अपनी ही सरकार पर क्यों भड़का है ABVP? योगी के मंत्री राजभर के खिलाफ खोला मोर्चा

उत्तर प्रदेश में इन दिनों अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) अपनी ही सरकार पर भड़क उठा है. एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने मंगलवार की देर रात योगी सरकार के मंत्री ओम प्रकाश राजभर के बयान पर जमकर प्रदर्शन किया. ओम प्रकाश राजभर के आवास के बाहर जमकर नारेबाजी की. अब इस मामले ने तूल पकड़ लिया है. इस प्रदर्शन और नारेबाजी की शुरुआत बाराबंकी के श्रीराम स्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी से हुई. जहां लॉ कोर्स को लेकर छात्र आवाज उठा रहे थे. चलिए जानते हैं कि कहां से शुरू हुआ मामला और कैसे अपनी ही सरकार के खिलाफ हो गए एबीवीपी के छात्र.
एबीवीपी बीजेपी पार्टी से जुड़ा हुआ ही छात्र संगठन है. इस पूरे प्रदर्शन की शुरुआत बाराबंकी के रामस्वरूप यूनिवर्सिटी से हुई. यूनिवर्सिटी में सोमवार (1 सितंबर) को एलएलबी कोर्स की मान्यता और एबीवीपी कार्यकर्ताओं के सस्पेंशन को लेकर छात्रों ने प्रदर्शन किया. छात्रों का आरोप है कि यूनिवर्सिटी 2022 से बिना बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) की मान्यता के लॉ कोर्स चला रही है, जिससे छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है. इसी को लेकर उन्होंने आवाज उठाई और प्रदर्शन किया.
पुलिस ने किया लाठीचार्ज
सोमवार सुबह को एलएलबी छात्रों ने एबीवीपी कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर भारी बारिश के बावजूद शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया. छात्रों के अनुसार, भीड़ बढ़ने पर यूनिवर्सिटी प्रशासन ने पुलिस बुला ली. मामला तब और गंभीर हो गया जब इस प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने लाठीचार्ज किया. दरअसल, छात्र रामस्वरूप यूनिवर्सिटी में कथित अनियमितताओं को लेकर कुलपति से मिलने की कोशिश कर रहे थे. तभी छात्रों और पुलिस के बीच झड़प हुई. इसमें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के कम से कम 25 सदस्य घायल हो गए. सीओ सिटी हर्षित चौहान समेत पांच पुलिसकर्मियों को भी मामूली चोटें आईं.
लाठी चार्ज के बाद छात्रों का गुस्सा भड़क गया. छात्रों का आरोप है कि पुलिस ने न सिर्फ बर्बरतापूर्ण लाठीचार्ज किया, बल्कि यूनिवर्सिटी प्रशासन के इशारे पर बाहरी गुंडों ने भी छात्रों पर हमला किया. हालात तब और बिगड़ गए जब गुस्साए छात्रों और उनके अभिभावकों ने जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) शशांक त्रिपाठी और एसपी अर्पित विजयवर्गीय को घायलों से मिलने के लिए अस्पताल में जाने से रोक दिया. भीड़ ने नारे लगाए और तुरंत न्याय की मांग की.
बाद में, उसी रात, एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने डीएम आवास के बाहर विरोध प्रदर्शन किया, पुतले फूंके और एसपी कार्यालय तक मार्च निकाला. देर रात तक उनका प्रदर्शन जारी रहा.
ओपी राजभर के बयान से भड़के छात्र
इसी के बाद जहां छात्र लाठीचार्ज और यूनिवर्सिटी में लॉ की डिग्री में हो रही अनियमितताओं को लेकर भड़के थे. वहीं, योगी सरकार के मंत्री ओपी राजभर के एक बयान ने और आग में घी डालने का काम किया.
दरअसल, एबीवीपी कार्यकर्ताओं पर हुए लाठीचार्ज को लेकर ओपी राजभर ने एक बयान दिया. उन्होंने कहा, संविधान से देश चल रहा है. देश कानून से चलता है. आप शिक्षा मंत्री से मिलो, प्रमुख सचिव शिक्षा से मिलो, सीएम से मिलो. यहां से काम नहीं होता तो रक्षा मंत्री से मिलो. पीएम से मिलो. उन्होंने आगे कहा, कानून तोड़ने पर प्रधानमंत्री को भी जेल जाना पड़ा. लालूजी को जेल जाना पड़ा. केजरीवाल को जेल जाना पड़ा. पुलिस का काम है लॉ एंड ऑर्डर कंट्रोल करना. अगर आप गुंडागर्दी करोगे तो पुलिस एक्शन लेगी. मंत्री ने कहा था कि एबीवीपी के गुंडों पर पुलिस ने सही लाठी बरसाईं.
छात्रों ने की जमकर नारेबाजी
मंत्री के इसी बयान के बाद एबीवीपी कार्यकर्ताओं का गुस्सा और भी तेज हो गया. छात्रों ने मंगलवार की देर रात को लखनऊ में कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर के आवास के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया. इस दौरान कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई. छात्रों का गुस्सा इस हद तक बढ़ गया कि उन्होंने राजभर के आवास के बाहर पुतला तक फूंका.आवास के गेट पर चढ़कर जमकर नारेबाजी की और सरकार-पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारे लगाए.
वहीं, राजभर के आवास के बाहर प्रदर्शन कर रहे छात्रों को रोकने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस भी पहुंची. छात्रों और पुलिस के बीच तीखी झड़प हुई, जिसके बाद पुलिस ने कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेकर ईको गार्डन भेज दिया.
सीएम योगी ने लिया एक्शन
इस मामले से अब पूरे प्रदेश में सियासी उफान है. इसी के बाद खुद सीएम योगी ने भी मामले में एक्शन लिया है. उन्होंने त्वरित कार्रवाई के आदेश दिए. साथ ही छात्रों पर लाठी चार्ज को लेकर मंगलवार को तीन पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया गया. बाराबंकी के सीओ सिटी हर्षित चौहान को हटा दिया गया. कोतवाली थाना प्रभारी आरके राणा, एसआई गजेंद्र सिंह और कांस्टेबल विनोद कुमार के खिलाफ कार्रवाई की गई है. सरकार ने अयोध्या रेंज के आईजी प्रवीण कुमार और बाराबंकी मंडलायुक्त राजेश कुमार को घटना की जांच के आदेश दिए हैं.
क्या है छात्रों की मांग?
एबीवीपी के अवध प्रांत सचिव पुष्पेंद्र बाजपेई ने कहा, हमारी मांग है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन और दोषी पुलिसकर्मियों पर सख्त कार्रवाई हो. जब तक घायल छात्रों को न्याय नहीं मिलेगा, हमारा आंदोलन जारी रहेगा.
ABVP और अन्य छात्र संगठनों ने मांग की है कि विश्वविद्यालय के कुलपति को बर्खास्त किया जाए, निष्कासित छात्रों को बहाल किया जाए और लॉ डिग्री की मान्यता को लेकर स्पष्ट स्थिति सामने लाई जाए।. छात्रों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा.
यूनिवर्सिटी के VC ने क्या कहा?
यूनिवर्सिटी के कुलपति विकास मिश्रा ने बताया कि यह घटना बाहरी लोगों की वजह से हुई थी, न कि यूनिवर्सिटी के छात्रों की वजह से. मिश्रा ने कहा कि विरोध प्रदर्शन तब शुरू हुआ जब यूनिवर्सिटी ने अनुशासनहीनता की वजह से एबीवीपी से जुड़े दो छात्रों को निलंबित कर दिया.
लॉ फैकल्टी की मान्यता को लेकर लगाए गए आरोप पर मिश्रा ने कहा कि यूनिवर्सिटी के पास पहले से ही 2023 तक बार काउंसिल ऑफ इंडिया की मान्यता है और 2027 तक नवीनीकरण के लिए आवेदन और शुल्क जमा किया जा चुका है.
कुलपति ने आरोप लगाया कि एबीवीपी कार्यकर्ताओं (जिनमें से कई बाहरी थे) ने सोमवार दोपहर यूनिवर्सिटी का मुख्य गेट बंद कर दिया, जब अंदर लगभग 7,0008,000 छात्र मौजूद थे. उन्होंने कहा, इससे घबराहट फैल गई और आसपास के गांवों से अभिभावक अपने बच्चों को निकालने के लिए दौड़े. इसी दौरान स्थानीय लोगों और एबीवीपी कार्यकर्ताओं में झगड़ा हो गया. हमारे अधिकारी, शिक्षक और लॉ विभाग के छात्र सब कैंपस के अंदर थे और हिंसा में उनकी कोई भूमिका नहीं थी.