यूपी के गांवों में किसकी सरकार, 2026 के पंचायत चुनाव बता देंगे 2027 का मिजाज

उत्तर प्रदेश में दो साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों ने पूरी ताकत झोंक रखी है, लेकिन उससे पहले सूबे में 2026 में होने वाला पंचायत चुनाव को 2027 का लिटमस टेस्ट माना जा रहा है. यूपी में पंचायत चुनाव को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं. ये चुनाव 2026 में जनवरी-फरवरी में होने की संभावना है. ऐसे में पंचायत चुनाव को लेकर सियासी दलों ने अपनी-अपनी एक्सरसाइज शुरू कर दी है और गांव में जो सरकार बनाने में कामयाब रहेगा, उससे 2027 के सियासी मिजाज का भी पता चल सकेगा.
यूपी के ग्राम पंचायतों के मौजूदा ग्राम प्रधानों का कार्यकाल 2026 में खत्म हो रहा है. सूबे में करीब 57691 ग्राम प्रधान, पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य, 826 ब्लॉक के प्रमुख, 3200 जिला पंचायत सदस्य और 75 जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव होने हैं. यूपी के चुनाव आयोग सूबे के पंचायत चुनाव को अगले साल हर हाल में कराने की तैयारी में है. ऐसे में फरवरी के दूसरे या तीसरे हफ्ते में यूपी पंचायत चुनाव को लेकर अधिसूचना जारी की जा सकती है.
पंचायत चुनाव की एक्सरसाइज शुरू
राज्य निर्वाचन आयोग ने प्रदेश के 67 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत सामान्य निर्वाचन-2026 के लिए करीब 1.27 लाख सीआर शीट ग्रेड CR1 से बनी मतपेटियों की आपूर्ति के लिए ई-टेंडर जारी किया है. इन मतपेटियों की डिलीवरी 4 महीने के भीतर पूरी करनी होगी. सूबे में पिछली बार पंचायत चुनाव अप्रैल-मई, 2021 हुए थे. ये चुनाव ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत (बीडीसी), और जिला पंचायत (जिला पंचायत सदस्य और अध्यक्ष) स्तर पर होते हैं.
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में सबसे रोचक गांव प्रधानी होता है. गांवों में अभी से ही प्रधानी को लेकर सियासी सरगर्मी बढ़ गई है. हालांकि, पंचायत चुनाव के लिए लोगों की निगाहें सीट के आरक्षण पर है. आरक्षण के बाद ही तस्वीर साफ होगा कि उनके गांव से कौन लड़ सकता है? इसी तरह बीडीसी और जिला पंचायत सदस्य भी अपनी तैयारियां और दावेदारी होर्डिंग-पोस्टर के जरिए शुरू कर चुके हैं. इस तरह निर्वाचन आयोग से लेकर नेता तक अपनी-अपनी एक्सरसाइज शुरू कर दी है.
जिसकी सत्ता उसकी गांव में सरकार
यूपी पंचायत चुनाव को 2027 के विधानसभा चुनाव के सेमीफाइनल के रूप में देखा जा रहा है. अक्सर देखने को मिला है कि जिस पार्टी की प्रदेश में सरकार रहती है. पंचायत और नगर निगम चुनाव में उसका बोलबाला रहता है. पिछली बार उत्तर प्रदेश के कुल 75 जिलों में कुल 3,050 जिला पंचायत सदस्य सीटों पर हुए चुनाव में बीजेपी-सपा से ज्यादा निर्दलीयों ने जीत दर्ज की थी. इसी तरह से प्रधान भी ज्यादातर सत्ताधारी दल के समर्थक नेता ही जीत सके थे.
जिला पंचायत सदस्यों में सपा 759, बीजेपी 768, बसपा 319, कांग्रेस 125, आरएलडी 69, आम आदमी पार्टी 64 और 944 सदस्य निर्दलीय जीते थे. बीजेपी ने निर्दलीय सदस्यों को अपने साथ मिलाकर जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी अपने नाम कर ली थी और ब्लॉक प्रमुख सीट पर भी ऐसे ही कब्जा जमाया था. बीजेपी ने 75 में से 67 जिलों में अपना जिला पंचायत अध्यक्ष बनाया था, सपा महज पांच जिले में ही अपना अध्यक्ष बना सकी थी. इसके अलावा तीन जिलों में अन्य ने अपना कब्जा जमाया था.
पंचायत चुनाव 2027 का सेमीफाइनल
उत्तर प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव को 2027 का सेमीफाइल के तौर पर देखा जा रहा, क्योंकि इसके बाद सीधे विधानसभा चुनाव होने हैं. इसके अलावा यूपी की दो तिहाई सीटें ग्रामीण इलाके से आती है, जहां पर पंचायत चुनाव होते हैं. राजनीतिक दलों को पंचायत चुनाव के जरिए अपनी सियासी ताकत के आकलन करते हैं.
यूपी में औसतन चार से छह जिला पंचायत सदस्यों को मिलाकर विधानसभा के एक क्षेत्र हो जाता है. जिला पंचायत के सदस्यों को मिलने वाले वोट के आधार बनाकर राजनीतिक दलों इस बात का यह एहसास होता है कि वो कितने पानी में है. इससे यह भी साफ हो जाता है कि 2022 के विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनाव की तुलना में कितने मतों में बढ़ोतरी या कमी का आकलन करती है. इस आधार पर वोटों के समीकरण को दुरुस्ती करने की कवायद कर सकते हैं.
राजनीतिक दल पंचायत चुनाव के नतीजों के बाद पार्टी हर जिले के नतीजों पर मंथन करती हैं, क्षेत्रवार, जातिवार नतीजों पर मंथन के आधार पर आगे की रणनीति बनाने का काम करती हैं. इस तरह पंचायत चुनाव के आधार पर 2027 के विधानसभा चुनाव की सियासी जमीन नापना चाहती. पंचायत चुनाव को लेकर जिस तैयारी और जोरशोर के साथ राजनीतिक पार्टियां जुटी हैं, उससे साफ है कि 2026 में ही 2027 के सियासी मिजाज का समझ में आ जाएगा.
यूपी के गांवों में किसकी सरकार, 2026 के पंचायत चुनाव बता देंगे 2027 का मिजाज
उत्तर प्रदेश में दो साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों ने पूरी ताकत झोंक रखी है, लेकिन उससे पहले सूबे में 2026 में होने वाला पंचायत चुनाव को 2027 का लिटमस टेस्ट माना जा रहा है. यूपी में पंचायत चुनाव को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं. ये चुनाव 2026 में जनवरी-फरवरी में होने की संभावना है. ऐसे में पंचायत चुनाव को लेकर सियासी दलों ने अपनी-अपनी एक्सरसाइज शुरू कर दी है और गांव में जो सरकार बनाने में कामयाब रहेगा, उससे 2027 के सियासी मिजाज का भी पता चल सकेगा.
यूपी के ग्राम पंचायतों के मौजूदा ग्राम प्रधानों का कार्यकाल 2026 में खत्म हो रहा है. सूबे में करीब 57691 ग्राम प्रधान, पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य, 826 ब्लॉक के प्रमुख, 3200 जिला पंचायत सदस्य और 75 जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव होने हैं. यूपी के चुनाव आयोग सूबे के पंचायत चुनाव को अगले साल हर हाल में कराने की तैयारी में है. ऐसे में फरवरी के दूसरे या तीसरे हफ्ते में यूपी पंचायत चुनाव को लेकर अधिसूचना जारी की जा सकती है.
पंचायत चुनाव की एक्सरसाइज शुरू
राज्य निर्वाचन आयोग ने प्रदेश के 67 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत सामान्य निर्वाचन-2026 के लिए करीब 1.27 लाख सीआर शीट ग्रेड CR1 से बनी मतपेटियों की आपूर्ति के लिए ई-टेंडर जारी किया है. इन मतपेटियों की डिलीवरी 4 महीने के भीतर पूरी करनी होगी. सूबे में पिछली बार पंचायत चुनाव अप्रैल-मई, 2021 हुए थे. ये चुनाव ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत (बीडीसी), और जिला पंचायत (जिला पंचायत सदस्य और अध्यक्ष) स्तर पर होते हैं.
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में सबसे रोचक गांव प्रधानी होता है. गांवों में अभी से ही प्रधानी को लेकर सियासी सरगर्मी बढ़ गई है. हालांकि, पंचायत चुनाव के लिए लोगों की निगाहें सीट के आरक्षण पर है. आरक्षण के बाद ही तस्वीर साफ होगा कि उनके गांव से कौन लड़ सकता है? इसी तरह बीडीसी और जिला पंचायत सदस्य भी अपनी तैयारियां और दावेदारी होर्डिंग-पोस्टर के जरिए शुरू कर चुके हैं. इस तरह निर्वाचन आयोग से लेकर नेता तक अपनी-अपनी एक्सरसाइज शुरू कर दी है.
जिसकी सत्ता उसकी गांव में सरकार
यूपी पंचायत चुनाव को 2027 के विधानसभा चुनाव के सेमीफाइनल के रूप में देखा जा रहा है. अक्सर देखने को मिला है कि जिस पार्टी की प्रदेश में सरकार रहती है. पंचायत और नगर निगम चुनाव में उसका बोलबाला रहता है. पिछली बार उत्तर प्रदेश के कुल 75 जिलों में कुल 3,050 जिला पंचायत सदस्य सीटों पर हुए चुनाव में बीजेपी-सपा से ज्यादा निर्दलीयों ने जीत दर्ज की थी. इसी तरह से प्रधान भी ज्यादातर सत्ताधारी दल के समर्थक नेता ही जीत सके थे.
जिला पंचायत सदस्यों में सपा 759, बीजेपी 768, बसपा 319, कांग्रेस 125, आरएलडी 69, आम आदमी पार्टी 64 और 944 सदस्य निर्दलीय जीते थे. बीजेपी ने निर्दलीय सदस्यों को अपने साथ मिलाकर जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी अपने नाम कर ली थी और ब्लॉक प्रमुख सीट पर भी ऐसे ही कब्जा जमाया था. बीजेपी ने 75 में से 67 जिलों में अपना जिला पंचायत अध्यक्ष बनाया था, सपा महज पांच जिले में ही अपना अध्यक्ष बना सकी थी. इसके अलावा तीन जिलों में अन्य ने अपना कब्जा जमाया था.
पंचायत चुनाव 2027 का सेमीफाइनल
उत्तर प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव को 2027 का सेमीफाइल के तौर पर देखा जा रहा, क्योंकि इसके बाद सीधे विधानसभा चुनाव होने हैं. इसके अलावा यूपी की दो तिहाई सीटें ग्रामीण इलाके से आती है, जहां पर पंचायत चुनाव होते हैं. राजनीतिक दलों को पंचायत चुनाव के जरिए अपनी सियासी ताकत के आकलन करते हैं.
यूपी में औसतन चार से छह जिला पंचायत सदस्यों को मिलाकर विधानसभा के एक क्षेत्र हो जाता है. जिला पंचायत के सदस्यों को मिलने वाले वोट के आधार बनाकर राजनीतिक दलों इस बात का यह एहसास होता है कि वो कितने पानी में है. इससे यह भी साफ हो जाता है कि 2022 के विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनाव की तुलना में कितने मतों में बढ़ोतरी या कमी का आकलन करती है. इस आधार पर वोटों के समीकरण को दुरुस्ती करने की कवायद कर सकते हैं.
राजनीतिक दल पंचायत चुनाव के नतीजों के बाद पार्टी हर जिले के नतीजों पर मंथन करती हैं, क्षेत्रवार, जातिवार नतीजों पर मंथन के आधार पर आगे की रणनीति बनाने का काम करती हैं. इस तरह पंचायत चुनाव के आधार पर 2027 के विधानसभा चुनाव की सियासी जमीन नापना चाहती. पंचायत चुनाव को लेकर जिस तैयारी और जोरशोर के साथ राजनीतिक पार्टियां जुटी हैं, उससे साफ है कि 2026 में ही 2027 के सियासी मिजाज का समझ में आ जाएगा.