Janta Ki Awaz
उत्तर प्रदेश

वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला मुसलमानों के लिए राहत या झटका?

वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला मुसलमानों के लिए राहत या झटका?
X

वक्फ (संशोधन) कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना अंतरिम फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने साफ तौर पर पूरे कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. हालांकि कुछ धाराओं पर रोक लगा दी है, जिस पर कई मुस्लिम नेताओं ने खुशी जाहिर की है. कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी जो इस कानून का शुरुआत से विरोध कर रहे थे, उन्होंने कोर्ट के इस फैसले पर खुशी जाहिर की है. ऐसे में समझते हैं कि आखिर सुप्रीम कोर्ट का फैसला मुसलमानों के लिए राहत भरा है या कुछ और?

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टाइन जॉर्ज मसीह की बेंच ने आज अंतरिम आदेश पारित किया है. कोर्ट ने माना कि पूरे संशोधन पर रोक लगाने का कोई मामला नहीं बनता है, लेकिन कुछ प्रावधानों पर रोक लगा दी है. इनमें धारा 3(ग), 3(घ), 3(ङ) शामिल हैं.

इन प्रावधानों पर रोक

सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के उस प्रावधान पर रोक लगा दी है जिसके अनुसार वक्फ बनाने के लिए किसी व्यक्ति को 5 वर्षों तक इस्लाम का अनुयायी होना जरूरी था. यह प्रावधान तब तक स्थगित रहेगा जब तक राज्य सरकारें यह निर्धारित करने के लिए नियम नहीं बना लेतीं हैं कि कोई व्यक्ति इस्लाम का अनुयायी है या नहीं है.

न्यायालय ने निर्देश दिया है कि जहां तक संभव हो, वक्फ बोर्ड का मुख्य कार्यकारी अधिकारी एक मुस्लिम होना चाहिए. कोर्ट ने इसको लेकर आदेश नहीं दिया है. बल्कि अपना सुझाव दिया है.

इसके साथ ही बोर्ड के कुल 11 सदस्यों में से 3 से ज्यादा गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे. ये भी एक राहत भरा फैसला माना जा रहा है. जबकि काउंसिल में 4 गैर मुस्लिम सदस्यों को रखने की मंजूरी दी है.

सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन की अनिवार्यता पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है, क्योंकि यह पहलू पहले के कानूनों में भी मौजूद था.न्यायालय ने कहा कि उसने अपने आदेश में इस पहलू पर ध्यान दिया है.

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया कि कलेक्टर या कार्यपालिका को संपत्ति के अधिकार तय करने की अनुमति नहीं है. कोर्ट ने कहा कि जब धारा 3(c) के तहत वक्फ संपत्ति पर अंतिम फैसला वक्फ ट्रिब्यूनल और हाई कोर्ट से नहीं हो जाता, तब तक न तो वक्फ को संपत्ति से बेदखल नहीं किया जाएगा. इसके साथ ही कोर्ट के फैसले तक राजस्व रिकॉर्ड में भी किसी तरीके की कोई छेड़छाड़ नहीं की जाएगी. यानि अब कलेक्टर के तय करने से ही ये साबित नहीं होगा कि संपत्ति वक्फ है नहीं.

ये वो तमाम प्रावधान हैं, जिनको लेकर कानून आने से ही विवाद चल रहा था. अब जबकि इन पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी है तो मुस्लिम पक्ष इसे राहत के तौर पर देख रहा है.

वक्फ कानून पर रोक लगाने की हुई थी मांग

वक्फ कानून जैसे ही सामने आया था. कई लोगों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. इसके साथ ही कानून पर पूरी तरीके से रोक लगाने की मांग की गई थी. देशभर में इसको लेकर विरोध भी देखने को मिला. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद आज फैसला सुनाया है. इसके साथ ही साफ तौर पर इंकार कर दिया है कि वे इस कानून पर पूरी तरह से रोक नहीं लगाएंगे. ये बात जाहिर तौर पर मुसलमानों के लिए परेशान करने वाली हो सकती है. क्योंकि मुख्य मांग कानून पर रोक लगाने की ही थी.

हम लड़ाई जारी रखेंगे- इमरान प्रतापगढ़ी

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने खुशी जाहिर की है. उन्होंने कहा, “यह वाकई एक अच्छा फैसला है. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की साजिश और इरादों पर लगाम लगा दी है. जमीन दान करने वाले लोग इस बात से डरे हुए थे कि सरकार उनकी जमीन हड़पने की कोशिश करेगी. यह उनके लिए राहत की बात है. सरकार कैसे तय करेगी कि कौन 5 साल से धर्म का पालन कर रहा है? यह आस्था का मामला है. सरकार ने इन सभी पहलुओं पर ध्यान दिया है. हम लड़ाई जारी रखेंगे…”

सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम फैसले पर ईदगाह इमाम और AIMPLB सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा, “हमारी मांग थी कि पूरे अधिनियम पर रोक लगाई जाए, लेकिन कोर्ट ने ऐसा कोई आदेश नहीं दिया. हालांकि, कोर्ट ने कई प्रावधानों पर रोक लगाई है, और हम कुछ प्रावधानों पर रोक का स्वागत करते हैं.

कोर्ट ने मानी हमारी बात- वकील

वक्फ अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिका दायर करने वाले वकील अनस तनवीर ने कह कि सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार माना कि कुछ प्रावधानों पर रोक लगाने का प्रथम दृष्टया मामला बनता है. उन्होंने सभी प्रावधानों या पूरे अधिनियम पर रोक नहीं लगाई है, लेकिन कुछ प्रावधानों पर रोक लगाई है. जैसे कि वह प्रावधान जिसमें कहा गया था कि आपको पांच साल तक मुसलमान होना चाहिए, उस पर रोक लगाई गई है क्योंकि यह निर्धारित करने का कोई तंत्र नहीं है कि कोई व्यक्ति पांच साल से मुसलमान है या नहीं.

उन्होंने कहा कि जहां तक ​​गैर-मुस्लिम सदस्यों का सवाल है, अदालत ने कहा है कि वक्फ बोर्ड में, यह 3 से अधिक नहीं हो सकता और धारा 9 में 4 से अधिक नहीं हो सकता है, और पंजीकरण पर, अदालत ने स्पष्ट रूप से समय सीमा बढ़ा दी है लेकिन प्रावधान पर रोक नहीं लगाई है.

संशोधनों पर कोई रोक नहीं- वकील वरुण सिन्हा

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर, एडवोकेट वरुण सिन्हा ने कहा, “केंद्र सरकार द्वारा लाए गए संशोधनों पर कोई रोक नहीं है. याचिकाकर्ताओं के पक्ष में केवल एक अंतरिम आदेश है कि संशोधित कानून सहित कानून में निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना उन्हें वक्फ संपत्ति से वंचित नहीं किया जा सकता. अगर सरकार को कोई वक्फ लेना है, तो वक्फ अधिनियम में निर्धारित प्रक्रिया, जिसमें वक्फ में संशोधन भी शामिल है. उसका पालन ट्रिब्यूनल के साथ-साथ उच्च न्यायालय द्वारा भी किया जाना है.

उन्होंने कहाकि इसलिए ट्रिब्यूनल के फैसले के बाद, उस आदेश को भी प्रभावी किया जा सकता है. जो वक्फ पंजीकृत नहीं हैं, उन्हें वक्फ संपत्ति नहीं माना जाएगा. जिन्होंने पांच साल तक इस्लाम का पालन नहीं किया है, वे वक्फ नहीं बना सकते, उस प्रावधान पर रोक लगा दी गई है.”

Next Story
Share it