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उत्तर प्रदेश

महीनों की वेटिंग, ठप मशीनें – चंदौली जिला अस्पताल की 'बीमार' व्यवस्था!

महीनों की वेटिंग, ठप मशीनें – चंदौली जिला अस्पताल की बीमार व्यवस्था!
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स्पेशल रिपोर्ट: ओ पी श्रीवास्तव, चंदौली

चंदौली। उत्तर प्रदेश सरकार भले ही स्वास्थ्य सेवाओं को आधुनिक और जनसुलभ बनाने के लिए योजनाओं की झड़ी लगा रही हो, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही तस्वीर पेश करती है। चंदौली जिले के जिला अस्पताल, जो कि बाबा कीनाराम मेडिकल कॉलेज से संबद्ध है, वहां की स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल और चिंताजनक स्थिति में है।

बता दें कि अस्पताल में आने वाले मरीजों की संख्या प्रतिदिन सैकड़ों में है, लेकिन संसाधनों की कमी के कारण जांच सुविधाएं दम तोड़ती नजर आ रही हैं। खासकर अल्ट्रासाउंड और एक्सरे जैसे महत्वपूर्ण परीक्षणों के लिए मरीजों को 30 से 45 दिनों तक का इंतज़ार करना पड़ रहा है। कभी मशीनें खराब रहती हैं, तो कभी तकनीकी कर्मियों की अनुपलब्धता मरीजों की परेशानियों को और बढ़ा देती है।

जांच मशीनों के रखरखाव की व्यवस्था बेहद लचर है। कई बार एक्सरे मशीनें हफ्तों तक बंद रहती हैं, जिससे मरीजों को मजबूरन महंगे निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ता है। इससे न केवल गरीब मरीजों पर आर्थिक बोझ बढ़ता है, बल्कि समय पर इलाज न मिल पाने से कई बार स्वास्थ्य की स्थिति भी गंभीर हो जाती है।

इस विषय पर जब जनता की आवाज की टीम ने बाबा कीनाराम मेडिकल कॉलेज के नोडल प्रिंसिपल डॉ. अमित सिंह से बात की, तो उन्होंने माना कि मरीजों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। उन्होंने बताया कि अतिरिक्त अल्ट्रासाउंड और एक्सरे मशीनों की मांग शासन को भेज दी गई है, और उम्मीद है कि दो माह के भीतर यह समस्या सुलझ जाएगी।



स्थानीय लोगों और तीमारदारों का सवाल है कि जब तक नई मशीनें नहीं आतीं, तब तक मरीज क्या करें? जांच के अभाव में इलाज अधूरा रह जाता है और बीमारियां बढ़ जाती हैं। आम जनमानस इसे "निरोगी प्रदेश" के सरकारी वादों से कोसों दूर मान रहा है।चंदौली जिले का यह अस्पताल फिलहाल इलाज नहीं, इंतजार का प्रतीक बन गया है। यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई तो यह लापरवाही एक बड़ी स्वास्थ्य आपदा का रूप ले सकती है।

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