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पाकिस्तान ने भारत के 15 शहरों पर हमले करने की कोशिश की, लेकिन भारत की S-400 वायु रक्षा प्रणाली ने इन हमलों को विफल कर दिया. S-400 को "सुदर्शन कवच" के रूप में वर्णित किया गया है

पाकिस्तान ने भारत के 15 शहरों पर हमले करने की कोशिश की, लेकिन भारत की S-400 वायु रक्षा प्रणाली ने इन हमलों को विफल कर दिया. S-400 को सुदर्शन कवच के रूप में वर्णित किया गया है
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भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान में हड़कंप मच गया है. बौखलाए पाकिस्तान ने भारत के 15 शहरों को निशाना बनाने की कोशिश की. उसने कई ड्रोन और मिसाइलें दागीं, लेकिन भारत के एयर डिफेंस सिस्टम ने उसके मंसूबों को नाकाम कर दिया. रक्षा मंत्रालय ने दोपहर 2:30 बजे इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी.

भारत पहले ही अपनी सीमाओं पर रूस से मंगवाए गए अत्याधुनिक S-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम की तैनाती कर चुका था. जैसे ही पाकिस्तान की ओर से हमला हुआ, S-400 सिस्टम को तुरंत एक्टिव किया गया और उसी के ज़रिए दुश्मन की मिसाइलों को बीच रास्ते में ही ध्वस्त कर दिया गया. भारत ने इस सिस्टम को ‘सुदर्शन’ नाम दिया है, जो भगवान श्रीकृष्ण के दिव्य चक्र से प्रेरित है.

क्या है S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम?

S-400 एक अत्याधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम है, जिसे रूस के एलमाज सेंट्रल डिजाइन ब्यूरो ने बनाया है. इसकी खासियत ये है कि ये 400 किलोमीटर दूर से ही दुश्मन की गतिविधियों को भांप सकता है और पलटवार करने में सक्षम है. ये सिस्टम मिसाइल, ड्रोन, फाइटर जेट्स और रॉकेट लॉन्चर जैसे हवाई हमलों को रोकने में कारगर है. ये एक मोबाइल सिस्टम है, यानी इसे रोड के जरिए कहीं भी ले जाया जा सकता है और मात्र 5 से 10 मिनट में इसे ऑपरेशन के लिए तैयार किया जा सकता है.

S-400 की खूबियां

यह सिस्टम 400 किमी तक के टारगेट को डिटेक्ट और तबाह कर सकता है. 92N6E नाम का रडार इसमें लगा होता है, जो 600 किमी दूर तक मल्टिपल टारगेट्स को पहचान सकता है. यह एक साथ 160 टारगेट्स को ट्रैक कर सकता है और एक टारगेट पर दो मिसाइलें दागी जा सकती हैं. यह 30 किमी की ऊंचाई तक उड़ते दुश्मन के टारगेट को भी निशाना बना सकता है.

अमेरिका को भी खटकता है यह सिस्टम

भारत ने साल 2018 में रूस से 5 S-400 यूनिट खरीदने का समझौता किया था. यह वही सिस्टम है जिसकी वजह से अमेरिका ने तुर्की पर प्रतिबंध लगाए थे. अमेरिका ने भारत-रूस के इस सौदे पर भी आपत्ति जताई थी, लेकिन भारत ने अपनी रक्षा जरूरतों को प्राथमिकता दी.


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