कानपुर : फर्जी फर्म बनाकर 1.13 करोड़ का ITC घोटाला, SGST की छापेमारी में खुला बड़ा राजस्व घोटाला

रिपोर्ट : विजय तिवारी
कानपुर में टैक्स चोरी और दस्तावेजी जालसाजी का एक बड़ा मामला उजागर हुआ है। राज्य वस्तु एवं सेवा कर (SGST) विभाग ने जांच में पता लगाया है कि शहर में “मीना ट्रेडिंग” नाम की एक फर्जी फर्म खड़ी कर सरकारी खजाने को 1.13 करोड़ रुपये का नुकसान पहुँचाया गया। फर्म का अस्तित्व सिर्फ कागज़ों में था, जबकि न तो कोई दुकान, न गोदाम और न ही असल व्यापार का कोई रिकॉर्ड मौजूद था।
कैसे बिछाया गया फर्जीवाड़े का जाल?
SGST विभाग की शुरुआती जांच में यह सामने आया कि—
फर्म के नाम पर नकली GST रजिस्ट्रेशन लिया गया।
कई महीनों तक कागज़ी खरीद-फरोख्त के बिल तैयार किए गए।
इन बिलों के आधार पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) लिया गया, लेकिन वास्तविकता में एक भी माल की खरीद या सप्लाई नहीं हुई।
बिलिंग नेटवर्क ऐसे बनाया गया कि लेनदेन लाखों में दिखाया जा सके और टैक्स का बोझ कम किया जा सके।
जांच टीम के अनुसार फर्म का पंजीकरण ऐसे दस्तावेजों पर आधारित था जो या तो गलत थे या किसी और की पहचान का दुरुपयोग कर बनाए गए थे। फर्म से जुड़े मोबाइल नंबर, पता और बैंक खाते भी संदिग्ध पाए गए।
SGST विभाग की कार्रवाई कैसे शुरू हुई?
विभाग को राजस्व हानि से जुड़े एक आंतरिक विश्लेषण के दौरान संदेह हुआ कि मीना ट्रेडिंग द्वारा दाखिल रिटर्न में—
असामान्य ITC क्लेम,
सप्लाई के अस्पष्ट विवरण,
और बिलिंग पैटर्न में कई विसंगतियाँ
दिखाई दे रही हैं।
टीम ने फर्म के “पंजीकृत स्थान” पर पहुंचकर जांच की, जहाँ न कोई दुकान मिली, न कर्मचारी, न गतिविधि। दस्तावेज मिलान में दिखाई दिया कि फर्म पूरी तरह पेपर एंटिटी थी।
कल्याणपुर थाने में मुकदमा दर्ज
SGST विभाग ने जांच रिपोर्ट तैयार कर कल्याणपुर थाने में मुकदमा दर्ज कराया है।
आरोपियों के खिलाफ लगाया गया है कि उन्होंने—
जालसाजी,
सरकारी दस्तावेजों का दुरुपयोग,
टैक्स चोरी,
और सरकारी खजाने को नुकसान पहुँचाने
की साजिश रची।
मुकदमा IPC की धोखाधड़ी से संबंधित धाराओं के साथ GST कानून की गंभीर धाराओं के तहत दर्ज किया गया है।
इसके पीछे बड़े नेटवर्क की आशंका
विभाग को शक है कि मीना ट्रेडिंग कोई अकेली फर्जी फर्म नहीं, बल्कि ऐसे कई और GST खातों की चेन हो सकती है जिन्हें टैक्स चोरी के लिए बनाया गया है।
इसलिए टीम अब—
फर्म से जुड़े बैंक लेनदेन,
संदिग्ध ई-मेल/आईडी,
और सप्लाई चेन में दर्ज अन्य फर्मों
की भी जांच कर रही है।
कई दस्तावेज जब्त कर लिए गए हैं और डेटा रिकवरी टीम डिजिटल विश्लेषण कर रही है।
राजस्व विभाग की प्रतिक्रिया
अधिकारियों का कहना है कि इस तरह की फर्जी फर्में वास्तविक व्यापारियों पर बोझ बढ़ाती हैं और सरकार के राजस्व को भारी नुकसान पहुँचाती हैं। SGST ने साफ किया है कि—
फर्जी आईटीसी लेने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी,
ऐसे मामलों की पहचान के लिए सॉफ्टवेयर निगरानी और अलर्ट सिस्टम मजबूत किए जा रहे हैं,
और टैक्स चोरी करने वालों पर आर्थिक जुर्माने के अलावा गिरफ्तारी की कार्रवाई भी हो सकती है।
कानपुर में बेनकाब हुआ यह फर्जी फर्म घोटाला दिखाता है कि टैक्स चोरी का नेटवर्क कितने संगठित तरीके से काम करता है। SGST की सतर्कता से 1.13 करोड़ के नुकसान का खुलासा तो हुआ, लेकिन जांच से इस बात की भी उम्मीद है कि आगे और बड़ी कर चोरी सामने आ सकती है। मामला फिलहाल पुलिस, SGST और खुफिया इकाइयों की संयुक्त जांच में है।




