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उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश मिशन 2027 -RSS–BJP की रणनीति ने पकड़ी रफ्तार, हिंदुत्व भावनात्मक जुड़ाव, संगठन विस्तार और विकास मॉडल के सहारे सत्ता की हैट्रिक का रणनीति तैयार

उत्तर प्रदेश मिशन 2027 -RSS–BJP की रणनीति ने पकड़ी रफ्तार, हिंदुत्व भावनात्मक जुड़ाव, संगठन विस्तार और विकास मॉडल के सहारे सत्ता की हैट्रिक का रणनीति तैयार
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रिपोर्ट : विजय तिवारी

बिहार में चुनावी जीत के बाद अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपनी राजनीतिक व संगठनात्मक ऊर्जा उत्तर प्रदेश की ओर मोड़ दी है। वर्ष 2027 में होने वाले विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए दोनों संगठनों ने जमीनी स्तर पर व्यापक अभियान शुरू कर दिया है, जिसका लक्ष्य है — हिंदुत्व आधारित वैचारिक एकता, विकास योजनाओं का प्रभावी प्रदर्शन और जातिगत सामाजिक समीकरणों का पुनर्संतुलन, ताकि सत्ता में लगातार तीसरी बार वापसी सुनिश्चित की जा सके।

लखनऊ में उच्च-स्तरीय समन्वय बैठक — शासन, संगठन और समाज के बीच तालमेल का ब्लूप्रिंट

पिछले दिनों लखनऊ में RSS और BJP की संयुक्त रणनीतिक बैठक में शीर्ष पदाधिकारियों, भाजपा संगठन के वरिष्ठ नेताओं और प्रदेश सरकार के प्रतिनिधियों ने 2027 चुनाव के रोडमैप पर गहन चर्चा की।

बैठक में यह तय किया गया कि आने वाले महीनों में माइक्रो-मैनेजमेंट के तहत तीन स्तरों पर काम आगे बढ़ेगा —

शासन : विकास परियोजनाओं और जनकल्याण योजनाओं का तेज क्रियान्वयन

संगठन : बूथ स्तर तक नेटवर्क का विस्तार और लाभार्थी संपर्क अभियान

समाज: वैचारिक संवाद, सांस्कृतिक कार्यक्रम और सार्वजनिक जुड़ाव

हिंदुत्व पर तेज़ फोकस — गाँव-गाँव आस्था और भावनात्मक जुड़ाव अभियान

RSS–BJP ने तय किया है कि राम मंदिर आंदोलन की भावनात्मक ताकत को घर-घर तक पहुँचाया जाएगा।

इसके लिए आगामी दो वर्षों में:

राम कथा, धार्मिक शोभा यात्रा, आस्था यात्रा कार्यक्रम

जनसंपर्क और संवाद अभियान

स्थानीय सांस्कृतिक आयोजनों के माध्यम से जनसहभागिता

यह पहल सियासी नहीं बल्कि सांस्कृतिक नेटवर्क निर्माण की रणनीति के रूप में देखी जा रही है, जिससे संगठन की पकड़ गांव–कस्बों में और मजबूत की जा सके।

‘विराट हिंदू सम्मेलन’ — जनवरी 2026 में शक्ति-प्रदर्शन का बड़ा मंच

रणनीति का सबसे प्रमुख घटक लखनऊ में प्रस्तावित विराट हिंदू सम्मेलन है, जिसमें साधु-संत, धार्मिक संगठन, सामाजिक संस्थाएँ और विभिन्न जातीय समुदायों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।

उद्देश्य —

हिंदू एकता, सांस्कृतिक पहचान, जातिगत दूरी कम करना

“एक राष्ट्र — एक पहचान — एक समाज” का संदेश

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह सम्मेलन 2027 के चुनावी वातावरण को निर्णायक रूप से प्रभावित कर सकता है।

चुनावी फार्मूला — हिंदुत्व + विकास + सामाजिक संतुलन

RSS–BJP नेतृत्व का स्पष्ट संदेश है कि भावनात्मक आधार के साथ विकास की ठोस उपलब्धियों को जनता तक प्रभावी ढंग से पहुँचाया जाएगा।

रणनीति के मुख्य बिंदु:

सड़क, अस्पताल, शिक्षा, कृषि और जनकल्याण योजनाओं में गति

लाभार्थी परिवारों तक व्यक्तिगत संपर्क

सरकारी योजनाओं की वास्तविक निगरानी

साथ ही OBC, दलित, पिछड़ा, महिला, युवा व किसान वर्ग में पैठ मजबूत करने के लिए संगठनात्मक पुनर्संरचना की तैयारी भी चल रही है।

प्रदेश संगठन में बदलाव की तैयारी

सूत्रों के अनुसार, आगामी समय में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सहित संगठन के प्रमुख पदों पर बदलाव संभव हैं, ताकि ऊर्जा और नेतृत्व दोनों ताज़ा हों।

RSS भी प्रचारकों की नियुक्ति और शाखाओं-केंद्रों का विस्तार तेज करने में जुटा है।

2027 — विचारधारा बनाम समीकरण की निर्णायक लड़ाई

विश्लेषकों के अनुसार आगामी चुनावों में मुख्य मुकाबले के ध्रुव होंगे —

हिंदू एकता बनाम जातीय पुनर्संगठन

विकास बनाम असंतोष

भावनात्मक मुद्दे बनाम स्थानीय मुद्दे

RSS–BJP का लक्ष्य है वोट और भावनाओं दोनों का एकीकृत गठबंधन बनाकर सत्ता की हैट्रिक दर्ज करना, जबकि विपक्ष सामाजिक न्याय और जातीय पहचान को मजबूत हथियार बनाकर मुकाबले की तैयारी में जुटा है।

उत्तर प्रदेश में मिशन 2027 अब पूरी गति से आगे बढ़ चुका है।

हिंदुत्व का भावनात्मक प्रभाव, राम मंदिर का सांस्कृतिक प्रतीक, विकास मॉडल, संगठन विस्तार और सामाजिक संतुलन — ये सभी रणनीति के स्तंभ बनकर उभर रहे हैं।

अगले दो वर्ष न केवल राजनीतिक तौर पर, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक स्तर पर भी प्रदेश का भविष्य तय करने वाले साबित होंगे।

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