के दौरे के मद्देनज़र :
पूरे उडुपी में सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए।
पुलिस, कोस्ट-गार्ड और अन्य सुरक्षा एजेंसियों को तैनात किया गया।
स्थानीय नागरिकों ने रोड शो के दौरान प्रधानमंत्री का भव्य स्वागत किया।
शहर में धार्मिक और सांस्कृतिक उल्लास का दृश्य देखने को मिला।
समाचार का सार
पहलू महत्व
सामूहिक गीता-पाठ एकता, आध्यात्मिक शक्ति और सांस्कृतिक चेतना
स्वर्ण तीर्थ मंडप उद्घाटन विरासत-संरक्षण और धार्मिक गौरव
कनक कवच लोकार्पण समानता और भक्ति-परंपरा का सम्मान
सुरक्षा और नीति संदेश मजबूत भारत और आत्मनिर्भर राष्ट्र का संकल्प
नौ संकल्प का आह्वान समाज और प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी का भाव
प्रधानमंत्री का उडुपी दौरा धार्मिक-अनुष्ठान का अवसर भर नहीं रहा — यह आध्यात्मिकता, संस्कृति, पर्यावरण-चिंतन, सामाजिक उत्तरदायित्व और राष्ट्रीय सुरक्षा — सभी दिशाओं में एक प्रेरणादायी संदेश बनकर उभरा।
गीता-पाठ की सामूहिक ध्वनि ने जहां जन-एकता का अद्भुत रूप सामने रखा, वहीं सुदर्शन-चक्र के प्रतीकात्मक शौर्य संदेश ने यह स्पष्ट किया कि भारत शांति-प्रिय है, परंतु निडर और सक्षम भी।




