प्रो.सुनीता मिश्रा ने औरंगजेब को बताया कुशल शासक, मचा बवाल तो मांगी माफी

राजस्थान के उदयपुर स्थित मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुनीता मिश्रा चर्चा में हैं. उन्होंने अपने एक बयान में औरंगजेब को कुशल प्रशासक बताया था, जिससे बाद पूरे राज्य भर में उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए थे. बीते बुधवार को उन्होंने इस पर सार्वजनिक तौर पर माफी मांगी और कहां कि राजस्थान वीरों की भूमि है. यह महाराणा प्रताप की भूमि है.
यह विवाद 12 सितंबर को विश्वविद्यालय में आयोजित एक सेमिनार के दौरान शुरू हुआ, जहां प्रो. सुनिता ने औरंगजेब की प्रशासनिक क्षमताओं की तुलना ऐतिहासिक महाराणा प्रताप और पृथ्वीराज चौहान से की थी. उनकी टिप्पणियों की कड़ी आलोचना हुई खासकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) और राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना की ओर से.
जिन्होंने कथित तौर पर मेवाड़ की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाते हुए उनके इस्तीफे की मांग की. करणी सेना ने कहा कि उदयपुर संभाग में पूजे जाने वाले महाराणा प्रताप की तुलना हिंदू धर्म को नुकसान पहुंचाने वाले घुसपैठिए से करना अपमानजनक है.
प्रो. सुनीता मिश्रा मौजूदा समय में उदयपुर स्थित MLSU की वीसी हैं. वह ओडिशा की प्रतिष्ठित शिक्षाविद् हैं. इससे पहले वह लखनऊ स्थित बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय की डीन थीं. उनकी नियुक्ति 2023 में मौजूदा राज्यपाल कलराज मिश्र ने की थी. उनकी पढ़ाई भुवनेश्वर स्थित रमा देवी महिला महाविद्यालय (अब विश्वविद्यालय) और कटक स्थित शैलबाला महिला महाविद्यालय से हुई है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उनके पति सत्य नारायण आईपीएस हैं.
प्रो. सुनीता मिश्रा पुरी की मूल निवासी है. उन्होंने 1991 से 1997 के बीच ओडिशा के बरहामपुर राजकीय महिला महाविद्यालय और कटक स्थित एसबी महिला महाविद्यालय में टीचिंग की. उसके बाद वह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और लखनऊ स्थित बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय (एक केंद्रीय विश्वविद्यालय) में शामिल हुई. 32 वर्षों से अधिक के शिक्षण अनुभव के साथ, उनकी शैक्षणिक साख उत्कृष्ट है. लगभग 15 वर्षों तक प्रोफ़सर और डीन के रूप में कार्य करने के बाद उन्होंने 23 पुस्तकें लिखी हैं, 20 पीएचडी का पर्यवेक्षण किया है और खाद्य प्रौद्योगिकी में दो पेटेंट प्राप्त किए हैं.
उन्हें 2008 में अमेरिका में नोबेल पुरस्कार विजेता द्वारा सम्मानित किया गया था. उन्होंने 400 से अधिक प्रतिष्ठित शोध पत्र प्रकाशित किए हैं और पिछले 10 वर्षों में यूजीसी और एनएएसी की कई समितियों का नेतृत्व किया है. वह भारत में संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम से भी जुड़ी रही हैं. बुधवार को जारी एक वीडियो संबोधन में प्रोफेसर मिश्रा ने खेद व्यक्त किया और मेवाड़ के लोगों से माफी मांगी विशेष रूप माफी मांगी.