बहराइच नगर पालिका ने उठाया पहल: जल संरक्षण के लिए पुराने कुओं का होगा जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण

आनन्द गुप्ता/के0के0 सक्सेना
बहराइच। आधुनिकता की दौड़ में उपेक्षित हो चुके पारंपरिक जल स्रोत - कुएं -अब बहराइच नगर में फिर से अपनी पहचान वापस पाने जा रहे हैं। नगर पालिका परिषद, बहराइच ने नगर क्षेत्र में स्थित प्राचीन एवं ऐतिहासिक कुओं के जीर्णोद्धार, सफाई और सौंदर्यीकरण का निर्णय लिया है। इस कार्य के लिए लगभग 40 लाख रुपये की योजना तैयार कर राज्य शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। यह पूरी परियोजना टाइड ग्रांट के अंतर्गत क्रियान्वित की जाएगी।
12 कुओं की सूची तैयार, 2 पर काम शुरू
नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती सुधा देवी एवं अधिशासी अधिकारी श्रीमती प्रमिता सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि योजना के पहले चरण में नगर क्षेत्र के 12 कुओं को चिह्नित किया गया है, जिनकी दशा अत्यंत दयनीय है। इनमें से दो कुओं की सफाई और पुनर्स्थापन का कार्य पहले ही संपन्न हो चुका है। बाकी कुओं पर कार्य शासन से अनुमोदन मिलते ही प्रारंभ कर दिया जाएगा।
कुएं — जल संरक्षण से सांस्कृतिक धरोहर तक
नगर के कई पुराने कुएं अब या तो अतिक्रमण की चपेट में हैं, या उपेक्षा के कारण लगभग समाप्ति की स्थिति में पहुंच चुके हैं। कई स्थानों पर लोगों ने इन पारंपरिक जल स्रोतों को मिट्टी, मलबे या कचरे से भर दिया है। जबकि एक समय था जब कुएं न केवल पेयजल के स्रोत होते थे, बल्कि धार्मिक अनुष्ठानों, शादी-विवाहों और लोकपर्वों का अभिन्न हिस्सा हुआ करते थे।
नगर पालिका अध्यक्ष ने कहा,
> “कुएं हमारे इतिहास और संस्कृति का हिस्सा हैं। आज भी सनातन परंपरा में उनका धार्मिक महत्व कायम है। हम उन्हें बचाकर आने वाली पीढ़ियों को जल और संस्कृति दोनों की धरोहर सौंपना चाहते हैं।”
योजना का उद्देश्य: जल प्रबंधन के साथ लोक चेतना
इस पहल का उद्देश्य केवल जल स्रोतों का पुनर्जीवन भर नहीं है, बल्कि लोगों में जल संरक्षण की भावना जगाना भी है। सार्वजनिक स्थलों पर बने इन कुओं को पुनर्जीवित कर नागरिकों को यह संदेश दिया जाएगा कि जल की हर बूंद की कीमत है, और पारंपरिक जल स्रोत आज भी प्रासंगिक हैं।
नगर के नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने भी इस योजना का स्वागत किया है। रामलीला कमेटी के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ समाजसेवी श्याम करन टेकड़ीवाल जो निवर्तमान भाजपा जिलाध्यक्ष हैं, ने कहा,
> “यह कदम सिर्फ पर्यावरणीय दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक अस्मिता की रक्षा के लिए भी बेहद जरूरी है।”
भविष्य की योजनाएं
नगर पालिका प्रशासन इस परियोजना को जनसहयोग से भी जोड़ने की योजना बना रहा है, ताकि लोग खुद आगे आकर इन जल स्रोतों को बचाने और संवारने में योगदान दे सकें। साथ ही, इन कुओं के पास सूचना पट्ट लगाए जाएंगे, जिन पर उनके इतिहास, निर्माण काल और महत्ता की जानकारी दी जाएगी।
बहराइच नगर पालिका की यह पहल न केवल जल प्रबंधन की दिशा में एक अनुकरणीय उदाहरण है, बल्कि यह नगर के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्वरूप को भी संवारने का प्रयास है। यदि यह योजना सफल रहती है, तो यह अन्य नगरों और पालिकाओं के लिए भी एक प्रेरणादायक मॉडल बन सकती है।