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उत्तर प्रदेश

बहराइच में स्कूली बच्चों की जान जोखिम में! भारी फीस वसूलने के बावजूद ओवरलोडेड स्कूल वैनों से हो रहा मासूमों का सफर

बहराइच में स्कूली बच्चों की जान जोखिम में!  भारी फीस वसूलने के बावजूद ओवरलोडेड स्कूल वैनों से हो रहा मासूमों का सफर
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एआरटीओ की लापरवाही से स्कूल वाहनों पर नहीं लग पा रही लगाम

आनंद गुप्ता/अनवार खान मोनू

बहराइच जिले के निजी स्कूलों में पढ़ने वाले सैकड़ों बच्चों की जान हर दिन खतरे में डालकर स्कूल भेजी जा रही है। स्कूल वैन, ऑटो और अन्य परिवहन साधन क्षमता से अधिक बच्चों को लादकर सड़कों पर दौड़ रहे हैं। मोटी फीस और ट्रांसपोर्टिंग चार्ज वसूलने के बावजूद बच्चों की सुरक्षा को लेकर स्कूल प्रबंधन और परिवहन विभाग दोनों ही गंभीर नजर नहीं आ रहे।

स्कूल वैन बनी ‘खतरे की सवारी’

शहर के कई स्कूलों की वैनों में 6 की जगह 12 से ज्यादा बच्चे बैठाए जा रहे हैं। कई वैनों में तो सीट बेल्ट, फर्स्ट एड किट तक मौजूद नहीं है। बच्चों को ठूंस-ठूंसकर बैठाया जाता है, जिससे दुर्घटना की संभावना हर वक्त बनी रहती है।

अभिभावक परेशान, कोई सुनवाई नहीं

एक स्थानीय अभिभावक ने बताया, “स्कूल फीस के साथ हर महीने ₹3000 तक ट्रांसपोर्ट शुल्क चुकाना पड़ता है, लेकिन सुविधाएं और सुरक्षा नाममात्र भी नहीं मिलती।”

अभिभावकों का आरोप है कि स्कूल और ट्रांसपोर्ट संचालक मुनाफा कमाने में लगे हैं, जबकि प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है।

एआरटीओ की भूमिका सवालों के घेरे में

बहराइच जिले के एआरटीओ (सहायक क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी) की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं। न तो स्कूली वाहनों की नियमित जांच हो रही है, न ही ओवरलोडिंग पर कार्रवाई। आरटीओ विभाग की इस लापरवाही को लेकर अभिभावकों में आक्रोश है।

अभिभावकों का कहना है कि स्कूल वाहनों की समय-समय पर जांच के साथ ही ओवरलोडिंग पर तत्काल सख्त कार्रवाई के साथ ही ड्राइवरों का सत्यापन और प्रशिक्षण अनिवार्य करते हुए ट्रांसपोर्ट शुल्क की निगरानी के लिए समिति गठित कर स्कूल प्रबंधन को बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की बाध्यता दी जाए।

अभिभावकों का कहना था कि क्या हादसे के बाद ही जागेगा प्रशासन?

शहर में पहले भी कई बार स्कूली वाहनों से हादसे हो चुके हैं, लेकिन कोई स्थायी समाधान अब तक नहीं निकला।

अब सवाल यह है — क्या एआरटीओ और जिला प्रशासन किसी बड़े हादसे के इंतज़ार में हैं?

👉 बच्चों की सुरक्षा पर अब और चुप्पी नहीं! प्रशासन को तुरंत एक्शन लेना होगा।

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