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उत्तर प्रदेश

मथुरा : वृंदावन में शराब ठेका बंद कराने पर सियापा, 20 पर FIR — शास्त्री के बयान के बाद तीर्थ क्षेत्रों में प्रतिबंध की माँग जोर पकड़ने लगी

मथुरा : वृंदावन में शराब ठेका बंद कराने पर सियापा, 20 पर FIR — शास्त्री के बयान के बाद तीर्थ क्षेत्रों में प्रतिबंध की माँग जोर पकड़ने लगी
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रिपोर्ट : विजय तिवारी

वृंदावन/मथुरा |

धार्मिक नगरी वृंदावन एक बार फिर सुर्खियों में है। परिक्रमा मार्ग के पास स्थित शराब ठेके को जबरन बंद कराने की घटना ने पूरे ब्रज क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया है। दिल्ली–गाजियाबाद से आए हिंदू नेताओं के एक दल द्वारा दुकान का शटर गिरवाने का वीडियो वायरल होते ही प्रशासन हरकत में आया और 20 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी।

यह पूरा घटनाक्रम उस समय और संवेदनशील हो गया जब धार्मिक प्रवक्ता धीरेंद्र शास्त्री ने हाल ही में ब्रज में मांस-मदिरा पर खुलकर आपत्ति जताई थी। उनके बयान को कई लोग इस पूरे विवाद की पृष्ठभूमि मान रहे हैं।

घटना का पूरा घटनाक्रम — किसने क्या किया?

मंगलवार दोपहर दुकान खुली ही थी कि दिल्ली–गाजियाबाद से पहुंचे युवा नेताओं का समूह वहाँ जा धमका।

नेतृत्व दक्ष चौधरी के हाथ में था, जबकि उनके साथ

करीब 20 लोग मौजूद थे।

समूह ने दुकान बंद करवाई, शटर गिरवाया और वीडियो लाइव किया — देखते ही देखते मामला सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगा।

प्रशासन ने तत्काल वीडियो के आधार पर सभी के खिलाफ केस दर्ज कर दिया और स्पष्ट संदेश दिया—

“कानून हाथ में लेने की अनुमति किसी को नहीं।”

ब्रज की भावना बनाम लाइसेंस व्यवस्था — बहस अब दो हिस्सों में बंट चुकी है

वृंदावन केवल एक पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि दुनिया के सबसे बड़े तीर्थ क्षेत्रों में से एक है। यही कारण है कि यहाँ शराब ठेका खुलने का मुद्दा लंबे समय से संवेदनशील माना जाता रहा है।

स्थानीय संतों का तर्क है कि

परिक्रमा मार्ग का धार्मिक महत्व है।

श्रद्धालुओं की सुबह-शाम पदयात्रा होती है।

ऐसे क्षेत्रों में शराब ठेके का संचालन असंगत और अनुचित है।

दूसरी ओर प्रशासन यह स्पष्ट कर चुका है कि लाइसेंस वैध है तो बंद कराने का अधिकार सिर्फ शासन का है, किसी समूह का नहीं।

सोशल मीडिया पर भड़की बहस — ‘तीर्थ क्षेत्र हो तो अभियोग भी सख्त हो’

घटना के बाद सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर राय दो हिस्सों में बंट गई।

एक बड़ा वर्ग तीर्थ क्षेत्रों में पूर्ण प्रतिबंध की मांग कर रहा है।

लोगों के तर्क :

धार्मिक शहरों की पवित्रता और सांस्कृतिक पहचान को बचाना ज़रूरी

लाखों श्रद्धालुओं की आस्था प्रभावित होती है।

संवेदनशील क्षेत्रों में शराब और मांस बिक्री से अनावश्यक विवाद जन्म लेते हैं।

सरकार को स्पष्ट नीति लानी चाहिए— “तीर्थ क्षेत्र मतलब नो-लिकर जोन”

कुछ लोगों ने यह भी लिखा कि सरकार चाहे तो ब्रज, काशी, अयोध्या, प्रयागराज जैसे स्थानों के लिए विशेष धार्मिक संरक्षण क्षेत्र (Special Religious Zone) घोषित कर सकती है।

वहीं, एक दूसरा वर्ग कह रहा है कि विरोध सही हो सकता है, लेकिन तरीका कानूनी होना चाहिए।

अब आगे क्या?

पुलिस 20 नामजद लोगों की गतिविधियों की जांच कर रही है

आबकारी विभाग को विस्तृत रिपोर्ट सौंपनी है।

धार्मिक संगठनों और प्रशासन के बीच संवाद की कोशिशें शुरू

सरकार तीर्थ क्षेत्रों को लेकर नई नीति पर विचार कर सकती है

वृंदावन की यह घटना सिर्फ एक शराब ठेका बंद कराने का मामला नहीं,

बल्कि आस्था, संस्कृति, कानून और प्रशासनिक प्रणाली के टकराव की गूँज है—

जो अब पूरे उत्तर प्रदेश में एक बड़ी बहस का रूप ले चुकी है।

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