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श्रीरामलला सदन अयोध्या पीठाधीश्वर स्वामी राघवाचार्य लखनऊ में कर रहे हैं अमृत वर्षा- भगवान के दर्शन दुर्लभ नहीं, दर्शन की लालसा दुर्लभ है

श्रीरामलला सदन अयोध्या पीठाधीश्वर स्वामी राघवाचार्य लखनऊ में कर रहे हैं अमृत वर्षा- भगवान के दर्शन दुर्लभ नहीं, दर्शन की लालसा दुर्लभ है
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"भगवान यज्ञ के रक्षक भी हैं और विनाशक भी"

यह वाक्य भगवान की दोहरी भूमिका को दर्शाता है, जो भारतीय आध्यात्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं में प्रमुख है। इसमें भगवान को "यज्ञ" के संदर्भ में देखा गया है, जो न केवल भौतिक हवन या अनुष्ठान है, बल्कि जीवन के हर कार्य, हर कर्म, और हर समर्पण को भी दर्शाता है। यज्ञ का रक्षक होना यह भी दर्शाता है कि भगवान हर उस कर्म का समर्थन करते हैं जो लोक-कल्याण, सत्य, और भलाई के लिए किया जाता है।

भगवान तक पहुँचना या उनके दर्शन करना असंभव नहीं है, बल्कि समस्या यह है कि अधिकांश लोगों में उनके दर्शन की सच्ची और गहरी लालसा नहीं होती। मनुष्य की प्रवृत्ति अक्सर भौतिक वस्तुओं, सुख-सुविधाओं और संसारिक इच्छाओं में उलझी रहती है। लेकिन जब हृदय में ईश्वर के प्रति गहरी तड़प और समर्पण उत्पन्न होता है, तब भगवान के दर्शन सहज हो जाते हैं।

संतों और शास्त्रों ने भी यही कहा है कि जब मनुष्य अपनी आत्मा की गहराई से ईश्वर को पुकारता है और अपने सभी कार्यों में उन्हें समर्पित करता है, तो भगवान खुद उनकी ओर आकर्षित होकर प्रकट होते हैं।


मोती महल लॉन में श्रीराम कथा का चौथा दिन-

लखनऊ 29 दिसम्बर। राजधानी के मोती महल में चल रही श्रीराम कथा के चौथे दिन श्री रामलला सदन अयोध्या के पीठाधीश्वर स्वामिश्री राघवाचार्य जी महाराज ने ज्ञान जिज्ञासुओं को संबोधित करते हुए कहा कि भगवान के दर्शन दुर्लभ नहीं है, वस्तुतः भगवान के दर्शन की लालसा दुर्लभ है। जब हमारी लालसा भगवान के लिए रोने लग जाती है, तब भगवान की कृपा बरस पड़ती है। उन्होंने कहा कि गोपियों में भगवान के दर्शन की लालसा जब रुदन कर पड़ी, तब उसी क्षण भगवान गोपियों संग रास कर उठे। स्वामिश्री ने भक्त श्री बिन्दु जी का उदाहरण देते हुए कहा- उल्फत नशे का जिस दिन सच्चा सुरूर होगा, परमात्मा उसी दिन हाजिर जरूर होगा।

कथा व्यास स्वामी राघवाचार्य ने आज की कथा में यज्ञ के महत्व पर विशेष प्रकाश डाला और कहा कि भगवान यज्ञ के रक्षक भी हैं और विनाशक भी। वह एक ओर विश्व कल्याण की कामना से विश्वामित्र द्वारा कराए जा रहे यज्ञों की रक्षा करते हैं, वहीं दूसरी ओर रावण और मेघनाद द्वारा किए जा रहे तामसिक यज्ञ का विध्वंस वानर सेना से कराते हैं। उन्होंने कहा, भगवान यज्ञपति, यजमान, यज्ञ के अंग और यज्ञ के वाहक भी हैं। वह यज्ञ के भोक्ता भी हैं और यज्ञ के साधन भी। उन्होंने कहा कि प्रजापिता ब्रह्मा ने यज्ञ के सहित प्रजा को उत्पन्न किया। स्वामी जी महाराज ने सभी से यज्ञीय जीवन जीने की अपील की।।

पूज्य स्वामी जी ने कहा कि राम उसी के पास रहते हैं जिसके जीवन में सत्य और धर्म है।

महर्षि वशिष्ठ का उदाहरण देते हुए कहा -वस्तुत: राम ही सत्य हैं और सत्यनारायण हैं।

स्वामी राघवाचार्य जी महाराज ने संतों को इस धरती की विशेष विभूति कहा और उनकी उपमा तीर्थ से की। उन्होंने कहा कि संतों के चरणों में तीर्थ निवास करते हैं, इसीलिए संत को तीर्थंकर भी कहा जाता है। स्वामिश्री महाराज ने संत समाज का आवाहन किया कि वे जनसामान्य के बीच उतरें और उनका सशक्त एवं सम्यक मार्गदर्शन करें। उन्होंने कहा कि भगवान आद्यगुरु शंकराचार्य ने संतों को सतत प्रवज्या पर रहने की प्रेरणा दी है। स्वामी जी महाराज ने कहा कि यदि अध्यात्म जगत के सभीजन जनसामान्य का मार्गदर्शन करने के लिए जनता के बीच उतर पड़े, तो देशवासियों के वैचारिक, सामाजिक, पारिवारिक एवं वैयक्तिक जीवन को सुन्दर व सुदृढ़ बनाया जा सकता है।

कथा संयोजक डॉ. सप्तर्षि मिश्र ने बताया कि आगामी 2 जनवरी को कथास्थल पर विशाल संत सम्मेलन का आयोजन श्री रामकथा सेवा समिति द्वारा किया गया है। संयोजक अधिवक्ता संजीव पाण्डेय से प्राप्त जानकारी के अनुसार आज की कथा में अयोध्याधाम से पधारे जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी श्री ओम प्रपन्नाचार्य जी महाराज ने भी श्रोताओं को अपने आशीर्वचनों से अभिसिंचित किया। राम कथा के आज के जजमान धनंजय सिंह पूर्व सांसद, पूर्व उप मुख्य मंत्री दिनेश शर्मा, आदेश सिंह एडवोकेट,अनिल उपाध्याय केयर टेक्स ने व्यास पूजन किया आज की कथा में श्याम बिहारी गुप्ता अध्यक्ष गौ सेवा आयोग, आचार्य आलोक दीक्षित, पंकज तिवारी ज़िला अध्यक्ष कॉंग्रेस रायबरेली, आदेश यादव, सुनील मिश्रा, राघवेंद्र शुक्ला, विनय सिंह, रमन बाजपेयी, मनोज त्रिपाठी, सुशील शर्मा, संजय श्रीवास्तव, सुशील पाण्डेय, एडवोकेट लक्ष्मी नारायण मिश्र आदि ने पूज्य गुरु जी का माल्यार्पण किया।

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