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उत्तर प्रदेश

दिनेश फलाहारी ने CM योगी को खून से लिखा पत्र, मुसलमानों की एंट्री बंद करने की मांग की

दिनेश फलाहारी ने CM योगी को खून से लिखा पत्र, मुसलमानों की एंट्री बंद करने की मांग की
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पहले महाकुंभ में मुसलमानों के दुकानें लगाने पर विवाद हुआ और अब ब्रज में होली को लेकर भी ऐसी ही मांग उठने लगी है। इस संबंध में श्री कृष्ण जन्मभूमि का मुकदमा लड़ रहे दिनेश फलाहारी ने सीएम योगी को खून से पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने गुहार लगाई है कि ब्रज में होली का त्योहार शुरू हो गया है। इसमें मुसलमानों को दुकानें लगाने से रोका जाए।

उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि मुसलमान हिंदू त्योहारों से नफरत करते हैं, लेकिन दुकानें लगाकर पैसा कमाते हैं। इतना ही नहीं, मुसलमान त्योहारों के पकवानों में थूक कर उन्हें अपवित्र कर सकते हैं। मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में दिनेश फलाहारी ने मुसलमानों को हिंदू त्योहारों से दूर रखने की मांग की है। इसके लिए उन्होंने कई तरह के तर्क दिए हैं। उन्होंने कहा कि ये लोग हिंदुओं को काफिर कहते हैं और हिंदू धार्मिक ग्रंथों से नफरत करते हैं।

दिनेश फलाहारी कृष्ण जन्मभूमि का केस लड़ रहे हैं

दिनेश फलाहारी के साथ ही कई अन्य हिंदू संगठनों ने भी ऐसी ही मांग उठाई है। आपको बता दें कि दिनेश फलाहारी श्री कृष्ण जन्मभूमि का केस निचली अदालत से लेकर हाई कोर्ट तक लड़ रहे हैं। उन्होंने प्रतिज्ञा ली है कि जब तक कृष्ण जन्मभूमि मंदिर को मुक्त नहीं करा दिया जाता, तब तक वे अन्न ग्रहण नहीं करेंगे। इसी प्रतिज्ञा के साथ उन्होंने पिछले तीन सालों से जूते-चप्पल पहनना भी छोड़ दिया है। इससे पहले महाकुंभ के दौरान दिनेश फलाहारी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खून से पत्र लिखा था। इस पत्र में उन्होंने वक्फ बोर्ड की तर्ज पर देश में सनातन बोर्ड के गठन की मांग की थी।

अब उन्होंने एक बार फिर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को खून से पत्र लिखकर सोशल मीडिया के जरिए अपील की है। आपको बता दें कि ब्रज में होली का जश्न शुरू हो गया है। हमेशा की तरह इस बार भी इस जश्न की तैयारियां बड़े ही जोश के साथ की जा रही हैं। कहते हैं कि होली के जश्न में लोग अपने मतभेद और मतभेद भूलकर एक हो जाते हैं। लेकिन इस होली पर मुसलमानों द्वारा दुकानें लगाने को लेकर बवाल शुरू हो गया है। इस मुद्दे पर ब्रज ही नहीं बल्कि आसपास के इलाकों में भी लोगों और विद्वानों के बीच बहस शुरू हो गई है। इस बहस में विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि भी शामिल हो गए हैं।

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