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दिल्ली ब्लास्ट पर बढ़ा सियासी घमासान — 50 घंटे बाद मोदी सरकार ने माना 'आतंकी हमला', विपक्ष ने उठाए सुरक्षा एजेंसियों पर गंभीर सवाल

दिल्ली ब्लास्ट पर बढ़ा सियासी घमासान — 50 घंटे बाद मोदी सरकार ने माना आतंकी हमला, विपक्ष ने उठाए सुरक्षा एजेंसियों पर गंभीर सवाल
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रिपोर्ट : विजय तिवारी

नई दिल्ली।

लालकिला के पास हुई कार ब्लास्ट की घटना के 50 घंटे बाद केंद्र सरकार ने आधिकारिक रूप से स्वीकार किया है कि यह एक आतंकी हमला था। केंद्रीय एजेंसियों की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के बाद यह पुष्टि की गई कि धमाके के पीछे संगठित आतंकी साजिश थी। हालांकि, सरकार ने अब तक अपने बयान में पाकिस्तान का नाम नहीं लिया है, जिस पर विपक्ष ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है।

गृह मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, घटना में उपयोग किया गया विस्फोटक सैन्य ग्रेड का था और इसे रिमोट कंट्रोल से डिटोनेट किया गया था। जांच एजेंसियां इस हमले को जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े मॉड्यूल से जोड़कर देख रही हैं। एनआईए, दिल्ली पुलिस की विशेष सेल और इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) मिलकर जांच कर रही हैं।

विपक्ष का निशाना — "देश सुरक्षित हाथों में नहीं"

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर केंद्र सरकार को घेरते हुए लिखा —

> “दिल्ली धमाके के 50 घंटे बाद मोदी सरकार ने आखिर स्वीकार किया कि यह एक आतंकवादी हमला था, लेकिन पाकिस्तान पर एक शब्द नहीं बोला। क्या पाकिस्तान के बिना भारत में कोई आतंकी हमला हो सकता है? पहले पहलगाम हमले के बाद कहा गया था कि हर आतंकी वारदात को युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा, तो अब सरकार चुप क्यों है?”

उन्होंने सवाल उठाया कि जब देश की राजधानी में इतनी बड़ी आतंकी वारदात हो सकती है, तो IB, दिल्ली पुलिस और गृह मंत्रालय क्या कर रहे थे?

> “एक बात बार-बार साबित हो रही है — यह देश सुरक्षित हाथों में नहीं है,” उन्होंने कहा।

पहलगाम हमले के संदर्भ में विपक्ष का हमला

विपक्षी दलों ने याद दिलाया कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि “भारत पर किसी भी आतंकी हमले को युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा।” कांग्रेस नेताओं का कहना है कि मौजूदा स्थिति में सरकार की प्रतिक्रिया उस बयान के बिल्कुल विपरीत है।

सरकार की चुप्पी पर उठ रहे सवाल

सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, इस हमले ने राजधानी की सुरक्षा व्यवस्था और इंटेलिजेंस सिस्टम की कमजोरी को उजागर किया है। कई विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि आतंकी संगठन यदि बिना किसी पूर्व चेतावनी के दिल्ली तक पहुंच सकते हैं, तो यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गहरी चिंता का विषय है।

जांच जारी

एनआईए और दिल्ली पुलिस की संयुक्त टीम ने घटनास्थल से कई अहम सबूत जुटाए हैं। विस्फोटक के नमूनों को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है। प्रारंभिक रिपोर्ट में यह भी संकेत मिले हैं कि हमलावरों ने एक फर्जी वाहन पंजीकरण नंबर का इस्तेमाल किया था।

दिल्ली धमाके के बाद सियासी और सुरक्षा दोनों मोर्चों पर देश में हलचल मची है। जहां विपक्ष मोदी सरकार से जवाब मांग रहा है, वहीं सुरक्षा एजेंसियां इस हमले के पीछे के तार तलाशने में जुटी हैं। अब सबकी निगाहें केंद्र सरकार की अगली आधिकारिक प्रतिक्रिया और जांच के निष्कर्षों पर टिकी हैं।

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