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उत्तर प्रदेश

बलरामपुर गार्डन में राष्ट्रीय पुस्तक मेला : छठा दिवस

बलरामपुर गार्डन में राष्ट्रीय पुस्तक मेला : छठा दिवस
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अच्छा पुस्तक प्रेमी ही बन सकता है सफल व्यवसायी

स्टार्टअप लिट फेस्ट के संग चली किताबों पर चर्चा, गूंजी कविताएं

लखनऊ, 2 अक्टूबर। एक सफल व्यवसायी को एक अच्छा पुस्तक प्रेमी भी होना चाहिए। बलरामपुर गार्डन में चल रहे इक्कीसवें राष्ट्रीय पुस्तक मेले के मंच पर आज चले स्टार्टअप लिट फेस्ट में ऐसे ही कई तथ्य उभरकर सामने आये।

स्टार्टअप फेस्ट में वक्ताओं ने एक सुर से कहा कि भारत को अगर तीसरी अर्थव्यवस्था से और ऊपर आगे बढ़ना है तो हमें नयी पीढ़ी की रचनात्मकता को बचपन से ही अलग-अलग आयामों में प्रेरित करना होगा। बच्चों की रचनात्मकता में नयी ऊर्जा भरने के लिए संस्थानों और संस्थाओं को अभिनव प्रयोग करने होंगे। अली हसन के संयोजन में हुये इस आयोजन में यूपीडेस्को की प्रबंध निदेशक नेहा जैन के संग अपने-अपने क्षेत्रों के विशेषज्ञ जयंत कृष्णा, हसन याकूब, रीतेश सक्सेना, महीप सिंह, वंदना शर्मा, उज्मा मसीह, प्रो.ओसामा, डा.मधुकर वार्ष्णेय, शिवेन्द्र सिंह चौहान, स्निग्धा रीतेश, कनकरेखा चौहान और अंकिता किशोर आदि शामिल हुये। स्वागत मेला संयोजक मनोज सिंह चंदेल ने किया।

मेले में पहली बार शामिल हुये गीता प्रेस की पुस्तकों को लोग हाथोंहाथ ले रहे हैं तो राष्ट्रधर्म के स्टाल पर ना.ह.पालकर की डा.हेडगेवार चरित के अलावा लोकहित प्रकाशन की डा.परशुराम गुप्त की लिखी राष्ट्ररक्षक महाराज सुहेलदेव, धीरसिंह पवैया की एकात्मता के स्वर, दत्तोपंत ठेंगड़ी रचित डा.अम्बेडकर और सामाजिक क्रान्ति की यात्रा, डा.सम्पूर्णानन्द की लिख अधूरी क्रान्ति जैसी महत्वपूर्ण पुस्तकें हैं। शुभी प्रकाशन के स्टाल पर बेगम्स आफ अवध, फोक टेल आफ यूपी ट्राइब्स, बुद्धिष्ट आर्ट, नृत तरंगिणी, पैलेस कल्चर आफ लखनऊ, कथक लोक और दि आर्ट आफ हिंदू डांस जैसी कला, संस्कृति और विरासत से जुड़ी पुस्तकें हैं। अनबाउण्ड स्क्रिप्ट्स के स्टाल पर हिन्दयुग्म और युवान की साहित्यिक किताबों के संग ही प्रेरक साहित्य भी खूब है। फ्लाईड्रीम्स के स्टाल पर जटायु बाली जैसे पौराणिक चरित्रों पर और जूनियर जेम्स बाण्ड की शृंखला की हिन्दी कामिक्स के संग गुलाबी भैंसा, जादू का डिब्बा जैसी कथात्मक पुस्तकें बच्चों की पसंद बनी हुयी हैं। यहां वेदप्रकाश काम्बोज और ओमप्रकाश शर्मा के लोकप्रिय उपन्यास बड़ी मात्रा में हैं तो भारतेंदु हरिश्चन्द्र के मौलिक नाटक जैसी पुस्तकें भी हैं।

बाल और युवा मंच पर दोपहर सुरभि कल्चरल ग्रुप के बच्चों एकाग्र बाजपेयी, मैत्री शुक्ला, पिरशा, काशवी शर्मा, अनाया गौतम, गुनगुन और रुद्राक्ष ने हस्तशिल्प का प्रदर्शन किया। करीना ठाकुर व कनक गोंड ने युगल गीत पिंगा पर और विदुषी शुक्ला, रुद्राक्ष सिंह, नित्या, अनाया, काशवी, गुनगुन कौर, आशी त्रिवेदी ने बरसो रे मेघा..., फेरो न नजरिया..., ताल से ताल मिला जैसे गीतों पर नृत्य प्रस्तुत किया। मेले के साहित्यिक मंच पर वाणी प्रकाशन की ओर से गांधी दर्शन पर आयोजित परिचर्चा में सीआरपीएफ के पूर्व महानिदेशक आनन्द प्रकाश माहेश्वरी, सामाजिक कार्यकर्ता नाइश हसन, वरिष्ठ पत्रकार प्रांशु मिश्रा व सुधीर मिश्र, शोध छात्रा श्रीजा राज और विनय सिंह ने पर्यावरण, युवा पीढ़ी, स्त्री अस्मिता और उत्तर आधुनिक भारत की चुनौतियां से जुड़े प्रश्नों पर चर्चा की। राजकमल की ओर से राजगोपाल सिंह वर्मा की किताब फिरंगी राजा पर विजय राय, सुहैल वहीद, भगवानस्वरूप कटियार, अलका प्रमोद और मनोज पाण्डेय ने विचार व्यक्त किये। अनबाउण्ड स्क्रिप्ट्स की ओर से सुशीलकुमार पारे की पुस्तक लाइफ स्किल्स फार करियर का विमोचन के बाद लेखन और करिअर पर हुयी बहस में आशीष मिश्र और लक्ष्मण यादव ने विचार रखे। इसी क्रम में लेखक सुनील द्विवेदी से उनकी पुस्तक जाफरी चच्चा अब नहीं चीन्हते पर चन्द्रशेखर वर्मा ने चर्चा की। चर्चाओं के क्रम में पूजा शर्मा की किताब मेरा गुड्डा पर ज्योतिकिरन ने बात की। विदुषी सीता मिश्रा सेवा न्यास की ओर से राज्य सूचना आयुक्त डा.दिलीप अग्निहोत्री ने मेला परिसर में नशा उन्मूलन अभियान की शुरुआत की। शाम को सुंदरम संस्थान के संयोजन में रचनाकारों ने ओज, शृंगार और सामाजिक विषयों पर काव्यपाठ किया।

3 अक्टूबर के कार्यक्रम

पूर्वाह्न 11.00 बजे कार्यक्रम : आर्य समाज

शाम 4.00 बजे कार्यक्रम : तकी मीर फाउण्डेशन

शाम 5.00 बजे पुस्तक लोकार्पण : अनिल श्रीवास्तव

शाम 6.30 बजे पुस्तक विमोचन व काव्यगोष्ठी

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