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उत्तर प्रदेश

बहराइच का 'बेसमेंट घोटाला" पार्किंग के नाम पर पास नक्शा, दुकानों की मंडी खड़ी — करोड़ों की ठगी पर प्रशासन खामोश

बहराइच का बेसमेंट घोटाला पार्किंग के नाम पर पास नक्शा, दुकानों की मंडी खड़ी — करोड़ों की ठगी पर प्रशासन खामोश
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आनन्द गुप्ता/अनवार खाँ मोनू

बहराइच । शहर में शहर नियोजन के नाम पर जो नक्शा तैयार किया गया, वह ज़मीन पर आते ही एक मुनाफाखोर स्कीम बन गया।

नगर क्षेत्र में करीब 100 से ज़्यादा कांप्लेक्सों में बेसमेंट को पार्किंग के नाम पर पास कराकर, वहाँ अवैध रूप से दुकानें बनाकर लाखों-करोड़ों का खेल रचा गया।

इस रिपोर्ट के लिए हमने मौके पर जाकर 20ऐसे कांप्लेक्सों का निरीक्षण किया, जिनका नक्शा वर्ष 2017 से 2022 के बीच पास हुआ था।

हर जगह एक जैसी कहानी — और सवाल सिर्फ यही: कौन अफसर थे जो इस खेल के गवाह नहीं, बल्कि हिस्सेदार थे?

🔎 जाँच से खुलासा: पार्किंग की जगह पर खड़ी हैं दुकानें

हमारी टीम ने नगर पालिका प्रशासन के भवन नक्शा अनुभाग से RTI और मौखिक स्रोतों के जरिए जानकारी इकट्ठा की। निम्नलिखित तथ्य सामने आए:

बेसमेंट को पार्किंग बता कर पास कराए गए मानचित्र

ग्राउंड रियलिटी: हर जगह वहाँ दुकानें बन चुकीं

प्रत्येक दुकान की कीमत — ₹10 लाख से ₹25 लाख

नक्शा मंज़ूरी के बाद कोई निरीक्षण नहीं किया गया

👁️‍🗨️ “हमें बताया ही नहीं कि ये पार्किंग थी” — पीड़ित खरीदार

छोटी बाज़ार के एक कांप्लेक्स में दुकान चला रहे युवक ने कहा:

> “बिल्डर ने कभी नहीं बताया कि ये पार्किंग ज़ोन था। ₹18 लाख में दुकान खरीदी। अब सुनने में आया कि कभी भी ध्वस्तीकरण हो सकता है।”

📂 कैसे हुआ खेल? — पूरा 'घोटाला मैकेनिज़्म'

1. बिल्डर: नक्शे में बेसमेंट को ‘पार्किंग’ दिखाता है

2. अधिकारी: बिना स्थल निरीक्षण के मंज़ूरी देता है

3. निर्माण: मौके पर दुकानें बन जाती हैं

4. बिक्री: हर दुकान लाखों में बेची जाती है

5. प्रशासन: मौन या सिर्फ नोटिस जारी कर इतिश्री

> 💬 “कुछ मामलों में तो RTI फाइलों से पन्ने ही ग़ायब मिले।”

💩 बुनियादी सुविधाएँ लापता, शहर बेहाल

🚽 एक भी कांप्लेक्स में शौचालय या यूरीनल नहीं

🚗 कोई वैध पार्किंग स्पेस नहीं — सड़कों पर रोज़ जाम

🛠️ फायर सेफ्टी, एम्बुलेंस एक्सेस तक नहीं है

> नगर क्षेत्र में यह स्थिति आपदा को न्योता देने जैसी है।

🧾 पूर्व नगर मजिस्ट्रेट ने दिए थे नोटिस — अब फाइलें ठंडी

पूर्व नगर मजिस्ट्रेट शालिनी प्रभाकर ने 2022 में लगभग 40 दुकानों को नोटिस भेजे थे, लेकिन कार्रवाई नहीं हो सकी। उनके हटते ही वह पूरी फाइल जैसे विलीन हो गई।

आज तक एक भी दुकान को सील नहीं किया गया, न किसी बिल्डर के खिलाफ एफआईआर हुई, न ही अधिकारियों से पुश्त पूछताछ।

🧨 अब आगे क्या? — जनता सवाल पूछ रही है

क्या नगर पालिका परिषद अफसरों पर कार्रवाई होगी जिन्होंने आंखें मूंदी?

क्या उन बिल्डरों की पहचान सार्वजनिक होगी जो इस खेल में सबसे आगे रहे?

जिन लोगों ने करोड़ों खर्च किए, उनकी दुकानों का भविष्य क्या है?

क्या नवागंतुक नगर मजिस्ट्रेट महोदय भी सिर्फ नोटिस देकर चलता बनेगें?

📣 जवाब चाहिए! वरना अगला हादसा सिर्फ 'समाचार' नहीं होगा... जिम्मेदारी भी तय होगी।

🗂️ अगली कड़ी में: हम दिखाएंगे किस वर्ष में, किस बिल्डर को किस अफसर ने नक्शा पास किया — और किसके कार्यकाल में सबसे ज़्यादा अवैध दुकानें बनीं।

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