वडोदरा में कायस्थ समाज का संगम : रिश्तों, व्यापार और संस्कार की नई दिशा

कायस्थ समाज के कुल गौरव अध्यक्ष अनूप श्रीवास्तव जी के दिशा-निर्देश में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह संगीत संध्या समाज के कार्यकर्ताओं को समर्पित रही।
रविवार को वडोदरा जिले के सांस्कृतिक भवन में एक अलग ही नज़ारा देखने को मिला। मंच पर भगवान चित्रगुप्त की प्रतिमा सजी थी, सामने कायस्थ समाज के सैकड़ों लोग बैठे थे और हर चेहरे पर उत्साह और अपनापन झलक रहा था।
अखिल भारतीय कायस्थ महासभा द्वारा आयोजित “सांस्कृतिक संगम” का, जिसका उद्देश्य था—समाज को जोड़ना, कमियों को पहचानना और मिलकर विकास की राह तलाशना।
कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने कहा कि शादी-ब्याह में रिश्तों को जोड़ने की परंपरा कमजोर होती जा रही है, लेकिन ऐसे आयोजन समाज को फिर से साथ बैठने, रिश्तेदारी बढ़ाने और बच्चों के लिए सही दिशा सोचने का अवसर देते हैं।
बाहर से आकर बसे परिवारों की जरूरत
कार्यक्रम में बताया गया कि समाज के कई लोग नौकरी या व्यवसाय के सिलसिले में उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों से आकर वडोदरा में बस गए हैं। ऐसी स्थिति में बच्चों के विवाह में दिक्कतें सामने आती हैं। इस समस्या को दूर करने के लिए आयोजित मेट्रो मेडियन कार्यक्रम सफल रहा, जिसके चलते तीन-चार विवाह संपन्न होने जा रहे हैं।
कार्यक्रम में समाज के व्यापारियों को संबोधित करते हुए कहा गया कि अलग-अलग व्यवसाय करने वाले लोग एक-दूसरे के अनुभवों से सीख सकते हैं। मिलकर नेटवर्किंग करने से छोटे व्यापार भी बड़े स्तर तक पहुँच सकते हैं। कई युवाओं ने डिजिटल बिज़नेस और ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर मिलकर काम करने की इच्छा जताई।
समाज की कमियों पर भी बेबाकी से बात हुई—शिक्षा में पिछड़ना, युवाओं में बेरोज़गारी, और परंपराओं से दूरी। महासभा के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि कमियों पर बात करना कमजोरी नहीं, बल्कि सुधार की पहली सीढ़ी है।
संस्कृति और एकता का उत्सव संगीत, कविता और नृत्य प्रस्तुतियों ने माहौल को जीवंत कर दिया। बच्चों ने संस्कृत श्लोक और भजन प्रस्तुत किए, वहीं युवाओं ने कायस्थ महापुरुषों की गाथाओं पर आधारित नाटक किया।
अंत में सभी उपस्थित लोगों ने संकल्प लिया कि वे समाज की एकता और प्रगति के लिए हर संभव सहयोग करेंगे। यह आयोजन इस बात का प्रमाण बना कि—
“जब हम सब मिलते हैं, तो न सिर्फ रिश्ते मजबूत होते हैं, बल्कि व्यापार, शिक्षा और संस्कृति भी नई दिशा पाते हैं।”
कार्यक्रम का उद्देश्य समाज के लोगों को जोड़ना, एक-दूसरे के संपर्क में लाना और रिश्तों को मजबूत करना रहा। संगीत संध्या के माध्यम से लोग साथ बैठे, बातचीत हुई और विवाह तथा व्यापार को आगे बढ़ाने की दिशा पर विचार साझा किए गए। साथ ही, व्यक्तिगत और पारिवारिक समस्याओं पर भी ऐसे आयोजनों में खुलकर चर्चा का अवसर मिलता है।
इस अवसर पर यह भी उल्लेख किया गया कि समाज में कई अच्छे कलाकार मौजूद हैं, जिन्हें ऐसे आयोजनों के माध्यम से अपनी कला प्रस्तुत करने का अवसर मिलता है।