वाराणसी रामनगर की रामलीला मे रावण जन्म का मंचन, प्रभु के जन्म की हुई भविष्यवाणी

(रामनगर) वाराणसी। यूनेस्को की हेरिटेज सूची में शामिल विश्व प्रसिद्ध रामलीला का शुभारंभ प्रभु के जन्म की भविष्यवाणी के साथ हुआ। पहले दिन बालकांड के 175.1 से तक 187 तक के दोहों की लीला का मंचन किया गया। प्रभु के जन्म की भविष्यवाणी सुनते ही देवतागण प्रसन्न हो गए।
प्रथम दिवस मुख्य रूप से रावण जन्म की लीला का मंचन हुआ। जन्म होते ही रावण ने ब्रह्मा से वर मांगा कि वह वानर और मनुष्य को छोड़ किसी के हाथों ना मरे। इसी वरदान के साथ उसने स्वर्ग के देवताओं पर अत्याचार करना आरंभ कर दिया। वही कुंभकरण छह महीने सोने तथा एक दिन जागने का वरदान मांगता है तो विभीषण भगवान के चरणों में अनुराग का वरदान मांगते हैं।
ब्रह्मा लंकिनी से कहत हैं कि राक्षसों का राजा रावण बहुत दिनों तक साम्रज्य फैलाएगा। माल्यवान रावण को त्रिकुट पर्वत पर श्रीलंका में निवास करने का परामर्श देता है कुबेर दूत कुबेर से बताता है कि रावण उन पर आक्रमण की तैयारी में सेना सहित आया है। रावण राक्षसों से कहता है कि देवताओं का यज्ञ होम ना होने पाए, उसमें बाधा डालो। मेघनाद इंद्र को पकड़ लेता है। ब्रह्मा के निवेदन पर रावण इंद्र को छोड़ देता है।
रावण डुगडुगी पिटवाकर सभी देवताओं को यज्ञ होम न करने के लिए कहता है। पुराण वाचने पर देवताओं को आग के हवाले करने की चेतावनी देता है। परेशान देवता बैकुंठ वास कर रहे भगवान विष्णु के पास जाकर रक्षा की गुहार लगाते हैं। तभी भविष्यवाणी होती है कि तुम लोग डरो मत हम तुम्हारे लिए मनुष्य का तन धारण करेंगे। अपने अंश सहित सूर्यवंश में अवतार लेकर इस पापी से मुक्ति दिलाएंगे। अंत में क्षीर सागर की भव्य झांकी की आरती होती है। रामबाग पोखरे में अत्यधिक पानी भरे होने के कारण पीएसी द्वारा जल पुलिस की एक टुकड़ी तैनात की गई थी।
शान से निकली शाही सवारी
लगभग 11 महीने बाद पुनः आरंभ हुई विश्व प्रसिद्ध रामलीला के पहले दिन लोगो मे जबरदस्त उत्साह दिखा। शाम चार बजते ही किला के पास सैकड़ो की भीड़ इकट्ठा हो गई। सभी की दृष्टि किला गेट की तरफ रही। लोग शाही सवारी की प्रतीक्षा करते रहे।
4:44 बजे जैसे ही पूर्व राज परिवार के अनंत नारायण सिंह बाघेश्वरी बग्घी में सवार होकर किला से बाहर आए, पूरा नगर हर-हर महादेव के उदघोष से गूंज उठा। किला से लेकर रामबाग तक दो किलोमीटर तक सड़क पर जगह-जगह लोगो ने अनंत नारायण सिंह का अभिवादन किया। लीला स्थल पहुंचने पर अनंत नारायण सिंह हाथी पर बैठे। 36वीं वाहिनी पीएसी की एक टुकड़ी ने उन्हें सशस्त्र सलामी दी। इसके बाद रावण जन्म की लीला शुरू हुई।