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उत्तर प्रदेश

'न्याय, स्वतंत्रतता, समता और बंधुत्व संविधान के मूल्य', देश के नाम राष्ट्रपति का संबोधन

न्याय, स्वतंत्रतता, समता और बंधुत्व संविधान के मूल्य, देश के नाम राष्ट्रपति का संबोधन
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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 79वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा, हमारे द्वारा अपनाए गए संविधान की आधारशिला पर हमारे लोकतंत्र का भवन निर्मित हुआ है। हमने लोकतंत्र पर आधारित ऐसी संस्थाओं का निर्माण किया। जिससे लोकतांत्रिक कार्यशैली को मजबूती मिली। हमारे लिए हमारा संविधान और हमारा लोकतंत्र सर्वोपरि है।

इस दौरान राष्ट्रपति ने कहा कि भारत-भूमि, विश्व के प्राचीनतम गणराज्यों की धरती रही है। इसे लोकतंत्र की जननी कहना सर्वथा उचित है। हमारे द्वारा अपनाए गए संविधान की आधारशिला पर, हमारे लोकतंत्र का भवन निर्मित हुआ है। हमने लोकतंत्र पर आधारित ऐसी संस्थाओं का निर्माण किया जिनसे लोकतांत्रिक कार्यशैली को मजबूती मिली। हमारे लिए, हमारा संविधान और हमारा लोकतंत्र सर्वोपरि हैं।

'विभाजन की विभीषिका को न भूलें'

राष्ट्रपति ने कहा- अतीत को देखते हुए, हमें देश के विभाजन से हुई पीड़ा को कदापि नहीं भूलना चाहिए। आज हमने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाया। विभाजन के कारण भयावह हिंसा देखी गई और लाखों लोगों को विस्थापित होने के लिए मजबूर किया गया। आज हम इतिहास की गलतियों के शिकार हुए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

'न्याय, स्वतंत्रतता, समता और बंधुत्व- संविधान के चार मूल्य'

राष्ट्रपति मुर्मू ने आगे कहा, प्यारे देशवासियों, हमारे संविधान में ऐसे चार मूल्यों का उल्लेख है, जो हमारे लोकतंत्र को सुदृढ़ बनाए रखने वाले चार स्तंभ हैं। ये मूल्य हैं- न्याय, स्वतंत्रतता,समता और बंधुत्व। ये हमारी सभ्यता के ऐसे सिद्धांत हैं, जिन्हें हमने स्वाधीनता संग्राम के दौरान पुन: जीवंत बनाया। मेरा मानना है कि इन सभी मूल्यों के मूल में व्यक्ति की गरिमा की अवधारणा विद्यमान है।

सभी समान, सबके साथ गरिमापूर्ण व्यवहार हो- राष्ट्रपति

इस दौरान राष्ट्रपति ने कहा- प्रत्येक व्यक्ति समान है और सभी को यह अधिकार है कि उनके साथ गरिमापूर्ण व्यवहार हो। स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा-सुविधाओं तक, सभी की समान पहुंच होनी चाहिए। सभी को समान अवसर मिलने चाहिए। जो लोग पारंपरिक व्यवस्था के कारण वंचित रह गए थे। उन्हें मदद की जरूरत थी। इन सिद्धांतों को सर्वोपरि रखते हुए हमने 1947 में हमने एक नई यात्रा शुरू की।

'स्वाधीनता के समय घोर गरीबी से जूझ रहा था भारत'

राष्ट्रपति में भारत की आजादी का जिक्र करते हुए कहा कि विदेशी हुकूमत की लंबी अवधि के बाद स्वाधीनता के समय भारत घोर गरीबी से जूझ रहा था। लेकिन तब से अब तक के 78 वर्षों में हमने सभी क्षेत्रों में अशाधारण प्रगति की है। भारत ने आत्मनिर्भर राष्ट्र बनने के मार्ग पर काफी दूरी तय कर ली है और प्रबल आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ता जा रहा है। आर्थिक क्षेत्र में हमारी उपलब्धियां साफ-साफ देखी जा सकती हैं।

'भारत दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेजी से बढ़ने वाला देश'

विश्व में भारत की बढ़ती छवि को लेकर राष्ट्रपति ने कहा- पिछले वित्त वर्ष में 6.5 फीसदी की सकल-घरेलू उत्पाद वृद्धि दर के साथ भारत दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेजी से बढ़ने वाला देश है। वैश्विक अर्थव्यसव्था में व्याप्त समस्याओं के बावजूद घरेलू मांग में तेजी से वृद्धि हो रही है। मुद्रास्फीति पर नियंत्रण बना हुआ है। निर्यात बढ़ रहा है। सभी प्रमुख संकेतक, अर्थव्यवस्था के मजबूत स्थिति को दर्शा रहे हैं। यह हमारे श्रमिक और किसान भाई-बहनों की कड़ी मेहनत और समर्पण के साथ-साथ, सुविचारित सुधारों और कुशल आर्थिक प्रबंधन का परिणाम है।

'बड़ी संख्या में लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया'

राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा- सुशासन के माध्यम से बड़ी संख्या में लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया है। सरकार गरीबों के लिए अनेक कल्याणकारी योजनाएं चला रही है। जो लोग गरीबी रेखा से ऊपर तो आ गए हैं, लेकिन मजबूत स्थिति नहीं हैं, उनको भी ऐसी योजनाओं की सुरक्षा उपलब्ध है, ताकि वे फिर से गरीबी रेखा से नीचे न चले जाएं। ये कल्याणकारी प्रयास सामाजिक सेवाओं पर बढ़ते खर्च में परिलक्षित होते हैं। आय की असमानता कम हो रही है, क्षेत्रीय असमानताएं भी कम हो रही हैं। जो राज्य और क्षेत्र पहले कमजोर आर्थिक प्रदर्शन के लिए जाने जाते थे, वे अब अपनी वास्तविक क्षमता प्रदर्शित कर रहे हैं और अग्रणी राज्यों के साथ बराबरी करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

बुनियादी ढांचे में हुआ विकास- राष्ट्रपति मुर्मू

राष्ट्रपति ने इस दौरान कहा- हमारे अग्रणी व्यवसायियों, लघु एवं मध्यम उद्यमियों और व्यापारियों ने हमेशा कुछ कर गुजरने की भावना का परिचय दिया है। समृद्धि के सृजन के मार्ग में आने वाली रुकावटों को दूर करने की आवश्यकता थी। पिछले एक दशक में बुनियादी ढांचे में हुए विकास में यह स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। हमने भारतमाला परियोजना के तहत राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क का विस्तार और सुदृढ़ीकरण किया है। रेलवे ने भी नवाचार को प्रोत्साहन दिया है तथा नवीनतम तकनीकी से युक्त नए तरह की रेलगाड़ियों और डिब्बों का उपयोग किया जाने लगा है।

कश्मीर घाटी में रेल-संपर्क प्रमुख उपलब्धि- राष्ट्रपति

इस दौरान राष्ट्रपति ने कश्मीर के विकास पर कहा कि कश्मीर घाटी में रेल-संपर्क का शुभांरभ करना, एक प्रमुख उपलब्धि है। शेष भारत के साथ घाटी का रेल संपर्क उस क्षेत्र में व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा देगा और नई आर्थिक संभावनाओं के द्वार खोलेगा। कश्मीर में इंजीनियरिंग की यह असाधारण उपलब्धि हमारे देश के लिए एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है।

'शहरों की स्थति सुधारने पर सरकार विशेष ध्यान'

राष्ट्रपति ने कहा- देश में शहरीकरण तेज गति से हो रहा है। इसलिए शहरों की स्थिति सुधारने पर सरकार विशेष ध्यान दे रही है। शहरी परिवहन के प्रमुख क्षेत्र पर विशेष ध्यान देते हुए, सरकार ने मेट्रो रेल सुविधाओं का विस्तार किया है। पिछले एक दशक के दौरान मेट्रो रेल-सेवा की सुविधा से युक्त शहरों की संख्या कई गुना बढ़ गई है। शहरों का कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिए अटल मिशन यानी अमृत ने यह सुनिश्चित किया है कि अधिक से अधिक घरों में नल से पानी की भरोसेमंद आपूर्ति हो और सीवेज कनेक्शन सुविधा उपलब्ध हो।

हम क्रांतिकारी बदलाव देख रहे हैं- राष्ट्रपति

स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा- अपने तरह की विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य-सेवा योजना, 'आयुष्मान भारत' के अंतर्गत, कई कदम उठाए गए हैं। उन प्रयासों के परिणाम स्वरूप स्वास्थ्य-सेवा के क्षेत्र में, हम क्रांतिकारी बदलाव देख रहे हैं। 'आयुष्मान भारत योजना के तहत अब तक 55 करोड़ से अधिक लोगों को सुरक्षा कवच प्रदान किया जा चुका है। सरकार ने 70 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी वरिष्ठ नागरिकों को इस योजना की सुविधा उपलब्ध करा दी है, चाहे उनकी आय कितनी भी हो।

'भारत में सबसे अधिक प्रगति, सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में हुई'

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 79वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा- भारत में सबसे अधिक प्रगति, सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में हुई है। लगभग सभी गांवों में 4G मोबाइल कनेक्टिविटी उपलब्ध है और इससे डिजिटल भुगतान तकनीकी को बड़े पैमाने पर अपनाना संभव हो पाया है। डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में भारत, कम समय में ही, विश्व का अग्रणी देश बन गया है। इससे प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण को भी बढ़ावा मिला है। दुनिया में होने वाले कुल डिजिटल लेनदेन में से, आधे से अधिक लेनदेन भारत में होते हैं।

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