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उत्तर प्रदेश

श्री विशालाक्षी गौर्यै देव्यै नमः चैत्र नवरात्रि पंचम गौरी स्वरुप दर्शन यात्रा

श्री विशालाक्षी गौर्यै देव्यै नमः चैत्र नवरात्रि पंचम गौरी स्वरुप दर्शन यात्रा
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काशी माहात्म्य के अनुसार चैत्र वासंतिक नवरात्र के पंचम दिन देवी विशालाक्षी गौरी के दर्शन का विधान है। 51 शक्ति पीठों में से एक प्राचीन माता विशालाक्षी मंदिर का स्थान काशी के मीरघाट पर स्थित है...

पुराणों की मान्यता है कि देवी विशालाक्षी का भक्ति भाव से दर्शन पूजन करने से कुमारियों को गुण और शोल इत्यादि से विभूषित रूप सम्पत्तिमान् पति प्राप्त होता है और गुर्विणियों को उत्तम पुत्र रत्न एवं वन्ध्याओं को भी गर्भ सम्भव होता है, यहां भगवान् विश्वनाथ (विशालाक्षीश्वर महादेव स्वरूप में) विश्राम करते हैं और सांसारिक कष्टों से खिन्न मनुष्यों को विश्रान्ति भी देते हैं।....... ॐविशालक्षीश्वराय नमः

सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।

शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।

आदिशक्ति के गौरी स्वरूप के आराधना पर्व वासंतिक नवरात्रि के पंचम दिन देवीविशालाक्षी गौरी एवं विशालाक्षीश्वर महादेव के दिव्य अलौकिक दर्शन का लाभ आप सबको भी प्राप्त हो.........और आप सभी के जीवन में सुख, समृद्धि, सौहार्द की वृद्धि हो और साथ ही सबका मंगल और कल्याण हो ऐसी माता रानी से प्रार्थना है ।

वाराणस्यां विशालाक्षि वासः कस्य न रोचते ।

देवो देवी नदी गङ्गामिष्टमन्नं शुभा गतिः।।

अर्थात् (महादेव) देव , (अन्नपूर्णा), गंगा नदी इष्ट (रुचिकर) अन्न, शुमगति वाली विशालाक्षी वाराणसी में वास किसको नहीं रुचिकर लगता है अर्थात् सबको अच्छा लगता है।

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