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उत्तर प्रदेश

गोधना नई बस्ती में टूटी नहर से तबाही: घर डूबे, खेत बर्बाद, प्रशासन की देर से सक्रियता पर सवाल

गोधना नई बस्ती में टूटी नहर से तबाही: घर डूबे, खेत बर्बाद, प्रशासन की देर से सक्रियता पर सवाल
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रिपोर्ट: ओ पी श्रीवास्तव संग मोहम्मद अफजल...

चंदौली/डीडीयू नगर: खबर जनपद चंदौली से है जहां डीडीयू नगर के गोधना नई बस्ती, नारायणपुर क्षेत्र में शनिवार सुबह उस वक्त अफरातफरी मच गई जब नहर की पटरी तेज बहाव के कारण टूट गई और पानी तेजी से रिहायशी इलाकों में घुस गया। कई घर, खेत और गलियां जलमग्न हो गईं, जिससे सैकड़ों परिवार प्रभावित हुए।

स्थानीय लोगों के अनुसार, पानी इतनी तेजी से आया कि उन्हें जान बचाकर घर छोड़ना पड़ा। कई गरीब परिवारों के घर और खेत पूरी तरह डूब गए। घरेलू सामान पानी में बह गया और फसलें पूरी तरह नष्ट हो गईं।

इस घटना के बाद लोगों में भारी आक्रोश देखा गया। ग्रामीणों ने प्रशासन की ओर से लापरवाही का आरोप लगाते हुए बताया कि नहर में रिसाव की शिकायतें पहले भी की गई थीं, लेकिन समय रहते मरम्मत नहीं की गई। यदि समय पर कार्रवाई हुई होती, तो यह तबाही रोकी जा सकती थी।

प्रशासन ने पांच घंटे बाद ली सुध, राहत कार्य शुरू

करीब पाँच घंटे की देरी से जिलाधिकारी चंद्र मोहन गर्ग, पुलिस अधीक्षक आदित्य लांघे, अपर जिलाधिकारी राजेश कुमार, उप जिलाधिकारी अनुपम मिश्रा सहित राहत और NHAI की तकनीकी टीम मौके पर पहुंची। अधिकारियों ने हालात का जायज़ा लिया और तत्काल नहर की कटान बंद करने, रास्ता जोड़ने तथा जल निकासी का कार्य शुरू कराया।

जिलाधिकारी ने बताया कि प्रभावितों को राहत शिविरों में पहुंचाया जा रहा है। मेडिकल टीम, स्वास्थ्य विभाग, NDRF रेस्क्यू टीम और पशु चिकित्सा विभाग की टीमें मौके पर मौजूद हैं। पशुओं को गौशाला में शिफ्ट किया जा रहा है और सभी आवश्यक कदम तेजी से उठाए जा रहे हैं।

स्थानीय लोग प्रशासन से नाराज़, राहत और मुआवजे की मांग

वीरेंद्र यादव, लालता यादव, बीके यादव, राकेश यादव सहित कई लोगों के घर पानी में डूब गए हैं। राजस्थान मूल के कई प्रवासी परिवार भी प्रभावित हुए हैं। महिलाएं, बुज़ुर्ग और बच्चे बेहद परेशान हैं और राहत सामग्री का इंतजार कर रहे हैं।

स्थानीय निवासियों ने मांग की है कि उन्हें तत्काल मुआवजा, सुरक्षित आश्रय और भोजन-सुविधाएं दी जाएं। साथ ही भविष्य में इस तरह की त्रासदियों से बचाव के लिए स्थायी समाधान की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया।

यह घटना न केवल एक प्राकृतिक आपदा है, बल्कि मानवीय लापरवाही का भी परिणाम है। वर्षों से चली आ रही शिकायतों के बावजूद नहर की मरम्मत न होना प्रशासनिक उदासीनता को दर्शाता है। अब प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह न केवल तत्काल राहत दे, बल्कि दीर्घकालिक समाधान सुनिश्चित करे ताकि भविष्य में ऐसा संकट न दोहराया जाए।

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