उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के खिलाफ कार्रवाई की मांग वाली याचिका खारिज
प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने चुनाव लड़ने के लिए फर्जी शैक्षणिक डिग्री जमा करने के आरोपों पर वरिष्ठ भाजपा नेता और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है। न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह की एकल पीठ ने 25 मई को सुरक्षित किया गया आदेश सोमवार को सुनाया। यह निर्णय उप मुख्यमंत्री के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है।
सामाजिक कार्यकर्ता ने की थी पुनरीक्षण याचिका
सामाजिक कार्यकर्ता दिवाकर नाथ त्रिपाठी ने पुनरीक्षण याचिका में आरोप लगाया था कि केशव प्रसाद मौर्य ने अमान्य डिग्री पर चुनाव में हलफनामा दायर करने के साथ ही पेट्रोल पंप आवंटित कराया । इसलिए उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर विवेचना की जाए।
शीर्ष अदालत ने हाई कोर्ट को यह मामला सुनने को निर्देशित किया था
पूर्व में एफआइआर नहीं लिखे जाने पर जिला अदालत में याचिका दायर की गई जिसे खारिज कर दिया गया था। हाई कोर्ट ने भी इसे चुनौती देने वाली याचिका खारिज की तो दिवाकर सुप्रीम कोर्ट चले गए थे। शीर्ष अदालत ने हाई कोर्ट को यह मामला सुनने के लिए निर्देशित किया था।
अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने खारिज की थी अर्जी
याची ने सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत दायर एक आवेदन के बाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें मामले की पुलिस जांच की मांग की गई थी। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, प्रयागराज ने अर्जी 2021 में खारिज कर दी थी।
एसीजेएम के आदेश को हाई कोर्ट में दी थी चुनौती
एसीजेएम के आदेश को त्रिपाठी ने हाई कोर्ट में चुनौती दी। फरवरी 2024 में कोर्ट ने देरी के आधार पर याचिका को खारिज कर दी। कहा कि याचिका ट्रायल कोर्ट के आदेश के 300 दिनों से अधिक समय बाद दायर की गई थी। इस साल जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने देरी को माफ कर दिया और हाई कोर्ट को मामले पर गुण-दोष के आधार पर विचार करने का निर्देश दिया। त्रिपाठी ने पुराने आरोपों और आधारों को लेकर नई याचिका के साथ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अप्रैल 2025 में सुनवाई शुरू हुई।