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उत्तर प्रदेश

तीन साल में सांसद सुब्रत पाठक पर दूसरी बार FIR, पहले सदर तहसीलदार की सरकारी आवास में पिटाई में आया था नाम

तीन साल में सांसद सुब्रत पाठक पर दूसरी बार FIR, पहले सदर तहसीलदार की सरकारी आवास में पिटाई में आया था नाम
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कन्नौज सांसद बनने के बाद यह दूसरी बार है कि सुब्रत पाठक के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हुई है। दोनों ही मामलों में उनका नाम प्रशासन से भिड़ने को लेकर पुलिस के रिकॉर्ड में दर्ज हुआ है। पहली बार लॉकडाउन के दौरान सदर तहसीलदार को उसके सरकारी आवास में पिटाई के आरोप में रिपोर्ट दर्ज हुई थी।

अब अपहरण के आरोपियों को छुड़ाने के आरोप में पुलिस से गालीगलौज करने और मारपीट के मामले में रिपोर्ट दर्ज हुई है। सांसद बनने के पहले सुब्रत पाठक के खिलाफ सपा शासन के दौरान कई गंभीर आरोप में रिपोर्ट दर्ज हुई थी।

उनमें कई मामलों में वह बरी हो चुके हैं, कुछ का मामला अदालत में विचाराधीन है, लेकिन सांसद बनने के बाद जब प्रदेश में उनकी ही पार्टी की सरकार है तो भी उनके खिलाफ दो बार रिपोर्ट दर्ज हो चुकी है।

सांसद बनने के ठीक एक साल बाद पहली बार उनके खिलाफ तब एफआईआर दर्ज हुई थी, जब कोरोना काल के दौरान लगे पहले लॉकडाउन में उनपर सदर तहसील परिसर स्थित तहसीलदार के सरकारी आवास में घुसकर तहसीलदार की पिटाई का आरोप लगा था।

खुद तत्कालीन तहसीलदार अरविंद कुमार ने खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। हालांकि उनके पक्ष की ओर से भी पुलिस को तहरीर दी गई थी, लेकिन उस पर रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई थी। अब उसके ठीक तीन साल बाद फिर से उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हुई है। इस बार उनका नाम पुलिस से भिड़ने में सामने आया है। खुद चौकी प्रभारी की तहरीर पर उनके व उनके नामजद व अज्ञात समर्थकों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हुई है।

अब चुनाव से एक साल पहले

यह भी संयोग है कि पहली बार सुब्रत पाठक के खिलाफ तब एफआईआर दर्ज हुई थी, जब उन्हें सांसद निर्वाचित हुए ठीक एक साल ही हुआ था। अब जबकि लोकसभा चुनाव में करीब एक साल बाकी है, तो फिर से उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हुई है। इस संयोग को लेकर लोगों के बीच काफी चर्चा हो रही है।

पुलिस को नहीं पता सांसद का 'पता-ठिकाना'

सांसद सुब्रत पाठक के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने वाली पुलिस को उनका पता-ठिकाना की जानकारी नहीं हुई है। जो एफआईआर दर्ज हुई है, उसमें उनके नाम के आगे पता वाल कॉलम में अज्ञात लिखा गया है। सुबह से लेकर शाम तक सांसद के प्रोटोकॉल में रहने वाली पुलिस को पता-ठिकाना की जानकारी न होने की बात पर लोगों के बीच काफी चर्चा हो रही है। उनके किसी समर्थक के नाम के आगे भी पता की जानकारी की जगह पर अज्ञात लिखा गया है।

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