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उत्तर प्रदेश

अयोध्या में धर्म ध्वजारोहण का ऐतिहासिक आयोजन : पीएम मोदी, मोहन भागवत और राज्यपाल की उपस्थिति में सम्पन्न; CM योगी बोले—‘यह भारत के सांस्कृतिक उत्थान का निर्णायक क्षण’

अयोध्या में धर्म ध्वजारोहण का ऐतिहासिक आयोजन : पीएम मोदी, मोहन भागवत और राज्यपाल की उपस्थिति में सम्पन्न; CM योगी बोले—‘यह भारत के सांस्कृतिक उत्थान का निर्णायक क्षण’
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रिपोर्ट : विजय तिवारी

अयोध्या।

रामनगरी अयोध्या में सोमवार को धर्म, संस्कृति और राष्ट्रीय चेतना का अद्वितीय संगम देखने को मिला, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत और उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की मौजूदगी में धर्म ध्वजारोहण का भव्य और वैदिक अनुष्ठान सम्पन्न हुआ।

सुबह से ही राम मंदिर परिसर और सरयू तट वैदिक मंत्रोच्चार, ऋचाओं, नगाड़ों और जयघोष से गूंज उठा।

हजारों श्रद्धालु, संत-समाज, प्रमुख अखाड़े, केंद्रीय मंत्री और मंदिर ट्रस्ट के प्रतिनिधियों की उपस्थिति ने यह दृश्य अभूतपूर्व और ऐतिहासिक बना दिया।

प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति—सांस्कृतिक धैर्य और सभ्यता की निरंतरता का संदेश

धर्म ध्वजारोहण का अनुष्ठान विशेष वैदिक विधि-विधान के साथ सम्पन्न हुआ।

प्रधानमंत्री मोदी ने ध्वजा आरोहण में शामिल होकर यह संकेत दिया कि अयोध्या केवल धार्मिक तीर्थ नहीं, बल्कि भारत की सभ्यतागत निरंतरता और सांस्कृतिक आत्मविश्वास का केंद्र बन चुका है।

मोहन भागवत की उपस्थिति ने आयोजन को हिंदू आध्यात्मिक परंपराओं के व्यापक और वैचारिक संदर्भ से जोड़ा, जबकि राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की उपस्थिति ने इसे राज्यीय और संस्थागत गरिमा प्रदान की।

पूरे परिसर में सुरक्षा के व्यापक इंतज़ाम किए गए थे, ताकि दूर-दराज़ से आए श्रद्धालु इस क्षण को निर्बाध रूप से देख सकें।

CM योगी ने कहा—‘धर्म ध्वजा का आरोहण केवल अनुष्ठान नहीं, नए भारत की घोषणा’

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन में कहा—

“अयोध्या में धर्म ध्वजा का आरोहण भारत के सांस्कृतिक आत्मविश्वास की पुनर्स्थापना है।”

“यह केवल मंदिर का नहीं, बल्कि भारत की आत्मा और सनातन मूल्य प्रणाली का पुनरुत्थान है।”

“सदियों का संघर्ष, धैर्य, तप और बलिदान आज इस ध्वजा में समाहित है।”

योगी ने उन लाखों कार्यकर्ताओं के योगदान को याद किया जिन्होंने राम मंदिर आंदोलन के लिए संघर्ष किया।

उन्होंने कहा कि यह ध्वजा भारत की आध्यात्मिक यात्रा को नई दिशा देगी और नए युग की शुरुआत का प्रतीक है।

धर्म ध्वजा का गहन महत्व—नीति, न्याय और संरक्षण का प्रतीक

धर्म ध्वजा हिंदू परंपरा में केवल धार्मिक चिह्न नहीं, बल्कि—

सत्य, साहस, मर्यादा और नीति का प्रतीक

समुदाय की आध्यात्मिक ऊर्जा का संकेत

धार्मिक अस्मिता और संरक्षण का प्रतिनिधि

नए अध्याय और सकारात्मक परिवर्तन का उद्घोष

मंदिर पुनरुत्थान के बाद ध्वजारोहण का अर्थ है—धर्म का पुनः उदय और अधर्म पर विजय की घोषणा।

अयोध्या में हुआ यह आयोजन इसी सांस्कृतिक संदेश की पुनर्पुष्टि था।

राम मंदिर परिसर में अविस्मरणीय दृश्य—भीड़ में भक्ति, वातावरण में ऊर्जा

समारोह के दौरान जो दृश्य सामने आए, वे पूरे भारत की आस्था का जीवंत चित्रण थे।

श्रद्धालुओं की आँखों से बहते भावनाओं के आँसू

संत-समाज की उँची आवाज़ों में गूंजता ‘जय श्रीराम’

शंख, घंटों, नगाड़ों और वैदिक मंत्रों का समवेत संगम

स्वर्णिम प्रकाश से जगमगाता मंदिर परिसर

महिलाओं, युवाओं और बुजुर्गों का उत्साह

पूरा कार्यक्रम एक साथ भक्ति, परंपरा और राष्ट्रीय गौरव का अद्वितीय उत्सव बन गया।

अयोध्या का बदलता स्वरूप—परंपरा और आधुनिकता का अनूठा संतुलन

धर्म ध्वजारोहण ऐसे समय में हुआ है जब अयोध्या तेजी से एक वैश्विक आध्यात्मिक शहर में बदल रही है।

वर्तमान में यहाँ—

विश्वस्तरीय अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट

भव्य राम पथ और जन्मभूमि पथ

सरयू तट का व्यापक सौंदर्यीकरण

आधुनिक सुविधाओं से लैस सांस्कृतिक कॉरिडोर

पंचकोसी परिक्रमा मार्ग का विकास

लाखों श्रद्धालुओं के लिए सुविधा तंत्र

यह सब अयोध्या को एक ऐसी धार्मिक-सांस्कृतिक राजधानी में बदल रहा है जहां आधुनिकता और परंपरा साथ-साथ आगे बढ़ रही हैं।

क्या वास्तव में नए युग का शुभारंभ?—विशेषज्ञों की व्यापक राय

सांस्कृतिक विशेषज्ञ और इतिहासकार मानते हैं कि—

यह क्षण भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण का निर्णायक प्रतीक है।

अयोध्या का पुनरुत्थान भारतीय सभ्यता की आत्मविश्वासी वापसी है।

यह आयोजन धर्म आधारित राजनीति नहीं, बल्कि धर्म आधारित सांस्कृतिक चेतना के प्रबल उदय का संकेत है।

धार्मिक पर्यटन, सांस्कृतिक संवाद और आध्यात्मिक अध्ययन के वैश्विक केंद्र के रूप में अयोध्या का महत्व अब तेजी से बढ़ रहा है।

यह आयोजन न केवल अयोध्या, बल्कि पूरे भारत की सांस्कृतिक दिशा को प्रभावित करने वाला माना जा रहा है।

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