कश्मीर टाइम्स के दफ्तर पर SIA की छापेमारी, असल विवाद क्या?—स्वतंत्र पत्रकारिता बनाम सुरक्षा एजेंसियों की कार्रवाई पर नया टकराव

डेस्क रिपोर्ट : विजय तिवारी
जम्मू स्थित Kashmir Times के दफ्तर में गुरुवार को स्टेट इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (SIA) की टीम ने विस्तृत तलाशी अभियान चलाया। जांच दल ने कार्यालय से कारतूस, पिस्तौल की गोलियां और कुछ विस्फोटक उपकरणों के अवशेष जैसे सामान बरामद करने का दावा किया है। यह कार्रवाई उस केस से जुड़ी बताई जा रही है जिसमें अखबार और उससे जुड़े लोगों पर राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देने का आरोप लगा हुआ है।
अखबार की पृष्ठभूमि—कश्मीर का पुराना और मुखर संस्थान
साठ–सत्तर के दशक से सक्रिय यह अखबार घाटी में स्थापित मीडिया संस्थानों में गिना जाता है और लंबे समय से सरकार की नीतियों की आलोचना करता रहा है। संपादकीय जिम्मेदारी वर्तमान में वरिष्ठ पत्रकार अनुराधा भसीन जामवाल और प्रबोध जामवाल के पास है, जो लगातार प्रेस स्वतंत्रता और नागरिक अधिकारों पर अपनी स्पष्ट राय रखते आए हैं।
SIA की कार्रवाई—कंप्यूटर, दस्तावेज़ और डिजिटल रिकॉर्ड भी खंगाले
अधिकारियों ने बताया कि छापेमारी में मीडिया दफ्तर के तकनीकी संसाधनों, कंप्यूटर सिस्टम और कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेजों को खंगाला गया। जांच एजेंसी आगे की पूछताछ के लिए संबंधित व्यक्तियों को तलब कर सकती है।
राज्य सरकार की प्रतिक्रिया—जांच में सिर्फ तथ्यों का महत्व
जम्मू-कश्मीर सरकार की ओर से प्रारंभिक प्रतिक्रिया में कहा गया कि
जांच एजेंसियां तभी कार्रवाई करती हैं जब उनके पास “काफी आधार” मौजूद हो। साथ ही यह भी जोड़ा गया कि अगर कार्रवाई का उपयोग केवल दबाव बनाने के लिए किया जा रहा है, तो यह सही नहीं माना जाएगा।
इस बयान ने पूरे मामले को और संवेदनशील बना दिया है।
अखबार की प्रतिक्रिया—“आवाज़ दबाने की कवायद”
अखबार के प्रबंधन ने संयुक्त बयान जारी कर छापेमारी पर कड़ी आपत्ति जताई।
उनका कहना है कि—
आरोप मनगढ़ंत और दुर्भावनापूर्ण हैं,
आलोचना को देश-विरोधी बताने की प्रवृत्ति लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाती है,
और यह कदम स्वतंत्र पत्रकारिता को खामोश करने का प्रयास है।
उन्होंने नागरिक समाज, प्रेस संगठनों और मीडिया से एकजुटता की अपील करते हुए कहा कि पत्रकारिता किसी भी लोकतांत्रिक ढांचे की बुनियाद होती है।
इल्तिजा मुफ्ती का ट्वीट—बहस को और तीखा किया
इस बीच पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया दी।
उन्होंने लिखा कि कश्मीर टाइम्स उन दुर्लभ अखबारों में है जिसने दबाव और धमकी के आगे कभी घुटने नहीं टेके।
उन्होंने पूछा—
“सच बोलने वालों को ‘एंटी-नेशनल’ ठहराना कब तक? क्या हम सब देश-विरोधी हैं?”
यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया और छापेमारी की कार्रवाई को लेकर बहस और तेज हो गई।
मामले का व्यापक असर—सुरक्षा बनाम प्रेस स्वतंत्रता
कश्मीर में पहले से ही मीडिया संस्थानों की कार्यप्रणाली और आज़ादी को लेकर अक्सर सवाल उठते रहे हैं।
SIA की यह कार्रवाई एक बार फिर उस पुराने सवाल को सामने ला रही है—
क्या सुरक्षा जांचें वाजिब हैं या यह प्रेस की स्वतंत्र आवाज़ों को कमजोर करने की कोशिश है?
दोनों पक्षों के अपने-अपने तर्क हैं, लेकिन छापेमारी के बाद घाटी की मीडिया स्पेस पर इसका असर निश्चित रूप से महसूस किया जा रहा है।




