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वो चमत्कारी नहीं, संस्कृत के एक श्लोक को समझा दें तो... प्रेमानंद महाराज को रामभद्राचार्य की खुली चुनौती

वो चमत्कारी नहीं, संस्कृत के एक श्लोक को समझा दें तो... प्रेमानंद महाराज को रामभद्राचार्य की खुली चुनौती
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नई दिल्ली:

वृंदावन में प्रेमानंद महाराज का सत्संग उनसे मिलने वाले आने वाले सेलेब्रिटी को लेकर सुर्खियों में रहता है. राज कुंद्रा, विराट कोहली जैसी कई हस्तियां उनके अनुयायियों में हैं. हाल ही में राज कुंद्रा ने उन्हें किडनी देने की पेशकश की और फिर उस पर भोजपुरी अभिनेता खेसारी लाल यादव ने कहा कि सस्ती पब्लिसिटी स्टंट के लिए ये सब किया जा रहा है. इसी विवाद के बीच एनडीटीवी ने जगद्गुरु रामभद्राचार्य से इस विषय पर बात की, जिन्होंने बड़ी ही बेबाकी से अपनी राय दी.

वह मेरे लिए बालक समान - रामभद्राचार्य

रामभद्राचार्य ने कहा, प्रेमानंद को मैं चमत्कार नहीं मानता. वो एक अक्षर मेरे सामने संस्कृत बोलकर दिखा दें या फिर मेरे संस्कृत के श्लोकों का अर्थ समझा दें. वो तो मेरे बालक के समान हैं. शास्त्र जिसको आए, वही चमत्कार है. किडनी का डायलिसिस तो होता रहता है. जो वो करना चाहते हैं, उन्हें करने दीजिए. सारे सेलेब्रिटी अपनी इमेज चमकाने के लिए उनके पास आते हैं. वृंदावन, अयोध्या सब तो हैं.

वो चमत्कारी नहीं...

उन्होंने कहा, "मैं प्रेमानंद से द्वेष नहीं रखता हूं लेकिन मैं उन्हें विद्वान नहीं कह रहा हूं और न ही उन्हें चमत्कारी कह रहा हूं. चमत्कार उसे कहते हैं जो शास्त्री चर्चा करता हो". उनकी लोकप्रियता पर रामभद्राचार्य ने कहा, "अच्छी है लेकिन ये लोकप्रियता कुछ पलों के लिए होती है लेकिन यह कहना कि वो चमत्कारी है, यह मुझे स्वीकार्य नहीं है."

गांधी जी के विचार पर ये बोले रामभद्राचार्य

गांधी जी को लेकर जो उनका विचार है कि सभी धर्म, जाति सब लोग बराबर हैं. कोई जाति शेष नहीं है. इस पर रामभद्राचार्य ने कहा, बड़े लोग कुछ ऐसी गलती कर देते हैं. गांधी जी के ही कारण देश का विभाजन हुआ. गांधी जी ही जवाहर लाल से बहुत प्यार करते थे और उनकी गलती को घूंट-घूंट कर पी जाते थे. पहली बात तो कोई धर्म है नहीं.

इतिहास उठाकर देखिए... आक्रमण हमेशा मुसलमान की ओर से ईसाई की ओर से हुआ है. यही भारत है जहां मीनाबाजार लगाकर अकबर ने हजारों लड़कियों की इज्जत लूटी. ये सब बातें ठीक नहीं है लेकिन भारत की रक्षा होनी चाहिए. उनका स्वतंत्रता में अच्छा योगदान था लेकिन उनका योगदान केवल एक प्रतीशत था और क्रांतिकारों का योगदान 99 प्रतीशत था.

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