ASI रिपोर्ट में खुलासा- संभल जामा मस्जिद में खूब हुआ अवैध निर्माण
संभल की जामा मस्जिद ASI सर्वे के बाद विवादों में है। खासकर 6 दिन पहले हुई हिंसा ने संभल जामा मस्जिद को सुर्खियों में ला दिया है। फिलहाल संभल की मस्जिद को लेकर कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। संभल शहर के केंद्र में ऊंचे टीले पर मोहल्ला कोट पूर्वी के भीतर बनी शाही जामा मस्जिद आसपास की सबसे बड़ी इमारत है और ये राष्ट्रीय संरक्षित घोषित इमारत है। हैरान करने वाली बात है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम के यहां घुसने पर ही बवाल होता है। फिलहाल ASI की रिपोर्ट में खुलासा मस्जिद के भीतर हुए अवैध निर्माण को लेकर हुआ है।
सुप्रीम कोर्ट में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI), जो कि प्रतिवादी है, उसने WS यानी रिटन स्टेटमेंट जारी करके मस्जिद में हुए बदलाव छेड़खानी को डिटेल में बताया है। वादी विष्णु जैन और अन्य हैं। प्रतिवादी ASI है, जबकि राज्य सरकार अभी पार्टी नहीं है। डीएम संभल का भी कानून व्यवस्था तक अभी रोल है, वो भी डायरेक्ट पार्टी नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई रिपोर्ट में ASI की तरफ से मस्जिद के भीतर हुए तथाकथित अवैध निर्माण की जानकारी है। उसके अलावा ये भी जानकारी दी गई है कि कुछ समय पहले ASI की टीम को यहां सर्वे करने से भी रोका गया था।
रिपोर्ट के अनुसार, 26 जून 2024 को ASI की एक टीम मेरठ मंडल ने शाही जामा मस्जिद का निरीक्षण किया। इससे पहले 21 दिसंबर 2023 को भी टीम निरीक्षण करने गई थी, लेकिन स्थानीय निवासी (जिसमें वकील मौजूद थे) उन्होंने राष्ट्रीय संरक्षित इमारत यानी शाही मस्जिद में जाने से रोक दिया था। 27 फरवरी 2024 को ASI ने संभल जिलाधिकारी को लेटर लिखकर जानकारी दी और पुलिस सुरक्षा की मांग की। सुरक्षा की तैयारी के बाद 26 जून 2024 को ASI की टीम पुलिस सुरक्षा के साथ मस्जिद में निरीक्षण करने गई थी। टीम के जाते ही काफी संख्या में स्थानीय निवासी (जिसमें मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष जफर अली और अन्य वकील थे) आ गए। टीम के पहुंचने पर लोकल लोगों और कथित रूप से मस्जिद कमेटी के लोगों ने निरीक्षण टीम के फोटो वीडियो बनाना शुरू कर दिया। निरीक्षण टीम की प्रक्रिया का मस्जिद कमेटी के लोग डॉक्यूमेंटेशन कर रहे थे।
रिपोर्ट में ये भी दावा गया है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, मेरठ मंडल, मेरठ की टीम की ओर से मस्जिद के मुख्य द्वार से बाई तरफ एक पुराना कुआ देखा गया, जोकि अब मस्जिद कमेटी और प्रशासन ढक चुका है। कुएं के ऊपर और साथ में सुरक्षा दल के लिए एक बड़े कक्ष का निर्माण कर दिया गया है। बताया जाता है कि इस कुए का वणर्न ए.फ्यूहरर और औंध (A.Fuhrer And Oudh) में पृष्ठ संख्या 10 पर मिलता है।
मस्जिद के भीतर अवैध निर्माण की जो जानकारी रिपोर्ट में दी गई है, उसके अनुसार, मस्जिद की सीढ़ी के दोनों तरफ स्टील की रेलिंग लगी है। 19 जनवरी 2018 में इस अवैध स्टील रेलिंग के नवनिर्माण के संदर्भ में आगरा मंडल ने कोतवाली संभल में एफआईआर दर्ज कराई थी। इसके बाद 23 जनवरी 2018 को पुरारत्व विभाग, आगरा मंडल ने जिला अधिकारी संभल को रेलिंग ध्वस्त करने का आदेश दिया था, जो अभी लंबित है। इसके अलावा मस्जिद के सेंटर में एक हौज है, जिसका नमाजी इस्तेमाल करते हैं। इस पर पत्थर लगाकर नवीकरण किया गया है। मुख्य द्वार मस्जिद के भीतर आते ही धरातल पर लाल बलुआ पत्थर, संगमरमर और ग्रे नाइट से पुराना फर्श बदलकर नया कर दिया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में मस्जिद को पूरी तरह कमेटी की ओर से इनेमल पेंट की मोटी परतों से पेंट कर दिया गया है। पीओपी का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें मस्जिद का वास्तविक स्वरूप नष्ट हो गया है। यही नहीं, मस्जिद के मुख्य हॉल के गुंबद से लोहे की चेन से वर्तमान में कांच का एक झूमर लगाया गया है। बताया जाता है कि लोहे की इस चेन का वर्णन A Fuhrer की पुस्तक किताब में भी है। पश्चिम की ओर दो चेंबर, छोटे कमरेनुमा सरंचना और मस्जिद के उत्तरी भाग में एक चेंबर, छोटे कमरेनुमा सरंचना में ही पुरानी छत के वास्तविक अवशेष दिखाई पड़ते हैं। ये कमरे आमतौर पर बंद रहते हैं।
जामा मस्जिद या हरिहर मंदिर, संभल में इस पर विवाद
संभल की जामा मस्जिद का विवाद अयोध्या, काशी और मथुरा में चल रहे मामलों के बीच बढ़ा है। हिंदू पक्ष दावा करता है कि हरिहर मंदिर को तोड़कर जामा मस्जिद बनाई गई थी। मुस्लिम पक्ष जामा मस्जिद को लेकर हिंदू पक्ष की दावों को खारिज करता है। हालिया लड़ाई कानूनन लड़ी जा रही है, जिसमें अदालत की ओर से आए मस्जिद के सर्वे ऑर्डर पर काम हो रहा है।
संभल के सिविल जज की अदालत में विष्णु शंकर जैन की ओर से जामा मस्जिद को लेकर वाद दायर किया गया। सुप्रीम कोर्ट के वकील हरिशंकर जैन और केला देवी मंदिर के महंत ऋषिराज गिरि समेत 8 वादी हैं। वादियों ने भारत सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार और संभल जामा मस्जिद समिति को विवाद में पार्टी बनाया है। याचिका में कहा गया-' मस्जिद मूल रूप से एक हरिहर मंदिर था, जिसे 1529 में मस्जिद में बदल दिया गया। मंदिर को मुगल सम्राट बाबर ने 1529 में ध्वस्त कराया था। बाबरनामा और आइन-ए-अकबरी किताब में इस बात का उल्लेख है कि जिस जगह पर जामा मस्जिद बनी है, वहां कभी हरिहर मंदिर हुआ करता था।'
मुस्लिम पक्ष भी मानता है कि जामा मस्जिद बाबर ने बनवाई थी और आज तक मुसलमान इसमें नमाज पढ़ते आ रहे हैं। हालांकि मुस्लिम पक्ष कानूनी विवाद में सुप्रीम कोर्ट के 1991 के उस ऑर्डर को आधार बनाकर अपना विरोध दर्ज कराता है, जिसमें अदालत ने कहा था कि 15 अगस्त 1947 से जो भी धार्मिक स्थल जिस भी स्थिति में हैं, वो अपने स्थान पर बने रहेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या पर फैसले के समय भी इस पर जोर दिया था। इसके जरिए मुस्लिम पक्ष संभल की जामा मस्जिद पर हक जताता है और हिंदू पक्ष के दावे, किसी अन्य न्यायिक कार्यवाही को कानून की अवहेलना बताया है।