पूरे जोश-ओ-ख़रोश से मनाया बारावफात- सजी अंजुमन, गूंजी नात-ए-पाक, बच्चों की टोलियां बनी आकर्षण का केंद्र

अनवार खाँ मोनू-
बहराइच। इस्लामिक कैलेंडर के रबी-उल-अव्वल माह की 12वीं तारीख को मनाया जाने वाला पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मुहम्मद साहब का जन्मदिन बारावफात शुक्रवार को नगर में बड़े ही अकीदत व शान-ओ-शौकत के साथ मनाया गया। सुबह से ही नगर की गलियों और मोहल्लों में जश्न का माहौल था। मस्जिदों और दरगाहों को रोशनी व रंग-बिरंगी झालरों से सजाया गया। अकीदतमंदों ने नबी-ए-पाक की शिक्षाओं को याद कर अमन-ओ-भाईचारे पर चलने का संकल्प लिया।
दरगाह शरीफ, नाज़िरपुरा, काज़ीपुरा, बड़ी तकिया, चांदपुरा, बड़ीहाट, छोटी बाजार, चिककीपुरा सहित कई मोहल्लों से सजावटी अंजुमन निकाली गईं। इन अंजुमनों में बच्चों की टोलियां आकर्षण का केंद्र रहीं। छोटे-छोटे बच्चे सफेद कुर्ता-पायजामा, हरे साफे और टोपी पहने नात-ए-पाक पढ़ते हुए जुलूस में शामिल हुए। कई बच्चों ने झांकियों के रूप में नबी-ए-पाक की सीरत से जुड़े संदेश भी प्रस्तुत किए।
नगर के छावनी चौराहे पर जब सभी अंजुमन एकत्र हुए तो माहौल "नारा-ए-तकबीर, अल्लाहु अकबर" और "पैगंबर की आमद मरहबा" के नारों से गूंज उठा। सीरत कमेटी के सदर हाजी तेजे खाँ पदाधिकारियों ने पूर्व मंत्री याशर शाह, पूर्व नगर पालिका परिषद अध्यक्ष हाजी रेहान खां और समाजवादी पार्टी के कोषाध्यक्ष हाजी अब्दुल मन्नान को साफा बांधकर खैरमकदम किया।
जुलूस मार्ग पर जगह-जगह लंगर का इंतज़ाम किया गया। अकीदतमंदों को शर्बत, मिठाइयां और हलवे की तबर्रुक़ बांटी गईं। बच्चों ने मिठाइयों का खूब लुत्फ़ उठाया, वहीं बुजुर्गों ने भी जगह-जगह लगे शर्बत के स्टॉल पर अपनी प्यास बुझाई।
पूरे आयोजन को सकुशल सम्पन्न कराने के लिए जिला प्रशासन और पुलिस ने चाक-चौबंद सुरक्षा व्यवस्था की। मजिस्ट्रेटों और पुलिस अधिकारियों की देखरेख में संवेदनशील मार्गों पर अतिरिक्त पुलिस बल तैनात रहा। ड्रोन कैमरों से जुलूस की निगरानी की गई, वहीं पुलिस जवान लगातार गश्त करते रहे ताकि किसी तरह की अव्यवस्था न हो। सुरक्षा इंतज़ामों के चलते बारावफात का जुलूस पूरी शांति और भाईचारे के साथ सम्पन्न हुआ।
दिनभर नगर के विभिन्न हिस्सों में तकरीर, मिलाद शरीफ और नातिया महफिलों का आयोजन होता रहा। देर शाम तक रोशनियों से नहाई गलियां और घर बारावफात की रौनक बयान कर रहे थे। यह जश्न न सिर्फ धार्मिक उत्साह का प्रतीक रहा बल्कि नगर की गंगा-जमुनी तहजीब और आपसी भाईचारे का भी शानदार संदेश देता नज़र आया।