हरे पेड़ों पर ‘आरा’ का खेल – उद्यान विभाग में हरी लूट

बहराइच।
विशेष जांच रिपोर्ट:
सरकार हरियाली बचाने और पर्यावरण सुधारने के नाम पर हर साल करोड़ों रुपये खर्च करती है। मंचों से भाषण होते हैं, पौधारोपण के फोटो खिंचते हैं, लक्ष्य पूरे होने की रिपोर्ट बनती है—लेकिन ज़मीनी हकीकत में कहानी उलटी है। जिला उद्यान अधिकारी कार्यालय के अधीन कार्यरत कुछ निरीक्षकों ने तकनीकी रिपोर्ट को हथियार बनाकर हरे-भरे फलदार पेड़ों पर आरा चलवाने का सिलसिला बना लिया है। यह कोई लापरवाही नहीं, बल्कि संगठित ‘हरी लूट’ है, जिसमें नियमों को जेब में रखकर हरियाली को मौत की सजा सुनाई जा रही है।
फर्जी रिपोर्ट से वैधता का जाल
सूत्रों के मुताबिक, 50 वर्ष पुराने उत्पादक आम और अन्य फलदार पेड़ों को उत्पादन क्षमता कम होने की झूठी रिपोर्ट बनाकर उनकी कटान को स्वीकृति दे दी जाती है। इस ‘तकनीकी हेराफेरी’ के बदले निरीक्षकों ने तयशुदा शुल्क वसूलने का गुप्त सिस्टम बना रखा है, जिससे अनुमति पाना महज़ पैसे का खेल बन गया है।
दो सौ से अधिक हरे पेड़ों की बलि
पिछले कुछ वर्षों में 200 से अधिक हरे और फलदार पेड़ों को इस प्रक्रिया के तहत काटा जा चुका है। नगर क्षेत्र के उद्यान निरीक्षक पंकज वर्मा, पयागपुर के अखण्ड प्रताप सिंह और रिसिया के मनजीत सिंह की रिपोर्टों के आधार पर यह कटान हुई है। विशेष तौर पर नगर क्षेत्र में आम के पेड़ों की अंधाधुंध कटान में पंकज वर्मा की भूमिका पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
पक्ष लेने की कोशिश नाकाम
नगर क्षेत्र के निरीक्षक से बार-बार संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने फोन तक नहीं उठाया। उनकी चुप्पी आरोपों को और पुख्ता करती दिख रही है।
सरकारी नीतियां बनाम जमीनी हकीकत
सरकार की नीतियों में हर पेड़ ‘जीवनदाता’ है, लेकिन ज़मीन पर ‘आरा गैंग’ सक्रिय है। सवाल यह है—क्या यह हरियाली बचाने का संकल्प सिर्फ फोटो खिंचवाने और फाइलें भरने तक ही सीमित है।