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उत्तर प्रदेश

बिना मुआवजा अधिग्रहण पर गरमाया बंदरगाह निर्माण का मामला: ग्रामीणों ने लौटाई प्रशासनिक टीम, बुलडोजर भी वापस

बिना मुआवजा अधिग्रहण पर गरमाया बंदरगाह निर्माण का मामला: ग्रामीणों ने लौटाई प्रशासनिक टीम, बुलडोजर भी वापस
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रिपोर्ट: ओ पी श्रीवास्तव संग मोहम्मद अफजल

मुगलसराय (चंदौली):मुगलसराय तहसील के ताहीरपुर और मिल्कीपुर गांवों में प्रस्तावित बंदरगाह निर्माण के लिए ज़मीन अधिग्रहण का प्रशासनिक प्रयास सोमवार को ग्रामीणों के तीव्र विरोध के चलते विफल हो गया। बिना पूर्व सूचना के पहुंची प्रशासनिक टीम को न सिर्फ खाली हाथ लौटना पड़ा, बल्कि उनके साथ आए बुलडोजर को भी ग्रामीणों ने गांव से बाहर कर दिया।

डीडीयू नगर के एसडीएम अनुपम मिश्रा, तहसीलदार, लेखपाल, थाना अध्यक्ष और अन्य अधिकारियों के साथ भूमि पर पहुंचे थे। जैसे ही प्रशासनिक टीम ने कार्य शुरू करने की कोशिश की, ग्रामीण सैकड़ों की संख्या में एकत्र हो गए और नोटिस की मांग की। टीम नोटिस नहीं दिखा सकी, केवल यह बताया गया कि यह ज़मीन बंदरगाह परियोजना के लिए चाहिए। इस पर ग्रामीणों का गुस्सा भड़क उठा और उन्होंने जमीन पर किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ से इनकार कर दिया।

" मुआवजा दो, फिर बात करो": ग्रामीणों की दो टूक

गांव वालों ने स्पष्ट किया कि जब तक उन्हें भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के तहत उचित मुआवजा और पूर्व सूचना नहीं दी जाती, वे एक इंच भी ज़मीन नहीं देने देंगे। ग्रामीणों ने बुलडोजर को मौके से वापस लौटा दिया और प्रशासनिक अधिकारियों को लौटने पर मजबूर कर दिया।ग्राम प्रधान कन्हैया लाल राव की अगुवाई में ग्रामीणों ने एसडीएम से मुलाकात की और अपनी मांगें रखीं, जिनमें श्मशान घाट, कब्रिस्तान और गंगा पूजन के लिए रास्ता सुरक्षित रखने की बात प्रमुख रही। सभी जातियों, धर्मों और वर्गों के ग्रामीण, महिलाएं और किसान एकजुट होकर इस अधिग्रहण का विरोध कर रहे हैं।

राजनीतिक प्रतिक्रिया और कानूनी पक्ष

समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता मनोज सिंह काका ने इसे सत्ता की दमनकारी कार्यशैली करार देते हुए निंदा की और कहा कि बिना पूर्व सहमति व मुआवजा दिए ज़मीन अधिग्रहण लोकतंत्र का अपमान है। उन्होंने मांग की कि पूरे मामले की न्यायिक जांच हो। ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि जब तक लिखित आश्वासन और चौगुना मुआवजा नहीं मिलता, तब तक वे ज़मीन नहीं देंगे।

एसडीएम अनुपम मिश्रा ने बाद में अपनी गलती स्वीकार करते हुए कहा कि किसानों को मुआवजा दिए बिना कोई कार्यवाही नहीं की जाएगी। ग्राम प्रधान ने 10 दिन का समय मांगा है ताकि ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान खोजा जा सके।

प्रशासन का कहना है कि यह भूमि 'सेट ब्लीच' बंदरगाह परियोजना के तहत प्रस्तावित है और भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया नारा कोर्ट में चल रही है। किसानों का मुआवजा कोर्ट में जमा है, और शासन के अनुसार बाजार दर का चौगुना मुआवजा दिया जाएगा।ताहीरपुर और मिल्कीपुर के किसान संगठित हैं, सजग हैं और अपने अधिकारों के प्रति सजग खड़े हैं। इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर यह साबित किया है कि विकास परियोजनाएं तभी सफल हो सकती हैं जब वे पारदर्शिता, सहमति और न्यायपूर्ण मुआवजा के सिद्धांतों पर आधारित हों।

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