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उत्तर प्रदेश

नगर पंचायत की मेहरबानी या रिश्वत का खेल?

नगर पंचायत की मेहरबानी या रिश्वत का खेल?
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हाईवे की जमीन पर होर्डिंग की अनुमति, जिला प्रशासन ने चलवाया बुलडोजर

रिपोर्ट: ओ पी श्रीवास्तव, चंदौली

चंदौली। नगर पंचायत चंदौली की कार्यशैली एक बार फिर सवालों के घेरे में है। ताजा मामला नगर क्षेत्र के समीपवर्ती नेशनल हाईवे 19 की जमीन पर सैम हॉस्पिटल को होर्डिंग बोर्ड लगाने की दी गई अवैध अनुमति से जुड़ा है। बताया जा रहा है कि जुगाड़ और धनबल के बूते नगर पंचायत अधिकारियों ने वह अनुमति दे दी जो उनके अधिकार क्षेत्र में थी ही नहीं।

सूत्रों के अनुसार, नगर पंचायत के बाबुओं और अधिशासी अधिकारी की मिलीभगत से सैम हॉस्पिटल को हाईवे की जमीन पर विज्ञापन लगाने की इजाजत मिल गई, जबकि जमीन राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के अधीन थी। जब यह मामला हाईवे अथॉरिटी के संज्ञान में आया, तो उन्होंने जिला प्रशासन को पत्र भेजकर जवाब-तलब किया।





प्रशासन हरकत में आया और डीएम के निर्देश पर एसडीएम की मौजूदगी में बुलडोजर कार्रवाई कर उक्त होर्डिंग को तत्काल प्रभाव से गिरा दिया गया। इस दौरान हॉस्पिटल कर्मचारी नगर पंचायत द्वारा दिया गया अनुमति पत्र लहराते नजर आए, लेकिन अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि अनुमति पत्र गैरकानूनी है।

इस पूरे प्रकरण ने नगर पंचायत की कार्यप्रणाली पर गहरा प्रश्नचिह्न लगा दिया है। क्या बिना जमीन के सीमांकन और स्वामित्व की पुष्टि किए ऐसे अनुमति पत्र जारी करना भ्रष्टाचार नहीं तो और क्या है?

प्रश्न उठना लाजिमी है कि नगर पंचायत ने कैसे ऐसी जमीन पर अनुमति दी, जो उसकी अधिकार सीमा में नहीं थी? क्या संबंधित अधिकारियों की भूमिका की जांच होगी? क्या इस मामले में सिर्फ होर्डिंग हटाना ही पर्याप्त कार्रवाई मानी जाएगी?

इस बाबत जब मीडिया ने नगर पंचायत की अधिशासी अधिकारी पूजा सिंह परिहार से संपर्क किया, तो उन्होंने कोई प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया। बता दें कि नगर पंचायत पर पहले से ही अवैध अतिक्रमण, मीट-मुर्गा की दुकानों, अवैध पार्किंग और गंदगी को लेकर सवाल उठते रहे हैं। लेकिन अब जब सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे की अनुमति तक जारी होने लगी है, तो आमजन के मन में यह चिंता स्वाभाविक है कि शासन-प्रशासन का अंकुश आखिर कब दिखेगा?

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